‘नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध-भात का भोजन करियो, हमरी बात राम से कहियो’, उत्तर भारत में ये लोकोक्ति काफी प्रसिद्ध है. पर क्या आप जानते हैं कि ये किसके लिए कही जाती है और इस कहावत में भगवान शिव (Lord Shiv) यानी नीलकंठ (Neelkanth) और भगवान राम (Lord Ram) का जिक्र क्यों हुआ है? दुनिया में ऐसे कई पक्षी हैं जो इंसान की धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं. भारत में कई पक्षियों को भगवान स्वरूप माना जाता है. ऐसी ही एक चिड़िया है जो भगवान शिव के रूप की तरह पूजी जाती है. इस चिड़िया का नाम है नीलकंठ (Neelkanth Bird).
इंडियन रोलर चिड़िया (Indian Roller Bird) यानी नीलकंठ भारत समेत एशिया के कई और हिस्सों में पायी जाती है. इसकी रिश्तेदार यूरोपियन रोलर मध्य एशिया, मिडिल ईस्ट और मोरक्को में मिलती है. दिखने में बेहद खूबसूरत, नीलकंठ पक्षी भारतीयों की धार्मिक आस्था में अहम किरदार निभाती है. इस पक्षी से जुड़ी मान्यताएं भी काफी रोचक हैं.
कैसे मिला भगवान शिव का नाम?
पक्षी का नाम नीलकंठ, भगवान शिव के नाम पर पड़ा है. समुद्र मंथन ने दौरान जब विष से भार कलश निकला तो भगवान शिव ने दुनिया को बचाने के लिए उसे पी लिया जिसके बाद उनका गाला नीला पड़ गया. इस कारण से उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा. नीला रंग होने के कारण इस पक्षी को भी भगवान शिव का ही रूप माना जाता है. यही वजह है कि इसे भारत में नीलकंठ नाम से पुकारते हैं.
दश कूप समा वापी, दशवापी समोहनद्रः ।
दशनद समः पुत्रों, दशपुत्रो समो द्रमुः ।
दस कुओं के बराबर एक बावड़ी होती है, दस बावड़ियों के बराबर एक तालाब, दस तालाबों के बराबर एक पुत्र और दस पुत्रों के बराबर एक वृक्ष होता है।
नीलकंठ को दशहरे (Dussehra) के दिन देखना बेहद शुभ होता है. माना जाता है कि जिसे भी ये चिड़िया दशहरे के दिन नजर आती है उसे धन का लाभ होता है और उसकी किस्मत चमक जाती है. इसके पीछे भी एक कहानी है. दरअसल, भगवान राम ने नीलकंठ पक्षी को देखने के बाद ही रावण का वध किया था जिसे दशहरा के रूप में मनाया जाता है. इस वजह से चिड़िया को गुड लक का प्रतीक भी मानते हैं.