Sshree Astro Vastu

वैवाहिक जीवन पर इस तरह असर डालता है शनि

कुण्डली में शनि की स्थिति अच्छी नहीं हो तो व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। किसी को वैराग की ओर प्रेरित करके शनि वैवाहिक जीवन के आनंद को नष्ट कर देता है तो किसी के विवाहेत्तर संबंध के कारण पारिवरिक जीवन में जहर घोल देता है। शनि की स्थिति अच्छी नहीं होने पर व्यक्ति की शादी में भी बाधा आती है और सामान्य से अधिक उम्र में व्यक्ति की शादी होती है।

 

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिनकी जन्मपत्री में शनि सातवें अथवा आठवें घर में बैठा होता है उनकी शादी में देरी होती है। सातवें घर में शनि के साथ अगर शुक्र बैठा हो तो व्यक्ति के अंदर काम की भावना अधिक होती है। ऐसा व्यक्ति सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से अपने से निम्न व्यक्ति से संबंध जोड़ सकता है। प्रेम विवाह की भी संभावना बनती है।

शनि एवं शुक्र के साथ मंगल का होना वैवाहिक जीवन के लिए अत्यंत कष्टकारी होता है। ऐसे लोगों के विवाहेत्तर संबंध बन सकते हैं जिससे वैवाहिक जीवन में तनाव और संबंध विच्छेद तक हो सकता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसर जन्मपत्री में सातवें घर में शनि के साथ चन्द्रमा होने पर व्यक्ति का अपने जीवनसाथी से स्नेहपूर्ण संबंध नहीं रह पता है। ऐसे लोगों के विवाहेत्तर संबंध बनते हैं।

 

जिस व्यक्ति की कुण्डली में शनि सातवें घर में अपनी नीच राशि मेष में होता है अर्थात जिनका लग्न तुला होता है उनकी कुण्डली में शनि सातवें घर में बैठा हो तो विवाह अपने से उम्र में काफी बड़े व्यक्ति से होता है। शनि और सूर्य आपस में शत्रु हैं कुण्डली में अगर ये दोनों ग्रह साथ में सातवें घर में बैठें तो व्यक्ति की शादी में देरी होती है तथा वैवाहिक जीवन में अक्सर तनाव और मतभेद बना रहता है, जिससे दांपत्य जीवन का सुख प्रभावित होता है।

जन्मपत्री में शनि अगर उच्च राशि यानी तुला अथवा स्वराशि कुंभ या मकर में बैठा हो तो परिणाम सुखद भी देता है। आठवें घर में बैठा शनि शुभ होने पर व्यक्ति को ससुराल पक्ष से धन और सहयोग मिलता है। दांपत्य जीवन में प्रेम और सहयोगपूर्ण संबंध बना रहता है।

आप सभी लोगों से निवेदन है कि हमारी पोस्ट अधिक से अधिक शेयर करें जिससे अधिक से अधिक लोगों को पोस्ट पढ़कर फायदा मिले |
Share This Article
error: Content is protected !!
×