भारत के महान सर्वेक्षक पंडित नैन सिंह रावत: जिन्होंने पैदल नाप दिया पूरा तिब्बत अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"(पंजीकृत) द्वारा संचालित शत-शत नमन 21 अक्टूबर/ जन्म दिवस, हिमालयी इलाकों की खोज करने वाले, अक्षांश दर्पण के रचयिता नैन सिंह रावत... नैन सिंह रावत: वो भारतीय एक्सप्लोरर जिसने पैदल चलकर ही नाप दिया पूरा तिब्बत..!! नैन सिंह ने अपनी वेशभूषा में सभी जरूरी उपकरण छिपाए. वे अपने चाय के कप में मर्करी और अपनी डंडी में थर्मामीटर रखते थे. अपने गधे की खाल के भीतर पैसा छिपाए और अपने प्रार्थना चक्र के भीतर सभी रीडिंग्स और रूट सर्वे का डाटा रिकॉर्ड किया. पंडित नैन सिंह रावत लद्दाख से ल्हासा तक का नक्शा बनाने वाले पहले व्यक्ति थे. उन्होंने ल्हासा की ऊंचाई नापी और ब्रह्मपुत्र नदी का पूरा सर्वेक्षण किया. आज से लगभग डेढ़ सौ साल पहले दूरी नापने के आधुनिक यंत्र या जीपीएस नहीं हुआ करता था. ऐसे में नैन सिंह ने मापन का अपना ही तरीका इजाद किया. वो अपने हाथ में मनके की माला रखते थे जिससे एक-एक कदम का हिसाब लगाते थे. इसके अलावा वह अपने पैरों के बीच रस्सी बांधकर चलते थे ताकि हर कदम की दूरी बराबर रहे. उन्होंने पैदल चलकर ही पूरा तिब्बत नाम दिया. *कौन थे नैन सिंह रावत?* नैन सिंह का जन्म 21 अक्टूबर 1830 को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में हुआ. उनके गांव का नाम भटकुरा था. 19वीं सदी की शुरुआत में जब भारत पर अंग्रेजों की पकड़ मजबूत हुई, तो उन्होंने भारतीय सीमाओं का सर्वे करना भी शुरू किया. अंग्रेजों ने माउंट एवरेस्ट, K2 कंचनजंगा की ऊंचाई नापी और पूरे भारत का एक स्केल्ड नक्शा बनाया. तिब्बत तब सिल्क रूट के रास्ते में पड़ता था और इस इलाके पर वर्चस्व को लेकर रूस और बिट्रेन के बीच खींचतान शुरू हो गई थी. Playlist 3 Videos Sshree Astro Vastu Success stroy review In Hindi - Astro Harshit Ji 4:22 Sshree Astro Vastu | Pooja Ji Review | Numerology Course In Gujrati 2:35 Sshree Astro Vastu Review | Panchang Rahasyam Review | Astro - Pooja Ji Review | Hindi 3:30 *अंग्रेजों ने कराया सर्वे* अंग्रेजों को तिब्बत के सर्वे की जरूरत महसूस हुई. मगर मुश्किल थी कि तिब्बती लोग यूरोपियन लोगों को आने नहीं देते थे. सर्वे की जिम्मेदारी तत्कालीन सर्वेयर जनरल कैप्टन माउंटगुमरी के हाथ में दी गई. उन्होंने तिब्बत की सीमा से लगे क्षेत्रों में ऐसे लोगों की खोज की जो दिखने में तिब्बती लगें और उनकी भाषा बोल सकें. इसी खोज में उन्होंने नैन सिंह को ढूंढ निकाला. *जोखिम के साथ शुरू की यात्रा* 1865 में नैन सिंह और उनके भाई मानी सिंह ने काठमांडू से अपनी यात्रा शुरू की और तिब्बत में दाखिल हुए. उन्होंने लामा का भेष धरा और तिब्बती भाषा का प्रयोग किया. उन्होंने अपनी वेशभूषा में सभी जरूरी उपकरण छिपाए. वे अपने चाय के कप में मर्करी और अपनी डंडी में थर्मामीटर रखते थे. अपने गधे की खाल के भीतर पैसा छिपाए और अपने प्रार्थना चक्र के भीतर सभी रीडिंग्स और रूट सर्वे का डाटा रिकॉर्ड किया. *पाया सर्वेक्षण का सर्वोच्च सम्मान* नैन सिंह ने अपने जीवनकाल में 6 यात्राएं कीं. वह कुल 42 हजार किलोमीटर चले. ल्हासा की ऊंचाई नापने वाले वे पहले व्यक्ति थे. उन्होंने तारों की स्थिति देखकर ल्हासा के लैटीट्यूड और लौंगीट्यूड की भी गणना की. उन्होंने 800 किलोमीटर पैदल चलकर पता लगाया कि सांगपो और ब्रह्मपुत्र नदी एक ही हैं. सर्वे में उनके योगदान के चलते Royal Geographical Society ने उन्हें पेट्रोन गोल्ड मैडल से नवाजा जो सर्वेक्षण के क्षेत्र में दिया जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान है. वर्ष 2004 में भारत सरकार ने उनके नाम से एक डाक टिकट जारी किया. आप सभी लोगों से निवेदन है कि हमारी पोस्ट अधिक से अधिक शेयर करें जिससे अधिक से अधिक लोगों को पोस्ट पढ़कर फायदा मिले | Join Our Whatsapp Group