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व्यापार में उन्नति

हम में से कई लोग व्यापार करते है और अच्छी कामयाबी व्यापार में प्राप्त कर लेते है और कुछ लोग बार बार व्यापार में नुकसान उठाते रहते है।अब अगर बार बार व्यापार में नुकसान हो रहा है और बार बार व्यापार परिवर्तन होकर नुकसान ही होता जा रहा है लाभ नही हो रहा चल नही रहा व्यापार तो व्यापार कैसे अच्छा चले और कैसे अच्छी कामयाबी, कब तक व्यापार अच्छा चलेगा, व्यापार से अच्छा लाभ मिलता रहे अब इसी बारे में समझते है।                                                           

कुंडली मे 10वा भाव व्यापार का है तो बुध शनि व्यावसायिक ग्रह है अब जब दसवाँ भाव/दसवें भाव स्वामी और बुध शनि की स्थिति कुंडली मे आपकी कमजोर या किसी तरह के अशुभ योगों से प्रभावित है या होती है तब व्यापार में नुकसान और घाटा होता रहता है जैसे दसवे भाव स्वामी नीच के हो, पाप ग्रहों से पीड़ित हो,

अशुभ योगों में हो या व्यापार योग कमजोर हो इसके अलावा बुध शनि की कमजोर या अशुभ स्थिति भी व्यापार में नुकसान देती रहेगी।अब कुंडली का 11वा भाव और 11वे भाव स्वामी व्यापार से होने वाले फायदे, आर्थिक लाभ देता है अगर यह भाव/भावेश अशुभ स्थिति में कुंडली मे होगा या है तब भी व्यापार में नुकसान होता रहेगा।अब एक तो यह नुकसान खराब ग्रह दशाओ के कारण रह सकता है या 11वे भाव/10वे भाव के उपरोक्त स्थिति अनुसार कमजोर या अशुभ होने के कारण भी रह सकता है जो कि कुंडली चेक करके ही सटीकता से पता चल पाएगा।अब उपरोक्त व्यापार सम्बधी दिक्कतों का उपाय करके आप व्यापार में उन्नति, सफलता, आर्थिक लाभ, नुकसान से बचकर अच्छी सफलता प्राप्त कर सकते है।अब कुछ उदाहरणों से समझते है बार बार नुकसान व्यापार में हो रहा है तो कैसे रुकेगा व्यापार में हो रहा नुकसान।

उदाहरण_अनुसार_वृष_लग्न1:-

 

वृष लग्न में दसवे भाव स्वामी शनि और दसवाँ भाव दोनों ही यहाँ कमजोर होकर राहु केतु से सम्बन्ध में अगर है और 11वा भाव मे अशुभ योग है या 11वा भाव कमजोर है तब व्यापार में नुकसान रहेगा अब यहाँ शनि व व्यापार कारक बुध कुंडली मे मजबूत है तब जिन भी अशुभ योगों, जिन भी ग्रहो या ग्रह योगों के कारण दिक्कत होकर नुकसान हो रहा है उनका उपाय करने से व्यापार में हो रहा नुकसान रुकेगा और व्यापार से लाभ और स्थिरता आएगी।                                                  

 

उदाहरण_अनुसार_धनु_लग्न2:-

 

धनु लग्न में दसवें भाव स्वामी बुध ही है यही बुध व्यापार के मुख्य ग्रह होते है अब बुध और दसवाँ भाव अगर किसी तरह के ग्रहो के अशुभ योगों में है, अशुभ प्रभाव में है या पीड़ित है तब व्यापार में नुकसान होता रहेगा, व्यापार में स्थिरता नही रह पाएगी अब यहाँ जिन भी ग्रहो के पीडित करने के कारण दसवाँ भाव व्यापार में लाभ नही दे पा रहा उन सभी के उपाय करने से लाभ और उन्नति व्यापार में होगी और नुकसान रुकेगा।                                      

 

उदाहरण_अनुसार_मीन_लग्न3:-

 

मीन लग्न में दसवें भाव स्वामी गुरु है।अब दसवाँ भाव और दसवे भाव स्वामी  गुरु यहाँ ठीक हो व्यापार के कारक बुध शनि भी कुंडली मे अच्छी स्थिति में बैठे हो लेकिन ग्रहो की महादशा अन्तर्दशाये अशुभ चल रही हो जिस कारण व्यापार में नुकसान हो रहा हो तब ग्रह दशाएँ जब अनुकूल शुरू होंगी तब या फिर उपाय कर लेने के बाद ही नुकसान रुककर व्यापार में उन्नति और लाभ होकर वृद्धि होनी चालू हो पाएगी।

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