उन्होंने जब अपने मित्र महाराणा प्रताप को संकट में देखा तो अपना सारा खजाना राणा प्रताप को देश की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया।उन्होंने अपने जीवन की गाढी कमाई जो 1000 जैन मंदिर बनाने के लिए इकट्ठी की थी,
एक क्षण में अपने देश पर संकट आने पर दान कर दी
जब भामाशाह से महाराणा प्रताप बोले- कि अब आप मंदिर कैसे बनाओगे
तब भामाशाह का जवाब था- हुकुम मातृभूमि बचेगी तो हजारों मंदिर बन जाएंगे और यही नहीं रही तो उन मंदिरो का क्या करेंगे
ऐसे राष्ट्र भक्त, क्षत्रिय श्रावक, दानवीर भामाशाह के उपकार को युगों-युगों तक भुलाया नहीं जा सकता
जय हो भारत के वीर पुत्र भामाशाह की