इन दिनों विवाहों का समय चल रहा है।सभी अपनी-अपनी सामर्थ्य अनुसार,रुचि अनुसार,सुविधा अनुसार आतिथ्य की व्यवस्था करते हैं।कोई घर के पवित्र आंगन में,तो कोई समाज के पवित्र भवन में,तो कोई मँहगे रिसोर्ट व होटलों में,लेकिन सभी से मात्र एक विनती है
कि कृपया केटरिंग वालों को अपने पवित्र पकवानों के नाम बदलकर अप्रत्यक्ष रूप से माँसाहारी नाम नहीं रखने दें।पिछले कुछ समय से विवाह,अन्य आयोजनों के भोजन मेन्यू में कुछ शब्द जोड़े गये है,जैसे- हरा भरा कवाब,वेज बिरयानी,वेज कोरमा,वेज हाँडी बिरयानी।
अब इनका अर्थ जान लें~
कवाब मतलब पका हुआ माँस, बिरयानी का मतलब सब्ज़ियों के साथ माँस,कोरमा का मतलब भुना हुआ माँस!अब आप ही विचार करें कि जब ऐसे नाम होंगे तो हम किस मानसिकता का भोजन करते हैं
इसे शाकाहारी संस्कारी भोजन तो नहीं कह सकते।सभीसे अपील है कि कृपया अपने आयोजनों की केटरिंग व्यवस्था में ऐसे नाम रखे जाने का पूरजोर विरोध करें।अपने केटरर से ऐसे नामों को बदलकर शाकाहारी नाम रखने का दबाव बनायें।आपकी एक छोटी सी पहल समाज को एक कुरीति से बचाएगी। अपने धर्म और संस्कृति को हम सब इसी तरह सशक्त रख सकते हैं।