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निदान इस शुभ प्रसंग पर इसे ‘मटका’ मत कहो। अक्षय तृतीया की पूजा के लिए खरीदारी करने गया था।

कुंभार (कुम्हार) से कहा, “एक मटका देना।”

वह तुरंत मेरी ओर देखकर बोला, “इस खास अवसर पर तो कम से कम इसे मटका मत कहो।”

असल में मुझे भी नहीं पता था कि इसे ठीक से क्या कहते हैं। जिज्ञासावश मैंने उससे पूछा, “तो इसे क्या कहते हैं?”

उसने बताया, “स्वर्गीय माता के रूप में लाल रंग के बर्तन को केळी’ और स्वर्गीय पिता के रूप में काले रंग के बर्तन को करा’ कहते हैं।”

मेरे अभिजीत भाषा शब्दकोश में दो नए शब्द जुड़ गए।

यह जानकर अच्छा लगा कि मराठी में मिट्टी के बर्तन को उसकी उपयोगिता और अवसर के अनुसार अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है।

  • पानी रखने वाला… माठ
  • अंतिम संस्कार के लिए… मटका
  • नवरात्रि में… घट
  • बजाने के लिए… घटम्
  • संक्रांति पर… सुगड
  • दही हांडी में… हांडी
  • दही जमाने के लिए… गाडगं
  • लक्ष्मी पूजन के लिए… बोळकं
  • विवाह में… अविघ्न कलश
  • और
  • अक्षय तृतीया पर… केळी और करा

वास्तव में, हमारी मराठी भाषा बहुत ही समृद्ध और विविधताओं से भरपूर है।

मुझे इतना पता था कि शुभ अवसरों पर हाथ में जो बर्तन पकड़ा जाता है उसे करा’ कहते हैं,
लेकिन यह जानकारी नहीं थी कि अक्षय तृतीया पर उसे केळी’ और करा’ कहा जाता है।
क्या आपको पता था?

मुझे जो जानकारी पहले नहीं थी, वही मैं आप सभी के सामने रख रहा हूँ।

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