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चलित कुंडली में ग्रह दृष्टि देखने का तरीका

भारतीय ज्योतिष में चलित कुंडली का विशेष महत्व है, क्योंकि यह बताती है कि किसी ग्रह की वास्तविक स्थिति उसके घर में कैसे परिवर्तित होती है। जब ग्रह मूल कुंडली में एक घर में होते हैं लेकिन चलित कुंडली में दूसरे घर में स्थानांतरित हो जाते हैं, तब ग्रहों की दृष्टि देखने का तरीका थोड़ा बदल जाता है।

 

  1. ग्रहों की दृष्टि का नियम समझें:

 

ज्योतिष में ग्रहों की दृष्टि एक महत्वपूर्ण तत्व है। सभी ग्रह अपनी दृष्टि से दूसरे घरों पर प्रभाव डालते हैं।

 

सूर्य, चंद्र, बुध और शुक्र: इनकी केवल 7वीं दृष्टि होती है।

मंगल: 4वीं, 7वीं और 8वीं दृष्टि।

 

गुरु (बृहस्पति): 5वीं, 7वीं और 9वीं दृष्टि।

 

शनि: 3वीं, 7वीं और 10वीं दृष्टि।

 

राहु और केतु: इनकी 5वीं, 7वीं और 9वीं दृष्टि मानी जाती है।

 

  1. चलित कुंडली में घर का परिवर्तन:

 

चलित कुंडली में ग्रहों का घर बदल सकता है, लेकिन उनकी दृष्टि की गणना हमेशा मूल कुंडली (लघु कुंडली या जन्म कुंडली) के आधार पर की जाती है।

 

उदाहरण के लिए, अगर मंगल जन्म कुंडली में 4th भाव में है, लेकिन चलित कुंडली में वह 3rd भाव में चला जाता है, तो उसकी दृष्टि 7वीं (10th भाव), 4th (6th भाव), और 8वीं (10th भाव) पर गिनी जाएगी, लेकिन ये परिवर्तन जन्म कुंडली के अनुसार होगा।

 

  1. चलित कुंडली में दृष्टि का विश्लेषण:

 

चलित कुंडली में घर बदलने के बाद भी ग्रह की दृष्टि की गणना उसी नियम से होती है, लेकिन ध्यान रखें कि घरों का परिवर्तन केवल उनके प्रभाव को थोड़ा बदलता है।

 

यदि कोई ग्रह चलित कुंडली में एक अलग भाव में चला जाता है, तो इसका अर्थ यह होता है कि उस ग्रह का प्रभाव उस भाव पर अधिक केंद्रित होगा।

 

ग्रह की दृष्टि की शक्ति भी बदल सकती है, विशेषकर अगर ग्रह किसी उच्च या नीच स्थान पर चला जाता है।

 

  1. विशेष उदाहरण:

 

मान लीजिए कि गुरु जन्म कुंडली में 5th भाव में है और चलित कुंडली में 4th भाव में चला गया है। गुरु की दृष्टि जन्म कुंडली के अनुसार 9th (भाग्य), 7th (संबंध), और 11th (लाभ) भाव पर होगी।

 

हालांकि, चलित कुंडली में वह 4th भाव में है, इसलिए उसका प्रभाव अब घर और संपत्ति के मामलों पर अधिक हो सकता है।

 

महत्वपूर्ण सुझाव:

 

ग्रहों की दृष्टि का विश्लेषण हमेशा जन्म कुंडली से शुरू करें और फिर चलित कुंडली में ग्रहों के स्थान को ध्यान में रखते हुए उनकी शक्ति का आकलन करें।

 

चलित कुंडली का उपयोग विशेषकर तब करें जब आप जानना चाहते हैं कि ग्रह का प्रभाव किसी व्यक्ति के जीवन में किस क्षेत्र पर अधिक केंद्रित हो रहा है।

 

इस प्रकार, ग्रह दृष्टि की गणना में जन्म कुंडली को प्राथमिकता दें और चलित कुंडली को ग्रह के प्रभाव को बेहतर समझने के लिए उपयोग करें।

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