Sshree Astro Vastu

25 फरवरी 1568 की वो तारीख जब मेवाड़ में लाखों हिंदुओं को मारकर उनका जनेऊ तौला गया था

मित्रों, छावा फिल्म के रिलीज होेने के बाद जब औरंगजेब का विवाद उठा था तब कुछ सेकुलर बुद्धिजीवियों की तरफ से कहा गया कि औरंगजेब हर रोज सवा मन जनेऊ उतरवाकर खाना खाता था, ये बात पूरी तरह से झूठी है । इसका काउंटर तलाश करने के लिए मैंने रिसर्च की तो मुझे ये तथ्य मिला है कि ना सिर्फ औरंगजेब बल्कि अकबर के जमाने में भी हिंदुओं को मारकर उनके जने ऊ को तौला जाता था । ऐसी एक घटना का वर्णन इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड ने अपनी पुस्तक Annals and Antiquities of Rajasthan में दर्ज है जिसका हूबहू अनुवाद मैं अपने इस लेख में लिख रहा हूं ।

ब्रिटिश इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड लिखते हैं-  “अकबर ने अपनी सफलता का मानक मृत हिंदू शरीरों से उतारे गए जनेऊ के भार को माना था ।चित्तौड़ के

नरसंहार के बाद उतारे गए हिंदुओं के जनेऊ का कुल भार साढ़े चौहत्तर मन बताया गया है । एक मन 40 किलो का होता है, अतः 2,980 किलो जनेऊ एकत्र हुए । हम सोच सकते हें नि उस काले दिन पर कितने हिंदुओं का रक्तपात हुआ होगा ? साढ़े चौहत्तर मन जनेऊ की ढेरियाँ बनाकर आगरा ले जाया गया और ये दिखाया गया कि चितौड़ पर अब मुगलों का अधिकार था।”

अगर एक जनेऊ का भार 10 ग्राम माना जाए तो भी इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि 1567 से 1568 तक एक साल तक डाले गए चित्तौड़ के घेरे में एक लाख से ज्यादा हिंदुओं को मार दिया गया ।

जब नरसंहार हो रहा था और युद्ध जीतने के बाद निरीह हिंदुओं की गर्दनें काटी जा रही थी तब अकबर इस वीभत्स दृश्य को देखते हुए अपने मंत्रियों से कह रहा था कि कोई ऐसा कवि बुलाया जाए जिसको शाहनामा के वीर रस की कुछ पंक्तियां याद हों ।

 

साढ़े चौहत्तर मन जनेऊ का आंकड़ा इसलिए प्रामाणिक माना जा सकता है कि

इस नरसंहार की स्मृति को सदैव याद रखने के लिए आज तक साढ़ चौहत्तर का

अंक मेवाड़ के वैश्य लोग अपनी बहियों में नहीं लिखते ।

आप सभी लोगों से निवेदन है कि हमारी पोस्ट अधिक से अधिक शेयर करें जिससे अधिक से अधिक लोगों को पोस्ट पढ़कर फायदा मिले |
Share This Article
error: Content is protected !!
×