पारले, सनफीस्ट, कैडबरी में भी मांसाहार का मिश्रण, E कोड के नाम पर शाकाहारियों के साथ धोखा
शाकाहारी और मांसाहारी खाद्य पदार्थों को हरे और लाल रंग से वर्गीकृत करने के खेल में देश के शाकाहारी समाज के साथ जबरदस्त धोखा हो रहा है और इसमें सरकारें भी शामिल हैं। मांसाहारी पदार्थों के मिश्रण को प्रोडक्ट सोर्स E कोड के जरिये अंकित करने के खेल से आम नागरिक और समाज अनजान है,
पर जब इस मामले में खोज खबर ली गई, तो सारा माजरा सामने आ गया। हर घर में पाए जाने वाले पारले, सनफीस्ट, कैडबरी, नेस्ले, ब्रिटेनिया, आईटीसी, प्रिया गोल्ड, रिगली, न्यूट्रीन, कैंडीमैन जैसी दर्जनों कंपनियों के प्रोडक्ट में मांसाहार का मिश्रण है। इस खबर के बाद शहर के जागरूक नागरिकों, धर्मगुरुओं और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं ने जरूर अपने-अपने स्तर पर प्रयास शुरू कर दिए हैं।
Parle-G
पारले
कर्जेक, पारले
जी, मोनाको, अरिंज-क्रीम बिस्किट, बटर
इन कंपनियों के उत्पादनों में है E स्रोत
सनफीस्ट सनफीस्ट बिस्किट, स्पेशल बिस्किट,
स्नैकी झिगझेग, ग्लूकोज बिस्किट
Cadbury
DAIN
कैडबरी
फाइव स्टार डेयरी मिल्क, बोर्नविटा मिल्क
कप टॉफी, कच्चा
मैंगो बाइट, किसमी बार,
पावडर, इक्लेयर
चॉकलेट, मिल्क
बटर कप
ट्रीट, जेम्सा
नेस्ले
मिल्क चॉकलेट, मेगी, टोमेटो
सॉस, मेगी नेस्ले बोन बिस्किट |
ब्रिटेनिया
ब्रिटेनिया 50-50. जिगजैग,
इस टाइम
प्रिया गोल्ड
क्लासिक क्रीम, स्की, सीएनसी, कोकोन्ट
बिस्किट रिगली के सेंटर
काम सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों को करना चाहिए, वह समाज के विभिन्न स्तर पर हो रहे है, पर सरकारी हिस्सेदारी के बगैर चल रहे इन प्रयासों को उतनी सफलता नहीं मिल रही, जितनी मिलना
चाहिए। लाल-हरे सिम्बॉल के नाम पर धोखा – यूरोपीयन देशों में खाद्य पदार्थों के लिए बनाए गए कड़े कानूनों के बावजूद भारत में 1993 में इस दिशा में प्रयास शुरू हुए और शाकाहार, मांसाहार के लिए लाल-हरे चिह्न अंकित करने का नियम बनाया गया। सरकारी अधिसूचना के अंतर्गत पशु-पक्षियों के बाल, नाखून, पंख, चर्बी और
अंडे की जर्दी को मांसाहार की श्रेणी से बाहर रखा गया, जिसके चलते विभिन्न देशी-विदेशी कंपनियां अपने खाद्य उत्पादनों पर हरा सिम्बॉल लगाकर शाकाहारी पदार्थ के रूप में बेच रही हैं, जबकि असलियत कुछ और है इन पदार्थों में मांसाहार भी मिश्रित है। भारत सरकार ने इन कंपनियों के धोखे में शामिल होते हुए इन पदार्थों में मिश्रित मांसाहार अवयवों को सीधे लिखने के बजाय E नंबर के कोड में लिखने के नियम बना दिए। इसके चलते आम आदमी अनजाने में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तत्व खा रहा है सबसे खास बात यह कि इसी अज्ञानता के चलते उसको धार्मिक भावनाएं भी आहत हो रही हैं।
यह है E नंबर कोड
मांसाहारी पदार्थों के मिश्रण को E नंबर से लिखे जाने के नियम क्यों और किसके हित के लिए बनाए गए हैं, यह ज्यादा शोध का विषय नहीं, क्योंकि कोई अनपढ़ व्यक्ति भी समझ सकता है कि ये सारी कवायदें उत्पादकों को लाभ पहुंचाने के लिए की गई हैं। वहीं जहां तक बात कोड की पहचान की है, तो अच्छा-खासा पढ़ा-लिखा शहरी भी इस प्रोडक्ट कोड को आसानी से नहीं समझ सकता। जीव हत्या कर प्राप्त मांस स्रोत को E471, E102 और संभावित जीव हत्या कर मांस के स्रोत को E472, E322, E481, E270, E322, E22 नंबर दिए गए। इसके अलावा बच्चों के लिए हानिकारक स्रोत के