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प्रेम विवाह हो पायेगा नहीं ।

प्रेम विवाह पर पहले भी कई टॉपिक लिखे गए है।आज फिर प्रेम विवाह पर बात करते है।प्रेम विवाह होने के लिए कुंडली का 7वा भाव भावेश और कुंडली का 5वा भाव भावेश का संबंध जिम्मेदार होता है।

 

साथ ही प्रेम विवाह योग होने पर भी सातवें भाव, भावेश और विवाह कारक गुरु शुक्र दोनो का बलवान होना जरूरी है यदि सातवा भाव, भावेश बलवान होगा तो प्रेम विवाह योग होने पर प्रेम विवाह होगा।।प्रेम संबंध ज्यादातर तब ही अधूरे रहते है ,और जब ही प्रेम विवाह नही हो पाता जब सातवे भाव भावेश की स्थिति कमजोर हो,या 5वे भाव से। संबंध शुभ स्थिति में न हो। जब 7वे भाव भावेश की स्थिति अच्छी न हो, सातवा भाव भावेश जितना बढ़िया होगा और 5वे भाव या 5वे भाव के स्वामी से संबंध में होगा। तब सफल प्रेम विवाह होगा बिना किसी बाधा के।

 

अब उदाहरणों से समझते है प्रेम विवाह होने की प्रबल स्थितियां को।                                          

 

प्रथम_उदाहरण_मेष_लग्न_अनुसार,

मेष लग्न में सातवें भाव(विवाह भाव) का स्वामी शुक्र होता है और 5वे भाव(प्रेम भाव) का स्वामी सूर्य होता है अब यहाँ शुक्र सुर्य का बलवान संबंध् केंद्र त्रिकोण में प्रेम विवाह योग बना देगा अब इस की गारंटी और जब मिल जाएगी जब   9वे भाव या भावेश(भाग्य भाव) और 11वे भाव या भवेश भी अगर सातवे/5वे भाव स्वामी से संबंध में होगा तब दुनिया की कोई ताकत प्रेम विवाह होने से नही रोक सकती।।।                                                          

द्वितीय_उदाहरण_वृष_लग्न_अनुसार

वृष लग्न में पंचमेश बुध होता है और सातवें भाव का स्वामी मंगल होता है अब यहाँ बुध और मंगल का बलवान संबंध मात्र ही प्रेम विवाह करा देगा।।                                                                                अब एक स्थित्ति होती है घर वालो की सहमति प्रेम विवाह में न मिलना और एक स्थिति होती है घर वालो की सहमति से प्रेम विवाह होना।अब यह कैसे होता है।                                               

जब प्रेम विवाह योग पर राहु या शनि या दोनो का प्रभाव होगा और सातवे भाव, भावेश जो कि प्रेम विवाह का घर है यह कमजोर होगा तब पारिवारिक समस्या या जाति आदि की समस्या को ले प्रेम विवाह होने में दिक्क्क्त आएगी, इसके विपरीत प्रेम विवाह संबंधित ग्रहो पर जब नवे भाव जो की बड़े बुजुर्गों का है का प्रभाव प्रेम विवाह मतलब सातवे और पाँचवे भाव के संबंध पर होगा तब प्रेम विवाह घर वालो की खुशी पूरी सहमति से होगा।।                                                               

 

उदाहरण_वृश्चिक_लग्न_अनुसार,

वृश्चिक लग्न में पाचवे भाव स्वामी गुरु होता है, सातवें भाव स्वामी शुक्र होता है और 9वे भाव। का स्वामी चन्द्र होता है अब यहां। चन्द्र गुरु शुक्र का संबंध प्रेम विवाह कराएगा, साथ ही पारिवारिक रूप से पूर्ण सहयोग से।। इस तरह सातवें भाव और इसके स्वामी का बलवान होकर 5वे भाव और इसके स्वामी से शुभ संबंध् मन पसन्द मतलब प्रेम विवाह कराता है।।प्रेम विवाह के लिए सातवें भाव या भावेश का या 5वे भाव या भावेश का संबंध होना जरूरी होता है।।

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