Sshree Astro Vastu

Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors

वराह पुराण से पितृदोष ( पितृऋण ) और कालसर्प दोष उतारने का सबसे सुलभ मार्ग

हमारे जीवन की लगभग समश्याओ का कारण पितृदोष ही बनता है ।। चाहे वह पारिवारिक सुख की कमी हो, या आर्थिक सुख की, अथवा अन्य किसी सुखकी ….

 

इस समय लगभग 90% से अधिक भारतीयों की कुंडली मे पितृदोष है ही । और जब तक पितृदोष है, सफलता पाई ही नही जा सकती , चाहे आप कितने भी योग्य क्यो न् हो ।। पितृदोष कालसर्प दोष को लगभग एक ही जानो ……वराह पुराण में पितरो ने , स्वयं को प्रसन्न करने के कई मार्ग बताए है …. मैं वह लिख रहा हूँ उन्हें पढ़कर तुमको आदरपूर्वक वैसा ही आचरण करना चाहिये ।

 

  • पितृगण कहते हैं- कुल में क्या कोई ऐसा बुद्धिमान् धन्य मनुष्य जन्म लेगा जो वित्तलोलुपता को छोड़कर हमारे निमित्त पिण्डदान करेगा ??
  • सम्पत्ति होने पर जो हमारे उद्देश्य से ब्राह्मणों को रत्न , वस्त्र , यान एवं सम्पूर्ण भोग – सामग्रियों का दान करेगा??

 

  • अथवा केवल अन्न – वस्त्रमात्र वैभव होनेपर श्राद्धकाल में भक्तिविनम्र – चित्त से श्रेष्ठ ब्राह्मणों को यथाशक्ति भोजन ही करायेगा या अन्न देनेमें भी असमर्थ होने पर ब्राह्मण श्रेष्ठों को वन्य फल – मूल , जंगली शाक और थोड़ी – सी दक्षिणा ही देगा???

 

  • यदि इसमें भी असमर्थ रहा तो किसी भी द्विजश्रेष्ठ को प्रणाम करके एक मुट्ठी काला तिल ही देगा ??

 

  • अथवा हमारे उद्देश्य से पृथ्वी पर भक्ति एवं नम्रतापूर्वक सात – आठ तिलों से युक्त जलाञ्जलि ही देगा??

 

  • यदि इसका भी अभाव होगा तो कहीं न – कहीं से एक दिन का चारा लाकर प्रीति और श्रद्धापूर्वक हमारे उद्देश्य से गौ (नंदी) को खिलायेगा ??

 

  • इन सभी वस्तुओंका अभाव होने पर वन ( खुले स्थान का एकांत ) में जाकर अपने कक्षमूल ( बगल ) को दिखाता हुआ सूर्य आदि दिक्पालों से उच्चस्वर से यह कहेगा

न मेऽस्ति वित्तं न धनं न चान्य

च्छ्राद्धस्य योग्यं स्वपितृन्नतोऽस्मि ।

तृप्यन्तु भक्त्या पितरो मयैतौ

भुजौ ततौ वर्त्मनि मारुतस्य ॥

 

मेरे पास श्राद्धकर्म के योग्य न धन – सम्पत्ति है और न कोई अन्य सामग्री अतः मैं अपने पितरोंको प्रणाम करता हूँ । वे मेरी भक्ति से ही तृप्ति लाभ करें । मैंने अपनी दोनों बाहे आकाश में उठा रखी हैं ।

 

मात्र इतने से कर्म से बड़े से बड़ा पितृदोष समाप्त हो जाता है ।। आप भी कुछ महीने श्रद्धा से यही करके देखे । कुछ और नही, यह जो सड़क पर आश्रयहीन नन्दी महाराज घूमते है, इन्ही की सेवा करें ।। पितृदोष उसी में उतर जाएगा ।

Share This Article
error: Content is protected !!
×