शिवचरित्रमाला (भाग 35) प्रथम योजना, विक्रम नंतर मध्यरात्रि में गहरी नींद में पड़ा लाल महल और स्वाभाविक रूप से नींद से भरा पहरेदार अचानक हुए हमले के बाद हड़कंप मचा बैठे; महाराजों की यही इच्छा भी थी कि वे केवल चिल्लाएँ-शोर मचाएँ और भाग खड़े हों। इस हमले के पीछे केवल "केऑस"—कुछ मावलें—लाल महल के मुख्य दरवाजे के ऊपर स्थित नगाड़े खाने (नगारखाना) में घुसने वाले थे; उन्हें वहाँ सो रहे वादक उठाकर नगाड़े, शंख (कर्णे तुताऱ्या), ताशे, मर्फ इत्यादि बजवाने थे—यही एक और गोंधळ उड़ा देने की योजना बनी हुई थी। और ठीक वैसा ही हुआ। कुछ मावलें नगाड़े खाने में घुस गए। वे उन सोए वादकों को किस तरह से उठाए होंगे, इसका अनुमान लगाया जा सकता है—ऐसा लगा मानो भूत-पिशाच अचानक झपट学 रहे हों। आधी-नींद में भयभीत वे लोग वहाँ के वाद्य मार्शलों के दम पर जोर-जोर से बजाने लगे। उन्हें समझ ही नहीं आया कि क्या हो रहा है—वे बस बजा रहे थे। क्योंकि पीछे नागव्यों तलवारधार मावलें मारक की तरह खड़े थे।लाल महल में हुए भारी गोंधळ में नगाड़े खाने का यह दृश्य सबसे विचित्र और रचनात्मक था। अंधेरे में पूरा महल जाग उठा और चिल्ला-चिल्लाकर चीख-पुकार मच गई। उसमें स्त्रियों का हाहाकार भयानक था। इस अचानक हुए आश्चर्यजनक हमले (सर्प्राइज़ अटैक) से जो अफरा-तफरी मची, उसका एक बेहतरीन उदाहरण यह था कि घबरा कर उठकर शाहिस्तेखान खुद माड़ी से नीचे आकर अंगन में हथियार लेकर दौड़ पड़ा। पर किस हथियार के साथ? धनुष-बाण! ऐसी घड़ी में कौन धनुष-बाण लेकर भागेगा? तलवार, पट्टा या कम से कम भाला लेकर किसी आदमी का सीधा शत्रु पर हमला करने को दौड़ना तो समझ में आता है—पर खान धनुष-बाण लिए दौड़ा। क्या फायदा? Playlist 3 Videos Sshree Astro Vastu | Health Challenges |Review By - Kannada Mohan Jain Guru Ji | 2:40 Sshree Astro Vastu | Business Success | By Astro Prasad 1:00 Sshree Astro Vastu | Success in Marriage, Political Success, Finance | By Astro Priti somaiya 3:36 उसके बेटे अबुल फतेखान ने यदि उसी समय सामने आकर बाधा न डाली होती, तो महाराजों के हाथों खान अंगन में ही मारा गया होता। पर पुत्र के कारण पिता बच गया। यहाँ अबुल फतेखान पुत्र की वास्तव में प्रशंसा करनी चाहिए—उसने पिता के लिए अपना प्राण न्योछावर कर दिए। खान केवल भाग रहा था; महाराज उसका पीछा कर रहे थे। माड़ी पर खान के दालन से सटा (शायद) दक्षिणोत्तर दिशा में एक बड़ा, दारुण महल था। उस बड़े दिवाणखाने में खान के परिवार की और कुछ अन्य स्त्रियाँ सोई हुई थीं। वे जाग उठीं और ऊँची आवाज़ में चिल्लाने-कराहने लगीं। वहाँ कुछ जमिन पर शमादाने (तेल के दीये) लगे थे—उनका प्रकाश कितना था? किसी को भी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है।सिर्फ घबराहट मची हुई थी। खान आगे और महाराज पीछे—ऐसी स्थिति बन गई। भयग्रस्त खान केवल जान बचाने के लिए भाग रहा था। मद्धिम प्रकाश में महाराज खान का पीछा करते थे। स्त्रियों के उस दालन में खान घुसा। वहाँ एक बड़ा मोटा पर्दा (बाड) था। खान ने जल्दी से उसे हाथ से झटक दिया और अंदर दाखिल हो गया। महाराजों ने उस पर्दे पर अपनी धारदार तलवार से वार किया। पर्दा फट गया। वहां की महिलाओं ने देखा कि खान भयभीत होकर भाग रहा था। कुछ अत्यंत भयानक हो रहा है—इस अनुभूति से वे और भी ज़्यादा डर गईं। केवल कोलाहल! पर्दे पर लगी भगदड़ में महाराजों की आभा भीतर आती दिखाई दी। वहाँ लगी शमादानों को किसी समझदार स्त्री ने फूँक कर बुझा दिया। और अंधेरा और बढ़ गया। अब महाराज अंदाज़े से खान पर दौड़ रहे थे। खान डरकर एक खिड़की से बाहर चढ़कर नीचे दब गया। यह भी उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर ही अनुमान है। महाराजों को लगा खान यहीं है—इसलिए उन्होंने अपनी तलवार से चक्रीय वार किया। उन्हें लगा चोट लगी—और उन्हें लगा कि वार करके खान मारा गया। फिर महाराज वहां से उसी राह से लौट आए। पूरा लाल महल भयानक कोलाहल से गूंज रहा था। उसी बीच नगाड़े खाने में वाद्यों का शोर लगातार चल रहा था।महाराजों का मुख्य उद्देश्य था—अंधेरे में सब कुछ उलझा देना। खान बच गया। उसकी केवल तीन उंगलियाँ—दाहिने हाथ की तलवार के नीचे—टूटीं। अपने छापामार काम की फतह समझकर, पूर्व-योजना के अनुसार महाराज और मावलें लाल महल से निकल गए। लाल महल के बाहर इस पूरे हुल्लड़ से झकझोर कर छावनी के बहुत से मोगली सैनिक इकट्ठे हो गए थे; उन्हें कुछ भी स्पष्ट समझ में नहीं आ रहा था। यह सब बड़ा विस्तार से पाए जाने वाला "ऑपरेशन लाल महल" ऐसा हुआ। यह संक्षेप में रिपोर्ट है। मुख्य बात निष्कर्ष है। केवल सैनिक अधिकारी और सेनाधिकारी ही इस ऑपरेशन पर विचार न करें—जिस भी क्षेत्र में योजनाबद्ध काम करना है, उस क्षेत्र के हर कार्यकर्ता को इस इतिहास का सूक्ष्म अध्ययन करना चाहिए। क्या वर्तमान काल में इसे एक रचनात्मक योजना के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता? "मैनेजमेंट" और बड़े प्रोजेक्ट्स संभालने वालों को इस युद्ध-कथा का अध्ययन करना चाहिए—वहां से प्रेरणा, योजना और अंततः सफलता हासिल की जा सकती है। देखिए, समझ में आया क्या? Read shivcharitramala Part 34 read shivcharitramala Part 36 Coming Soon !!! आप सभी लोगों से निवेदन है कि हमारी पोस्ट अधिक से अधिक शेयर करें जिससे अधिक से अधिक लोगों को पोस्ट पढ़कर फायदा मिले | Join Our Whatsapp Group