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काशी के अष्टमहाभैरव यात्रा फल

भैरवा रुरुमुख्याश्च महाभयनिवारकाः ।

 

संपूज्याः सर्वदा काश्यां सर्वसंपत्तिहेतवः ।।

 

(का० ख० अ० ७२, श्लो० १०३

अष्टम्यां च चतुर्दश्यां रविभूमिजवासरे ।

 

यात्रां च भैरवी कृत्वा कृतैः पापैः प्रमुच्यते ।।

 

(का० ख० अ० ३१, श्लो० १४७)

फल

 

जो प्राणी अगहन कृष्ण एकम या चतुर्दशी रविवार या मंगलवार अथवा अष्टमी पूर्वोक्त तिथि इन वारो के होने पर यह यात्रा करता है, इस महाभय क्षेत्र में उसके काशीकृत पापों की अन्त होती है और भैरवीदण्ड से वह मुक्त हो जाता हैं।

अष्टमहाभैरव का मन्दिर आठ मन्दिरों का दर्शन होता है।

 

(१)रूरूभैरव

(२)चण्डभैरव

(३)असितांगभैरव

(४)कपालभैरव

(५)क्रोधनभैरव

 (६)उन्मत्तभैरव

(७)संघारभैरव

(८)भीषणभैरव

 

चेतावनी

 

प्रत्येक मन्दिरों में शास्त्रोक्त व पुराणोक्त मंत्रो सहित यात्रा करना चाहिए, अनेक प्रकार के पुजन और प्रार्थना से यात्रा सम्पूर्ण व फलदायक होते हैं अन्यथा यात्रा निष्फल होते हैं। 

 

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