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कुंडली में राजयोग

ज्योतिष शास्त्र को भूत और भविष्य जानने का बेहद महत्वपूर्ण जरिया माना गया है। कुंडली में ग्रहों की अवधारणा पर जीवन के उतार चढ़ाव निर्धारित होने की बात कही गई है। एक ही समय में एक व्यक्ति राजा बन जाता है और दूसरे को नुकसान हो जाता है। ये सब कुंडली में बनते बिगड़ते योगों के चलते होता है। ऐसा ही एक योग है जिसे राजयोग कहा जाता है। राजयोग वो शुभ योग कहा जाता है जिसमें व्यक्ति अपने अच्छे कर्मों के सबसे शुभ फल पाता है औऱ उसे राजा के समान जीवन और भौतिक सुख सुविधाएं मिलती है। जब कुंडली में राजयोग बनता है तो जातक जिस काम में हाथ डालता है, वहां सफलता मिलती है। उसके हर काम बन जाते हैं, हर तरह के सुख मिलते हैं और जीवन किसी राजा के समान व्यतीत होता है. आपको बता दें कि ग्रहों की विशेष परिस्थितियां ही किसी की कुंडली में राजयोग का निर्माण करती हैं।

  महाराज योग

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लग्नेश पंचम में पंचमेश लग्र में हो, आत्मकारक और पुत्रकारक दोनों लग्र या पंचम में हों, अपने उच्च, राशि या नवांश में तथा शुभग्रह में दृष्ट हो तो महाराज योग होता है। इस योग से जन्म लेने वाला व्यक्ति निश्चयत: राज्यपाल या मुख्यमंत्री होता है।

 

  कमल योग

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यह योग तब बनता है जब समस्त शुभ एवं अशुभ ग्रह केवल केंद्र भावों में ही हों अर्थात समस्त ग्रह प्रथम, चतुर्थ, सप्तम और दशम भाव में हों तो यह कमल योग कहलाता है। इस योग में जन्म लेने वाला जातक यशस्वी, विजयी और धनी होता है। वह अपने जीवन में मंत्री या राज्यपाल बनता है।

 

इस योग में जन्म लेने वाला जातक शासनाधिकारी अवश्य बनता है वह सभी पर शासन करता है एवं बड़े-बड़े लोग उससे सलाह लेने आते हैं।

 

  यूप योग

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जन्म लग्र से लगातार चार स्थानों में सभी ग्रह हों तो यूप योग होता है। इसके प्रभाव से वह ग्राम पंचायत एवं नगरपालिका के चुनावों में विजय प्राप्त करता है। वह ग्राम पंचायत का सदस्य या मुखिया होता है। उसे दूसरों के आपसी विवाद निपटाने में विशेष रुचि और दक्षता प्राप्त होती है।

 

  मूसल योग

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जन्म कुंडली में समस्त ग्रह वृष, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि में हो तो मूसल योग होता है। इस योग में जन्म लेने वाला जातक राजमान्य, प्रसिद्ध, ज्ञानी, धनी, बहुत पुत्र वाला, एम.एल.ए. या शासनाधिकारी होता है।

 

  नल योग

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जन्म कुंडली में समस्त ग्रह द्विस्वभाव राशियों में हो तो यह योग होता है। इस योग में जन्मा जातक अति चतुर, धन संग्रहकारी,राजनीति में दक्ष और हर प्रकार के चुनावों में सफलता प्राप्त करने वाला होता है।

 

  माला योग

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बुध, गुरु और शुक्र चतुर्थ, सप्तम और दशम भाव में हों तो माला योग होता है। इस योग वाला जातक धनी, वस्त्राभूषण युक्त, भोजनादि से सुख, अधिक स्त्रियों से प्रेम करने वाला एवं एम.पी. होता है। पंचायत के निर्वाचन में भी उसे पूर्ण सफलता मिलती है।

 

  छत्र योग

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जन्म कुंडली में सप्तम भाव से आगे के 7 स्थानों में समस्त ग्रह हो तो छत्र योग होता है अर्थात समस्त शुभ एवं अशुभ ग्रह कुंडली के अष्टम भाव से दूसरे भाव तक हों तो यह छत्र योग होता है। इस योग वाला व्यक्ति धनी, परिवार के सदस्यों का भरण-पोषण करने वाला होता है। यह जातक बहुत लोकप्रिय, राज कर्मचारी एवं उच्च पदाधिकारी और अपने कार्य में ईमानदार होता है।

 

  चक्र योग

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लग्न से आरंभ कर एकांतर से छह स्थानों में अर्थात एक-एक भाव छोड़ कर जैसे प्रथम, तृतीय, पंचम, सप्तम, नवम और एकादश भाव में सभी ग्रह हों तो चक्र योग होता है। इस योग वाला जातक देश का राष्ट्रपति या राज्यपाल होता है। यह योग राजयोग भी गिना जाता है। इस योग वाला जातक राजनीति में दक्ष होता है।

 

  दाम योग

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यदि जन्म कुंडली में समस्त ग्रह किन्हीं भी छह राशियों में हों तो यह दाम योग कहलाता है। इस योग वाला जातक परोपकारी, परम ऐश्वर्यवान प्रसिद्ध व्यक्ति होता है। इसकी राजनीति में रुचि तो होती है किन्तु उसे सफलता कम मिलती है।

