ग्रह नक्षत्र कुछ ऐसे योग बना देते है जिससे पति-पत्नी की आपस मे नह बन पाती और परिस्थितिया ऐसी बन जाती है कि विवाह विच्छेद के द्वारा अलग होना पड़ता है, अब यहाँ पति-पत्नी विवाह विच्छेद लेकर अलग तो हो जाते है लेकिन संतान होने पर क्या संतान विवाह विच्छेद होने पर माँ को मिलेगी या पिता को, और दोनो में से किसको संतान सुख मिलेगा आज इसी पर बात करेंगे, क्योंकि संतान/बच्चा यदि है तब विवाह विच्छेद होने के बाद संतान तो किसी एक के पास ही कोर्ट के द्वारा जाती है चाहे माँ के पास रहे या पिता के।अब इसे ही ग्रह नक्षत्रों के योगो से समझे,
इस स्थिति में सर्वप्रथम तो बच्चे की कुंडली मे माँ का सुख ज्यादा है या पिता का इसकी स्थिति देखनी जरूरी होती है साथ ही पति-पत्नी की कुंडली के भी पाँचवे भाव और इसके स्वामी की स्थितियों से संतान के बारे में जानकारी मिलती है कि संतान विवाह विच्छेद के बाद किसके पास रहेगी और विवाह विच्छेद कब तक होगा।
पति-पत्नी दोनो की कुंडली का 5वा भाव और 5वे भाव का स्वामी और संतान सुख का कारक गुरु ज्यादा अच्छी स्थिति में होगा संतान उसी के पास रहती है।क्योंकि 5वा भाव संतान का होता है जो संतान का सुख बताएगा कि संतान किसके पास जाएगी विवाह विच्छेद के बाद।उसे अब उदाहरण से समझते है:-
उदाहरण_अनुसार:-
मेष लग्न अनुसार और सिंह लग्न अनुसार।मेष लग्न में 5वे भाव का स्वामी सूर्य बनता है अब यहाँ सुर्य पीडित हुआ पाप ग्रहों से और 5वे भाव मे भी राहु शनि केतु जैसे पाप ग्रहों का प्रभाव पड़ता हो, तब यहाँ संतान सुख की स्थिति ठीक न होने से संतान ऐसे जातक या जातिका को नही मिलेगी विवाह विच्छेद के बाद चाहे ऐसी स्थिति पत्नी की कुंडली मे। बने या पति की कुंडली मे बने, जिसकी भी कुण्डली में होगी उसको ऐसा फल मिलेगा, लेकिन अब दूसरे की चाहे वह पति हो या पत्नी ,दूसरे की कुंडली मे 5वे भाव, इस भाव के स्वामी और गुरु की स्थिति अच्छी है , चाहे सामान्य की अच्छी हो तब दूसरे के पास संतान जाएगी,दूसरा मतलब पति या पत्नी क्योंकि संतान तो माँ के पास जाएगी या पिता के पास।।
सिंह_लग्न_अनुसार:-
सिंह लग्न में खुद गुरु ही 5वे भाव का स्वामी होता है अब गुरु और 5वे भाव की स्थिति। ठीक हो और किसी पाप या अशुभ में 5वा भाव और इसके स्वामी की नही होगी तब यहां संतान मिलेंगी विवाह विच्छेद के बाद चाहे यह पति की कुंडली बने या पत्नी की।।
यहाँ कम शब्दों में कहू तो पति या पत्नी दोनो में से जिनकी भी कुंडली के 5वे भाव, इसके स्वामी और गुरु की स्थिति जितनी ज्यादा बलवान और शुभ होगी संतान विवाह विच्छेद बाद उसको ही मिलेगी,क्योंकि कुंडली का 5वा भाव संतान और संतान सुख का होता है।।
अब इतना निर्णय पति-पत्नी की कुंडली से हो जाएगा साथ ही और गहराई से पता करना हो तब बच्चे की कुंडली मे माँ सुख ज्यादा है या पिता का सुख ज़्यादा है यह बच्चे की कुंडली से भी जाना जा सकता है कैसे।
किसी भी बच्चे की कुंडली का चतुर्थ भाव और इसका स्वामी और माँ कारक चन्द्र माँ सुख, माँ का साथ,और कुंडली का दसवा भाव, इसका स्वामी और पिता का कारक सूर्य पिता सुख और पिता के साथ की स्थिति बताता है, अब बच्चे की कुंडली मे चौथे और दसवे भाव मे से और माँ-पिता कारक चन्द्र सुर्य में से जिसकी स्थिति ज्यादा अच्छी होगी उसी का सुख और साथ बच्चे को मिलेगा, इसे भी उदाहरण से समझते है कैसे।
उदाहरण, कन्या_लग्न_अनुसार,
किसी बच्चे की कन्या लग्न की कुंडली बने,तब यहाँ चौथे भाव का स्वामी गुरु बनता है और दसवे भाव का स्वामी बुध बनता है साथ ही माँ सुख कारक चन्द्र होता ही है और पिता सुख कारक सूर्य होता है।अब यहाँ बच्चे की कुंडली मे चोथे भाव और। दसवे भाव मे से जो ज्यादा बलवान और शुभ स्थिति। में होगा साथ ही सूर्य चंद्र में। से जो। बलवान होगा, कुल मिलाकर ,चौथे और दसवे भाव। की स्थिति में जिसकी ज्यादा अच्छी स्थिति। होगी बच्चा उसी के अनुसार ,,अपनी माँ या पिता के पास विवाह विच्छेद की बाद जाएगा, क्योंकि यह। सब ग्रह योग निर्धारित करेंगे कि बच्चे को माँ या पिता में से किसका सुख और साथ मिलना है विवाह विच्छेद पति-पत्नी में होने के बाद।।
इस तरह विवाह विच्छेद बाद संतान किसको मिलेगी यह सब जन्मकुंडली से जाना जा सकता है।