अपनी कुंडली में चल रही लाभकारी और शुभ ग्रहदशाओ के समय मे मकान, जमीन, प्रॉपर्टी ख़रीना हमेशा लाभ कारी रहता है चाहे प्रॉपर्टी कके योग कुछ दूषित स्थिति में क्यों न हो लेकिन अपनी कुण्डली के अनुसार ग्रहो के प्रॉपर्टी योगो के अनुसार और शुभ ग्रहदशाओ में खरीदना बेचना भूमि-मकान, संपत्ति खरीदना ज्यादा से ज्यादा लाभकारी और शुभ ही रहता है।।
जन्मकुंडली का चोथा भाव और इस भाव का स्वामी मकान,जमीन का है।जब इस भाव का स्वामी और यह भाव दोनो अच्छी स्थिति में हो, शुभ योग में हो या शुभ ग्रहों की दृष्टि आदि में या शुभ ग्रहों या शुभ भावपतियो के साथ हो तब मकान खरीदने के और बेचने की अच्छी स्थितिया होती है और ऐसी स्थिति में मकान खरीदना भी लाभकारी होता है और बेचना भी।लेकिन जब चौथे भाव, भावेश के साथ शुभ योग बन रहे होते है और ग्रह दशाये भी अशुभ होगी तब ऐसी स्थिति में मकान/जमीन,दुकान आदि को बेचना या खरीदना दोनो ही नुकसान देगा और भविष्य में इससे परेशानी के अलावा कुछ हाथ नही आने वाला।यह स्थिति घाटे का सौदा होने वाली होती है।यदि चौथा भाव और भावेश किसी तरह से भी अशुभ स्थिति में नही है, जैसे कोई अशुभ योग चोथे भाव मे या इसके स्वामी के साथ न बन रहा हो, ज्यादा पाप ग्रहों की दृष्टि न हो, ज्यादा पाप ग्रह चौथे भाव मे या चोथे भाव के स्वामी के साथ न बेठे हो जैसे शनि राहु केतु एक साथ।छ्ठे/आठवें भाव स्वामियों के प्रभाव में नही है तब स्थिति ठीक होती है।।
अब इन सब स्थितियों के साथ साथ जिस समय मकान,जमीन, दुकान ,जमीन से संबंधी कोई भी चीज आदि खरीदने और बेचने के समय जिन ग्रहो की महादशा और अंतरदशा चल रही हो वह अनुकूल होनी चाहिए, तब मकान-जमीन,दुकान खरीदना-बेचना आदि फायदा देता है वरना नुकसान में जाना पड़ता है।इसके साथ ही जन्मकुंडली में प्रॉपर्टी योग अच्छे है तब शुभ ग्रह दशाओ में खरीदारी और बिक्री कर देना बहुत अच्छा रहता है।वरना कई जातक समय ठीक न चलने के कारण अशुभ ग्रह दशाओ में मकान-जमीन खरीद लेते है या मजबूरी वश या जल्दबाजी में बेच देते है और बाद में नुकसान में जाने से पश्चाताना रह जाता है।
अब कुछ उदारहण से समझे।
खरीदारी_बिक्री के लिए शुभ/अशुभ स्थिति उदाहरण अनुसार:-
उदाहरण_अनुसार_कर्क_लग्न:-
कर्क लग्न में चोथे भाव का स्वामी(प्रॉपर्टी/मकान भाव) शुक्र है शुक्र अब यहाँ अच्छी स्थिति में होकर बैठे और शुभ भावो के स्वामी जैसे केंद्र 1,4,7,10 त्रिकोण5,9 भाव के स्वामियों के साथ, जैसे कि कर्क लग्न में गुरु भाग्येश होता है और शुभ ग्रह भी है गुरु शुक्र के साथ 11वे भाव मे बेठे तब यह संबंध शुभ है राजयोगकारक भी है, और शुक्र गुरु पर/ चोथे भाव पर किसी अस्त, अशुभ का प्रभाव न हो तब ऐसी स्थिति में किसी शुभ महादशा समय मे चौथे भाव या चौथे भाव स्वामी शुक्र की शुभ दशा में प्रॉपर्टी, मकान, जमीन आदि खरीदने के लिए या बेचने के लिए दोनो के लिए ही शुभ रहेगा और खरीदने/बेचने पर लाभ ही रहेगा, और निर्बिघ्न प्रॉपर्टी बिक भी जाएगी।।
उदाहरण_अनुसार_कर्क_लग्न:-
प्रॉपर्टी/मकान स्वामी चौथे भाव का स्वामी शुक्र ह गुरु दोनो सूर्य के साथ 11वे भाव मे बैठकर अस्त हो गये हो या बहुत ज्यादा पीड़ित हो जाये, या केवल चौथे भाव स्वामी शुक्र और चौथे भाव की स्थिति अशुभ हो जाये जैसे कि कोई अशुभ योग बनाकर या छठे, आठवे , बारहवें भाव के स्वमियो का अशुभ प्रभाव चौथे भाव पर पड़ जाए क नुकसान में जाना पडेगा है,लेकिन यहाँ किसी शुभ समय काल मे शुभ ग्रह दशाओ के समयकाल में प्रॉपर्टी,मकान आदि खरीदा या बेचा जाएगा तब कोई नुकसान या दिक्कत नही होगी क्योंकि शुभ और अनुकूल लाभकारी समय मे प्रॉपर्टी खरीदी या बेची जा रही है,हालांकि यहां अशुभ स्थिति होने पर उपाय जरूरी होंगे करने तब ही शुभ समय मे बेचना या ख़रीना लाभ देगा।।
अशुभ शनि राहु केतु की दशा में या इनका अशुभ प्रभाव चौथे भाव या चौथे भाव के स्वामी पर होने से प्रॉपर्टी, जमीन मकान आदि खरीदना, धोखा होगा।। इस तरह से ग्रहों के शुभ समय चलने पर लाभ देगा साथ ही चोथे भाव और इस भाव संबंधी ग्रहो की स्थिति ठीक होनी चाहिए।इस तरह से शुभ-अशुभ स्थिति मकान, जमीन दुकान आदि खरीदना या बेचना या बनाना फायदा/नुकसान की स्थिति देताहै।।