  गज केसरी योग

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लग्न अथवा चंद्रमा से यदि गुरु प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में हो और केवल शुभग्रहों से दुष्ट या युत हो तथा गुरु अस्त, नीच और शत्रु राशि में न हो तो गज केसरी योग होता है। इस योग वाला व्यक्ति राजनीति में दक्ष होता है और यह मुख्यमंत्री बनता है।

 

  वीणा योग

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समस्त शुभ, अशुभ ग्रह किन्हीं भी सात राशियों में हों तो यह योग होता है। इस योग वाला जातक गीत, नृत्य, वाद्य से स्नेह तो करता ही है किन्तु इसके साथ-साथ वह राजनीति में सफल संचालक होता है। वह काफी धनी और नेता होता है।

 

  पर्वत योग

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यदि सप्तम और अष्टम भाव में कोई ग्रह नहीं हो और यदि कोई हो भी तो वह ग्रह शुभ ग्रह अवश्य होगा और सब शुभ ग्रह केंद्र में हों तो यह पर्वत नाम का योग होता है। इस योग वाले व्यक्ति भाग्यवान, वक्ता, शास्त्रज्ञ, प्राध्यापक, हास्य व्यंग्य, लेखक, यशस्वी, तेजस्वी होते हैं। मुख्यमंत्री भी इसी योग से बनते हैं।

 

  काहल योग

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लग्रेश बली हो, सुखेश और बृहस्पति परस्पर केंद्रगत हों अथवा सुखेश और दशमेश एक साथ उच्च या स्वराशि में हों तो काहल योग होता है। इस योग में उत्पन्न व्यक्ति बली, साहसी, धूर्त, चतुर और राजदूत होता है। काहल योग राजनीतिक अभ्युदय का भी सूचक है।

 

  चामर योग

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लग्नेश अपने उच्च में होकर केंद्र में हो और उस पर गुरु की दृष्टि हो अथवा शुभ ग्रह लग्न, नवम, दशम और सप्तम भाव में हो तो चामर योग होता है। इस योग में जन्म लेने वाला राजमान्य, मंत्री, दीर्घायु पंडित वक्ता और समस्त कलाओं का ज्ञाता होता है।

 

  शंख योग

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लग्रेश बली हो और पंचमेश तथा षष्ठेश परस्पर केंद्र में हो अथवा भाग्येश बली हो तथा लग्नेश और दशमेश चर राशि में हो तो शंख योग होता है। इस योग में उत्पन्न व्यक्ति दयालु, पुण्यात्मा, बुद्धिमान, सुकर्मा और चिरंजीवी होता है। मंत्री के पद भी इसे प्राप्त होते हैं।

 

  श्रीनाथ योग

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सप्तमेश दशम भाव में सर्वोच्च हो और दशमेश नवमेश से युक्त हो तो श्रीनाथ योग होता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति एम.एल.ए., एम.पी. तथा मंत्री बनता है।

 

  कूर्म योग

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शुभ ग्रह 5, 6, 7वें स्थान में अपने-अपने उच्च में हों तो कूर्म योग होता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति राज्यपाल, मंत्री और धर्मात्मा, मुखिया, गुणी, यशस्वी, उपकारी, सुखी और नेता होता है।

 

  लक्ष्मी योग

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लग्नेश बलवान हो और भाग्येश अपने मूल त्रिकोण उच्च या स्वराशि में स्थित होकर केंद्रस्थ हो तो लक्ष्मी योग होता है। इस योग वाला जातक पराक्रमी, धनी, यशस्वी, मंत्री, राज्यपाल एवं गुणी होता है।

 

  कुसुम योग

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स्थिर राशि लग्न में दो, शुक्र केंद्र में दो और चंद्रमा त्रिकोण में शुभग्रहों से युक्त हो तथा शनि दशम स्थान में हो तो कुसुम योग होता है। इस योग में उत्पन्न व्यक्ति सुखी, योगी, विद्वान, प्रभावशाली, मंत्री, एम.पी., एम.एल.ए. आदि होता है।

 

  लग्राधि योग

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लग्र से 7, 8 वें स्थान में शुभ ग्रह हो और उन पर पाप ग्रह की दृष्टि या योग न हो तो लग्राधि नामक योग होता है। इस योग वाला व्यक्ति महान विद्वान, महात्मा सुखी और धन सम्पत्ति से युक्त होता है। राजनीति में भी यह व्यक्ति अद्भुत सफलता प्राप्त करता है। लग्राधि योग के होने पर जातक को सांसारिक सभी प्रकार के सुख और ऐेश्वर्य प्राप्त होते हैं।

 

  अधि योग

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चंद्रमा से 6, 7, 8वें भाव में समस्त शुभ ग्रह हों तो अधियोग होता है। इस योग में जन्म लेने वाला मंत्री, सेनाध्यक्ष, राज्यपाल आदि पदों को प्राप्त करता है। अधियोग के होने से व्यक्ति अध्ययनशील होता है और वह अपनी बुद्धि तथा तेज के प्रभाव से समस्त व्यक्तियों को आकृष्ट करता है।

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