भगवान हयग्रीव की जयन्ती भगवान नर - नारायण का अवतार कल्प पर्यंत तपश्चर्या के लिए हुआ है। आज भी दोनों बदरिकाश्रम में तप कर रहे हैं।अक्षय तृतीया पर भगवान हयग्रीव की जयन्ती भी है।भगवान विष्णु ने हयग्रीव के रूप में दो अलग-अलग कल्प में दो बार अवतार लिया।एक कल्प में भगवान हयग्रीव ने मधु और कैटभ दैत्यों द्वारा चुराए गए वेदों को रसातल से वापस लाकर ब्रह्माजी को दिए थे।एक अन्य कल्प में दैत्य हयग्रीव के वध हेतु भगवान विष्णु ने हयग्रीव के रूप में अवतार लिया था।अमृत मन्थन के दौरान अमृत बॅंटवारे को लेकर जब दैत्य और देवताओं में संग्राम छिड़ गया, तब वैशाख शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया।मोहिनी अवतार अवन्तिका नगरी में हुआ था। शिप्रा तट पर ही मोहिनी ने देवताओं को अमृत पिलाया था।वैशाख शुक्ल चतुर्दशी के दिन सन्ध्या काल में भगवान नृसिंह का अवतार हुआ। Playlist 3 Videos Sshree Astro Vastu | Student Visa, Abroad Study - Review |Sahil Warge | #sshreeastrovastu 0:58 Sshree Astro Vastu | Astro Vastu Workshop | Review | Astro Bhumi patel | In Gujarati 2:18 Sshree Astro Vastu Review Astro Bipin Ji Nakshatra Rahasyam In Hindi 16:10 भगवान नृसिंह ने भक्त प्रह्लाद को एक मन्वन्तर तक दैत्याधिपति के समस्त भोग स्वीकार करने का वरदान दिया।भगवान परशुराम की माता रेणुका यज्ञ से उत्पन्न हुई थीं। काशी नरेश रेणु ने उनका पुत्री के रूप में लालन-पालन किया। इसलिए रेणुका उनकी पुत्री कहलाई।आप सभी लोगों से निवेदन है कि हमारी पोस्ट अधिक से अधिक शेयर करें जिससे अधिक से अधिक लोगों को पोस्ट पढ़कर फायदा मिले | Join Our Whatsapp Group