1955 में कभी नेहरू ने सऊदी बादशाह की काशी यात्रा पर मंदिरों पर काले पर्दे डलवा दिये थे और तब मुस्लिम शायर नजीर बनारसी ने हिंदुओं को ये लिख कर चिढ़ाया था–
“अदना सा ग़ुलाम उनका, गुज़रा था बनारस से,
मुँह अपना छुपाते थे, काशी के सनम -खाने ।”
अब वक्त की मार देखिये कि हिन्दुओं पर तंज कसने वालों के न केवल बनारस के बल्कि पूरे उत्तरप्रदेश के सारे के सारे खुदाघर(मस्जिदें) ढकवा दिये गये हैं ।
तो ज़नाब अर्ज किया है-
अदना सा त्यौहार क्या आया बुतपरस्तों का ।
रंगों के खौफ से खुदा को बुखार आ गया ।।
पर्दानशीन हो गयी मस्जिदें तमाम,
आया है देखो, त्योहार सनम-खानों का ।।
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।। जय श्री राम ।।