
🔹 यदि लग्नेश उच्च राशि में हो और लग्न या तीसरे भाव में उच्च का हो, तो चोर किसी उच्च और प्रतिष्ठित परिवार से होता है।
🔹 यदि सप्तमेश उच्च राशि में होकर चौथे भाव में हो, तो चोर माँ, मामी, मामा या मावशी में से कोई हो सकता है।
🔹 यदि सप्तमेश स्त्री ग्रह हो और सातवें भाव में स्थित हो, तो चोर भाई, भतीजा या बेटे की पत्नी हो सकती है।
🔹 यदि सप्तमेश पुरुष ग्रह हो और सातवें भाव में हो, तो चोर परिवार का ही कोई सदस्य होता है।
🔹 यदि लग्नेश और सप्तमेश लग्न में इत्यशाल (इच्छाशक्ति/संयोग) बना रहे हों, तो व्यक्ति स्वयं चोर होता है।
🔹 यदि सूर्य और चंद्र लग्न पर शुभ दृष्टि रखते हों, तो चोर कोई अपना परिचित या मित्र होता है। यदि वे शत्रु दृष्टि रखते हों, तो चोरी शत्रु के षड्यंत्र से हुई है। इस स्थिति में शत्रु अक्सर चोरी में सीधे शामिल होता है।
🔵 चोरी किया हुआ सामान कहाँ मिलेगा? (लग्न के आधार पर)
🔹 मेष लग्न: सामान जमीन के नीचे गाड़ा हुआ मिलेगा।
🔹 वृषभ लग्न: सामान गाय-भैंस के बाड़े में छिपा होगा।
🔹 मिथुन लग्न: सामान नृत्य, संगीत या मनोरंजन स्थल के पास छिपा होगा।
🔹 कर्क लग्न: पानी के पास जमीन में गाड़ा मिलेगा।
🔹 सिंह लग्न: सामान जंगल में किसी पेड़ के नीचे छिपा होगा।
🔹 कन्या लग्न: सामान रसोईघर या बेडरूम में छिपा होगा।
🔹 तुला लग्न: सामान दुकान या गोदाम में पाया जाएगा।
🔹 वृश्चिक लग्न: सामान किसी मिट्टी के बर्तन में जमीन के भीतर गाड़ा होगा।
🔹 धनु लग्न: सामान जंगल में कहीं मिलेगा।
🔹 मकर लग्न: सामान किसी जल स्रोत के पास मिलेगा।
🔹 कुंभ लग्न: सामान मंदिर, कुएँ या तालाब के पास मिलेगा।
🔵 चौथे भाव में ग्रह के अनुसार चोरी का स्थान:
🔹 सूर्य: सामान बेडरूम में मिलेगा।
🔹 चंद्र: सामान बाथरूम या पानी के पास मिलेगा।
🔹 मंगल: सामान गाय-भैंस के बाड़े, लोहार/कुम्हार/कारीगर की जगह पर मिलता है।
🔹 बुध: सामान ड्रॉइंग रूम, कला दीर्घा, स्कूल या पुस्तकालय में मिलेगा।
🔹 गुरु: सामान मंदिर, मस्जिद, चर्च या तीर्थ स्थान पर मिलेगा।
🔹 शुक्र: सामान वेश्यालय या मनोरंजन स्थलों पर मिलता है।
🔹 शनि: सामान अंधेरी जगह या जमीन के नीचे छिपा होता है।
🔹 राहु: सामान किसी खंडहर या जंगल के पेड़ के नीचे छिपा होता है।
🔹 केतु: सामान किसी अस्पृश्य, कसाई, नाविक या भील समुदाय की बस्ती में मिलता है।
🔵 चोर पकड़ा जाएगा या नहीं?
🔹 यदि सप्तमेश और मंगल के बीच ईसराफ योग हो, तो चोर पकड़ा जाता है।
🔹 यदि शनि और चंद्र सप्तमेश पर दृष्टि रखें, तो चोर चालाकी से बच निकलता है और पकड़ा नहीं जाता।
🔹 यदि बुध और चंद्र सप्तमेश पर दृष्टि रखें, तो चोर धोखेबाज़ और चालाक होता है—पकड़ा जाने पर भी हाथ नहीं आता।
🔹 यदि लग्नेश और धन भाव का स्वामी (धनेश) शुभ दृष्टि में हों, तो पुलिस चोर को पकड़ लेती है।
🔹 यदि गुरु, शुक्र या अन्य शुभ ग्रह पंचमेश और दशमेश पर दृष्टि रखें, तो चोर पुलिस के हाथ लग जाता है।
🔹 यदि नवमेश और तृतीयेश में इत्यशाल हो और धनेश की दृष्टि भी हो, तो चोर विदेश भाग जाने के कारण पकड़ा नहीं जाता।
🔹 यदि सप्तमेश केंद्र स्थान में हो और सूर्य के साथ अस्त हो जाए, तो चोर की मृत्यु हो जाती है।
🔹 यदि सप्तम भाव में अशुभ ग्रह हों और दशमेश पर मंगल की दृष्टि हो, तो चोर पुलिस द्वारा पकड़ा जाता है और कड़ी पिटाई के बाद अपराध स्वीकार कर लेता है।
🔹 यदि लग्नेश लग्न में हो या लग्नेश और सप्तमेश दोनों चौथे भाव में हों, तो चोर कभी पकड़ा नहीं जाता।
🔹 यदि सप्तमेश आठवें भाव में हो और अष्टमेश सातवें भाव में हो, तो चोरों के दल में फूट पड़ जाती है, उनका रहस्य उजागर हो जाता है और धीरे-धीरे सभी चोर पकड़े जाते हैं।