ज्योतिष के अनुसार किसी भी जातक की कुंडली में शनि और चंद्र ग्रह की युति को अच्छा नहीं माना जाता है। इसे विषय योग कहा जाता है।
कहते हैं कि, जिस भी जातक की कुंडली में यह योग होता है, वह जिंदगी भर विष के समान कठिनाइयों का सामना करता है। पूर्ण विष योग माता को भी पीड़ित करता है, जिंदगी की तमाम योग्यताएं व्यर्थ हो जाती हैं, कदम-कदम पर संघर्ष, धन की समस्या और अपमान सहना पड़ता है, जातक डिप्रेशन का शिकार हो जाता है कई बार रात में चैन से नींद नहीं आती, इस योग में पैदा होने वाले बच्चे कई बार गूंगे बहरे पैदा होते हैं, कई बार व्यक्ति आत्महत्या जैसे कदम उठाने के लिए बिवश हो जाता है, इस योग का सबसे ज्यादा प्रभाव करियर और गृहस्त जीवन पर पड़ता है !
बिष योग का सकारात्मक पक्ष : — कहते हैं कि, इस युति में व्यक्ति न्यायप्रिय, मेहनती, ईमानदार होता है, कई क्षेत्रों में महारत हासिल होती है, इस युति के चलते व्यक्ति में वैराग्य भाव का जन्म भी होता है।
कैसे बनता है विष योग :–
1.चंद्र और शनि किसी भी भाव में इकट्ठा बैठे हो तो विष योग बनता है।
6.शनि की दशा और चंद्र का प्रत्यंतर हो अथवा चंद्र की दशा हो एवं शनि का प्रत्यंतर हो तो भी विष योग बनता है।
तब नहीं बनता है विष योग :–
शनि-चंद्र युति का असर :–
1.इससे जातक के मन में हमेशा असंतोष, दुख, विषाद, निराशा और जिंदगी में कुछ कमी रहने की टसक बनी रही है। कभी कभी आत्महत्या करने जैसे विचार भी आते हैं। मतलब हर समय मन मस्तिष्क में नकारात्मक सोच बनी रहती है।
2.यह युति जिस भी भाव में होती है, यह उस भाव के फल को खराब करती है। जैसे यदि यह युति पंचम भाव में है तो, व्यक्ति जीवन में कभी स्थायित्व नहीं पाता है। भटकता ही रहता है। यदि सप्तम भाव में चन्द्र व शनि की युति है तो, जातक का जीवन साथी प्रतिष्ठित परिवार से तो होता है, लेकिन दाम्पत्य जीवन की कोई गारंटी नहीं। हां यदि चंद्र शनि के साथ मंगल भी हो तो दाम्पत्य जीवन में परेशानियां आती हैं।
3.जातक शत्रुओं का नाश करने एवं उन्हें हानि पहुंचाने या उन्हें कष्ट पहुंचाने के लिए कार्य करता है। मतलब यह कि जातक के जीवन में उसके शत्रु ही महत्वपूर्ण होते हैं।
4.शनि-चन्द्र की युति वाला जातक कभी भी अपने अनुसार काम नहीं कर पाता है, उसे हमेशा दूसरो का ही सहारा लेना पडता है। ऐसे जातक के स्वभाव में अस्थिरता होती है। छोटी-छोटी असफलताएं भी उसे निराश कर देती हैं।
विष योग में व्यक्ति अपने सभी कामों को बहुत ही गंभीरता से करता है. जिस कारण उसे सफलता भी मिलती है. जिन लोगों की कुंडली में विष योग है, उन्हें शनि देव की पूजा करनी चाहिए और प्रत्येक शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे नारियल फोडें. ज्येष्ठ मास में पानी से भरा घड़ा शनि या हनुमान मंदिर में दान करने से लाभ मिलता है.
इस योग के निदान के 6 उपाय :–
1.प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें। सिर पर केसर का तिलक लगाएं।
2.प्रति शनिवार को छाया दान करते रहें।
3.कभी भी रात में दूध ना पीएं। शनिवार को कुएं में दूध अर्पित करें।
4.अपनी वाणी एवं क्रिया-कर्म को शुद्ध रखें।
5.मांस और मदिरा से दूर रहकर माता या माता समान महिला की सेवा करें।
6.आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य और पश्चिम मुखी मकान में ना रहें।