यह जानकर हैरानी होती है कि सिर्फ दो साल में कितना बड़ा बदलाव आ सकता है!
2023 में कर्नाटक के बेट्टेनहल्ली गांव में एक बंजर ज़मीन थी — न हरियाली, न जीवन के कोई चिह्न। लेकिन आज, केवल दो वर्षों के समर्पित प्रयास और लगातार देखभाल से वही ज़मीन एक घने, हरे-भरे मियावाकी जंगल में बदल चुकी है।
यह बदलाव कोई जादू नहीं, बल्कि सतत प्रयास और सामूहिक भागीदारी का परिणाम है।
अब यह स्थल 20,915 पेड़ों का घर बन चुका है। ये पेड़ न सिर्फ स्वच्छ और ठंडी हवा प्रदान करेंगे, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता को बेहतर बनाएंगे, स्थानीय जलवायु को संतुलित करेंगे और पक्षियों एवं कीट-पतंगों को वापस बुलाएंगे — जिनका पारिस्थितिकी तंत्र में बेहद महत्वपूर्ण स्थान है।
जहाँ पहले गर्मी और सूखा छाया रहता था, आज वहाँ चिड़ियों की चहचहाहट, पत्तों की सरसराहट और हरियाली की ठंडक महसूस होती है। यह सिर्फ एक वन नहीं बना — यह एक जीवित, साँस लेता हुआ, समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र है।
यह परिवर्तन कैसे संभव हुआ?
इसका श्रेय जाता है Evershine Tree Lovers समूह को — एक ऐसा समूह जो सिर्फ पेड़ लगाने का काम नहीं करता, बल्कि जलवायु संकट से निपटने के लिए स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करता है।
Evershine Tree Lovers का दृष्टिकोण साधारण नहीं, बल्कि दूरदर्शी है। उनका उद्देश्य केवल पौधारोपण करना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि हर पौधा बढ़े, जिए और पारिस्थितिकी में अपना योगदान दे।
मियावाकी तकनीक का जादू
इस परियोजना में “मियावाकी विधि” का उपयोग किया गया — जो कि जापान के वनस्पति वैज्ञानिक अकिरा मियावाकी द्वारा विकसित की गई थी। यह विधि छोटे क्षेत्रों में जैवविविधता से भरपूर घने जंगल तैयार करने के लिए जानी जाती है। इसमें स्थानीय प्रजातियों के पौधे बहुत घने रूप में लगाए जाते हैं, जिससे उनका विकास तेजी से होता है और वे एक प्राकृतिक जंगल जैसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाते हैं।
सामूहिक भागीदारी और सेवा भावना
Evershine Tree Lovers का यह सफर केवल पर्यावरणीय नहीं, सामाजिक आंदोलन भी है। इस परियोजना में स्थानीय लोगों की भागीदारी, स्वयंसेवकों की मदद, बच्चों की जिज्ञासा, बुज़ुर्गों की सलाह और युवाओं की मेहनत — सबका योगदान शामिल है। जब कोई बच्चा पौधा लगाता है, तो वह केवल पेड़ नहीं लगाता, वह उम्मीद लगाता है — आने वाले कल के लिए।
पर्यावरणीय लाभ
एक प्रेरणा — और एक चुनौती
यह जंगल एक प्रेरणा है — उन सभी लोगों के लिए जो यह सोचते हैं कि अकेले कुछ नहीं किया जा सकता। यह उदाहरण साबित करता है कि अगर इरादा नेक हो, और प्रयास लगातार हो, तो कोई भी बंजर ज़मीन फिर से जीवंत हो सकती है।
लेकिन साथ ही, यह एक चुनौती भी है — बाकी समाज के लिए, सरकारों के लिए, और हम सभी के लिए — कि हम भी आगे आएं, और अपने-अपने स्तर पर ऐसे प्रयास करें।
हर मोहल्ले में, हर गाँव में, हर शहर में — अगर ऐसे प्रयास किए जाएं तो भारत को हरा-भरा बनाना कोई सपना नहीं रहेगा।
निष्कर्ष
पेड़ लगाना केवल पर्यावरण की सेवा नहीं, यह मानवता की सेवा है। यह अगली पीढ़ियों के लिए एक उपहार है। और Evershine Tree Lovers जैसा समूह हमें यही सिखाता है — कि हम पेड़ लगाकर सिर्फ छाया नहीं देते, बल्कि उम्मीद, जीवन और भविष्य को भी संजोते हैं।
यही है सच्ची देशसेवा — प्रकृति के साथ जुड़ना, और उसके संरक्षण के लिए काम करना।
अगर आप भी इस पहल से प्रेरित हैं, तो आज ही एक पौधा लगाइए — और उसका पालन-पोषण कीजिए। एक पौधा, एक बदलाव। यही शुरुआत है एक हरित क्रांति की।
“हम सिर्फ पेड़ नहीं लगाते — हम जलवायु सहनशीलता वाले तंत्र बनाते हैं।”