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इन कोल्डड्रिंक की 2 लीटर वाली खाली बोतलों ने गांवों से कमाने निकले लड़को के पास घी पहुंचाने में सबसे ज्यादा हेल्प की है।
स्टील के डोलूओं के कितने भी ढक्कन टाइट कर लेते थे।
कपड़े चिकने हुवे बिना नही रहते थे।
आजकल तो जिसको देखो घी मत खाओ बोलते मिलते है।
और इसी वजह से 60-70 तक जाते जाते सबके घुटने जवाब दे जाते है।
दरअसल हमने बाजार में मिलने वाले मिलावटी नकली घी की तुलना देशी घी से कर दी है।
जिन्होंने शुद्ध देसी घी कभी खाया ही नही वो शहरों में देशी घी के नाम पर, गोवर्धन, मधुसूदन, एवरीडे और अमूल जैसे घी के डब्बे या डेयरी से 500- 700 रुपये किलो का मिलावटी नकली घी लाकर सोचते है हम देशी घी खा रहे है।
इसलिए थोड़े समय बाद डॉक्टर भी बोल देते क्लोस्ट्रोल बढ़ गया है। घी बन्द कर दो।
जमीन आसमान का अंतर है दोनो घी में और इनके बनाने की पद्धति में, बड़े ब्रांड का घी जो डेनमार्क से आये पावडर से क्रीम बना कर उसे मशीनों से गर्म कर के पका कर तमाम केमिकल्स और खुशबू वाला एसेंस डालकर सुंदर सी पैकिंग कर के बड़े नाम टीवी पर प्रचार और सस्ता होने की वजह से बिक जाता है लोग समझते है फिल्मी एक्टर कह रहा है तो अच्छा ही होगा…उन्हें आपके स्वास्थ्य से कोई लेना देना नही उन्होंने उस प्रचार की मोटी फीस ली है।
शुद्ध घी जो देसी गाय के दूध को जमा कर दही बना कर उसे बिलो कर लोनी निकाल कर तब उसे जो पका कर बनता है वह होता है शुद्ध A2 बिलोना घी जिसकी न केवल खुश्बू प्राकृतिक होती है बल्कि घी भी प्राकृतिक होता है।
लुभावने प्रचार में आकर सस्ते के चक्कर मे हमने नकली मिलावटी घी खाया और बदनाम किसानों का शुद्ध देशी घी हुआ।
इस नकली मिलावटी घी के गोंद के लड्डू प्रेगनेंसी के बाद महिलाओ से लेकर हार्ड मेहनत काम करने वाले लोगो तक को सिर्फ ताकत के नाम पर खिलाये गए और जिन्होंने खाया उन्हें पता है ताकत है या नही।
हमारी साइड हरियाणा में तो आज भी लोग बोतले लेकर घूम रहे है। गर्म पानी मे डालकर निकाल लेते है।
सुना है कैंट से एक मेजर जर्नल जब हरियाणा में अपने गांव गए तो वँहा एक ताई को पता चला कि जर्नल उसी केंट में से आया है जिसमे उसका बेटा है तो उसने अपने बेटे के लिये भी घी का डोलू भर के उसे पकड़ा दिया कि वँहा जद जा तो मेरे बेटे को दे दिये।
और उस घी को देने जब खुद जर्नल साहब उस जवान के पास गाड़िया लेकर पहुंचे तो सबने पूछा कि सर आप क्यों आये किसी के हाथ भिजवा देते या हम ले आते।
तो जर्नल साहब ने बोला कि एक माँ का प्यार है इस घी में है
मैं उसे किसी दूसरे के भरोसे थोड़ी भेज सकता था।
ले भाई तेरा घी, खा और दौड़ता रह और देश सेवा कर।
अब भी बहुत से जर्नल से लेकर दूसरे बड़े बुजुर्ग लोग जो गांव से जुड़े हैं जिन्हें इस विषय की जानकारी है वो घी इत्यादि अभी भी अपने गांवो से मंगवाते है।
मुझसे भी बहुत लोग कहते हैं महाराज जी इतना महंगा घी तो में उनसे कहता हूँ घी महंगा नही है शुद्ध घी के दाम तो यही है आपने शुद्ध खाया ही नही तो आपको न घी की शुद्धता का पता है ना उसके दाम का आज भी आप अच्छी गौशालाओं में जाइये और पूछिये घी क्या भाव है 1500-2000 से कम में नही समझता आपको पूरे देश मे कंही मिलेगा अधिकतर में तो मिलेगा ही नही क्योंकि वह दूध की ही पूर्ति नही कर पाते और देसी गाय का दूध भी कम से कम 70₹ में मिलता है ये में सबसे कम बता रहा हूँ अब आप समझिए एक लीटर घी बनाने में लगभग 20 लीटर दूध लगता है तो दूध की कोस्ट ही हो गयी 1400 तो अब इससे भी कम में अगर कोई आपको कह रहा है कि शुद्ध घी है तो आप स्वयं बेवकूफ़ बन रहे हैं या वो आपको बना रहे हैं,,इस पर विचार कीजिये।
एक आज कल टीवी में प्रचार आता है गाड़ी के इंजिन ऑयल का राहुल द्रविड़ का जो कहते है इतना डिस्कशन (गम्भीर चिंतन) क्या गाड़ी के इंजिन ऑयल के लिए कभी किया है।
में भी आपसे कहता हूँ जो शरीर गाड़ी के रूप में हमे मिला है कभी हमने इसके इंजिन ऑयल के विषय मे गम्भीर चिंतन किया है जो तेल घी दूध के रूप में इसमें डाला जाता है जिससे शरीर मजबूत बनता है तीनो हमने इसमें मिलावटी नकली डाला और डाल रहे हैं तो क्या स्मूथ चलेगा ये पहले जो लोग शुद्ध खाते थे पूरे दिन शारीरिक मेहनत कर लेते थे थकान नही होती थी अब एक घण्टे में हाँफने लगते हैं।
*कपड़े अच्छे ब्रांडेड महंगे ढूंढते हो लेते हो, स्कूल महंगा ढूंढते हो, घर महंगा, गाड़ी महंगी, घड़ी, मोबाइल महंगे, सेलून पार्लर महंगे क्रीम महंगी और जो अंदर से प्राकृतिक तरीके से त्वचा की चेहरे की ग्लो बढ़ाते है वो सस्ता और सस्ते के चक्कर मे फिर नकली मिलावटी बाहर से कितना भी फेसियल करा लो ग्लो तो अंदर से ही आएगी..साधुओ को देखा है जो कभी पार्लर सेलून जाते ही नहीं उनके चेहरे पे तेज और ग्लो क्योंकि वह अपने आश्रमो में गौपालन करते हैं उनका दूध, दही, घी पीते है खाते हैं ये होता है शुद्ध दूध घी का प्रभाव..इसलिये शुद्ध खाइये स्वस्थ रहिये..