हमारे जीवन की लगभग समश्याओ का कारण पितृदोष ही बनता है ।। चाहे वह पारिवारिक सुख की कमी हो, या आर्थिक सुख की, अथवा अन्य किसी सुखकी ….
इस समय लगभग 90% से अधिक भारतीयों की कुंडली मे पितृदोष है ही । और जब तक पितृदोष है, सफलता पाई ही नही जा सकती , चाहे आप कितने भी योग्य क्यो न् हो ।। पितृदोष कालसर्प दोष को लगभग एक ही जानो ……वराह पुराण में पितरो ने , स्वयं को प्रसन्न करने के कई मार्ग बताए है …. मैं वह लिख रहा हूँ उन्हें पढ़कर तुमको आदरपूर्वक वैसा ही आचरण करना चाहिये ।
न मेऽस्ति वित्तं न धनं न चान्य
च्छ्राद्धस्य योग्यं स्वपितृन्नतोऽस्मि ।
तृप्यन्तु भक्त्या पितरो मयैतौ
भुजौ ततौ वर्त्मनि मारुतस्य ॥
मेरे पास श्राद्धकर्म के योग्य न धन – सम्पत्ति है और न कोई अन्य सामग्री अतः मैं अपने पितरोंको प्रणाम करता हूँ । वे मेरी भक्ति से ही तृप्ति लाभ करें । मैंने अपनी दोनों बाहे आकाश में उठा रखी हैं ।
मात्र इतने से कर्म से बड़े से बड़ा पितृदोष समाप्त हो जाता है ।। आप भी कुछ महीने श्रद्धा से यही करके देखे । कुछ और नही, यह जो सड़क पर आश्रयहीन नन्दी महाराज घूमते है, इन्ही की सेवा करें ।। पितृदोष उसी में उतर जाएगा ।