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पौष पुत्रदा एकादशी व्रत

 { पुत्र संतान प्राप्ति या अपने संतान की रक्षा के लिए करें पुत्रदा एकादशी व्रत }

 

हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष दो पुत्रदा एकादशी व्रत आता है एक श्रावण मास में पुत्रदा एकादशी दूसरी पौष माह पुत्रदा एकादशी

 

 सबसे पहले आप सभी को जन-जन के नायक एवं समग्र सृष्टि के प्राण एवं रचयिता तथा पालन कर्ता अयोध्या में बिराजित होने वाले प्रभु श्री राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की बहुत-बहुत बधाई एवं मंगल शुभकामनाएं

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पौष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत मनाया जाता है जो इस बार 21 जनवरी 2024, रविवार के दिन है

 

विशेष

 

एकादशी कल 20 जनवरी 2024, शनिवार शाम 7:26 से शुरू होकर 21 जनवरी 2024 रविवार शाम 7:28 तक है

 

किंतु सूर्य उदय तिथि के अनुसार एकादशी का व्रत 21 जनवरी 2024 रविवार के दिन रखें शनिवार शाम को एवं रविवार व्रत के दिन चावल या चावल से बनी हुई चीज वस्तु का  प्रयोग  भोजन में ना करें अगर आप व्रत नहीं रखते हैं तो भी

 

इस दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है. सुबह स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने के पश्चात श्रीहरि का ध्यान करना चाहिए

 

पुत्रदा एकादशी महत्व

 

इस व्रत के नाम के अनुसार ही इसका फल है। जिन व्यक्तियों को संतान होने में बाधाएं आती है अथवा जो व्यक्ति पुत्र प्राप्ति की कामना करते हैं उनके लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत बहुत ही शुभफलदायक होता है. इसलिए पुत्रसंतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को व्यक्ति विशेष को अवश्य रखना चाहिए, या फिर जिन लोगों को संतान है तो उनकी आरोग्य की एवं जीवन रक्षा हेतु भी पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाता है जिससे उसे मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सके।

 

 पुत्रदा एकादशी पूजन विधि

 

पुत्रदा एकादशी के दिन प्रभु श्री कृष्ण के बाल गोपाल की पूजा करनी चाहिए , बाल गोपाल की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए. धूप-दीप आदि से भगवान नारायण की अर्चना की जाती है, उसके बाद  फल-फूल, नारियल, पान, सुपारी, लौंग, बेर, आंवला आदि व्यक्ति अपनी सामर्थ्य अनुसार भगवान नारायण को अर्पित करते हैं. पूरे दिन निराहार रहकर संध्या समय में कथा आदि सुनने के पश्चात फलाहार किया जाता है. इस दिन दीप दान करने का महत्व है.

 पुत्र संतान की कामना के  लिए क्या करें

 

प्रातः काल पति-पत्नी दोनों संयुक्त रूप से भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें

 

 विवाहित दंपति ब्रह्म मुहूर्त में चांदी के लोटे में दूध में मिश्री मिलाकर पीपल की जड़ में चढ़ाएं

 

 पीले वस्त्र पहनकर प्रभु श्री हरि विष्णु जी की या बाल गोपाल की पूजा करने से प्रभु श्री हरि विष्णु जल्दी प्रसन्न होते हैं

 

 शाम के समय तुलसी की जड़ में घी का दिया जलाने से संतान पर आने वाले कष्ट टल जाते हैं

 

संतान गोपाल मंत्र का जाप करें

 

मंत्र जाप के बाद पति-पत्नी प्रसाद ग्रहण करें

 

 ब्राह्मणों को श्रद्धानुसार दक्षिणा दें और उन्हें भोजन कराएँ

 

 

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