
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय….
सभी सनातनीय पाठकों, धर्मावलंबियों को सादर नमस्कारम।
ॐ सौम्याय नमस्तुभ्यं चन्द्राय नमो नमः।
सूचित किया जाता है कि दिनांक 05 नवंबर 2025 बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा उपवास तथा स्नान, दानार्थ पूर्णिमा रहेगी।
संपूर्ण वर्ष भर में सभी पूर्णिमा तिथियां महत्वपूर्ण होती है, परंतु कार्तिक माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व माना गया है।
मासानां कार्तिक: श्रेष्ठो देवानां मधुसूदन।
तीर्थं नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ।।
धार्मिक मान्यतानुसार कार्तिक माह को सर्वाधिक पवित्र माह माना गया है, कार्तिक माह का नाम वेदों में ऊर्ज ( ओज पूर्ण) नाम रखा था। वेदोत्तर काल में ऋषियों ने हिंदी महीनों के नाम नक्षत्रों के आधार पर रखने का निर्णय किया इस कारण पूर्णिमा कृतिका नक्षत्र में होने के कारण ऊर्ज माह का नाम कार्तिक माह रखा गया। धार्मिक मान्यतानुसार कार्तिक पूर्णिमा पर विष्णु भगवान ने मत्स्य अवतार लिया था। इस कारण कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक महत्व बढ़ जाता है कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है, मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ ने कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है।
*शुभ योग
कार्तिक पूर्णिमा, देव दीपावली पर अनेक शुभ योगों का निर्माण हो रहा है–सर्वार्थ सिद्धि योग, देव गुरु बृहस्पति अपनी उच्च राशि में विराजमान होकर हंस पंच महापुरुष राज योग का निर्माण कर रहे हैं, शुक्रादित्य योग पर्व को और भी विशेष बनाता है।
कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 04 नवम्बर 2025 रात्रि 10:37 से 05 नवम्बर 2025 सायंकाल 06:50 तक।
*महत्व व उपाय
कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से विशेष महत्व है।
पूर्णिमा स्नान करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को अपार सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा नदी या किसी पवित्र नदी अथवा जलकुंड में स्नान व दीपदान करने से सभी तरह के कष्टों का नाश होता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।
जिन जातकों को संतान उत्पत्ति में बाधा आ रही हो, कार्तिक पूर्णिमा का उपवास रखने से संतति सुख प्राप्त होता है।
#पूर्णिमा: चंद्रमा की अमर आभा और आध्यात्मिक गहराई का रहस्यमय संसार
पूर्णिमा – वह पावन रात्रि जब चंद्रमा अपनी पूर्ण ज्योति बिखेरता है, मानव मन को शांति का आलिंगन देता है और आध्यात्मिक ऊर्जा के द्वार खोलता है। हिंदू शास्त्रों से लेकर आधुनिक #खगोलशास्त्र तक, यह एक ऐसा चमत्कार है जो प्रकृति की लय, कर्म की सिद्धि और ब्रह्मांडीय संतुलन का प्रतीक है। इस विस्तृत शोधात्मक विश्लेषण में हम #पूर्णिमा के हर आयाम को गहराई से खंगालेंगे – #खगोलीय_गणित से लेकर वेद-पुराण के प्रमाणित तथ्यों तक, तांत्रिक साधना की रहस्यमयी विधियों तक। आइए, इस चंद्रिमा यात्रा में डूबें…
🔭 #पूर्णिमा_का_खगोलीय_परिचय: गणितीय सटीकता और ब्रह्मांडीय लय
#पूर्णिमा_क्या_है? सरल शब्दों में, यह वह क्षण है जब चंद्रमा पृथ्वी के सापेक्ष सूर्य के ठीक विपरीत (180 डिग्री कोण पर) स्थित होता है, जिससे उसका पूर्ण चक्र (पूर्ण वृत्त) दृश्यमान हो जाता है। यह कोई संयोग नहीं, बल्कि खगोलीय गणित की सटीक गणना है।
वैदिक रहस्य: खगोलीय गणितीय आधार
वैदिक खगोलशास्त्र के प्रमुख ग्रंथ सूर्य सिद्धांत में #चंद्रमा_की_गति को सूर्य के सापेक्ष मापा गया है। यहां चंद्रमा की दैनिक गति लगभग 13.176 डिग्री बताई गई है, जो पूर्ण चंद्र चक्र (#सिनोडिक_मास) को 29.53059 दिनों में पूरा करता है। गणना इस प्रकार है:
#सूर्य_चंद्रमा कोणीय दूरी = 360° × (दिन / चंद्र मास)।
पूर्णिमा तब घटित होती है जब यह दूरी ठीक 180° × (2n+1) हो, जहां n चक्र संख्या है।
यह गणित वेदों से प्रेरित है। #ऋग्वेद (10.85.3) में चंद्र गति का वर्णन है: “#चन्द्रमा_यथा_स्थिता_स्यात्_तद्_वा_एष_चन्द्रमा_वा_एष_चन्द्रमा_यः_स्थिता_स्यात्” – अर्थात्, चंद्रमा की स्थिति सूर्य से विपरीत होने पर वह पूर्णिमा रूप धारण करता है, जो सृष्टि चक्र की लय को दर्शाता है। यह श्लोक खगोलीय सटीकता का प्रमाण है, जहां चंद्रमा को “#सोम” (अमृत का प्रतीक) कहा गया है, जो पृथ्वी पर ऊर्जा संतुलन लाता है।
विवेचनात्मक विश्लेषण: आधुनिक #खगोलशास्त्र (#नासा की गणनाओं से) भी यही पुष्टि करता है कि पूर्णिमा पर चंद्रमा की ज्योति पृथ्वी पर 0.3 लक्स अधिक होती है, जो मानव मस्तिष्क के #मेलाटोनिन_हार्मोन को प्रभावित करती है, शांति और ध्यान की अवस्था उत्पन्न करती है। पुराणों में विष्णु पुराण (2.8) इसे “#सोम_कल्प” कहता है, जहां चंद्रमा अमृत वितरण का माध्यम बनता है। यह वैदिक रहस्य दर्शाती है कि पूर्णिमा मात्र एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि वेदिक गणित का जीवंत प्रमाण है, जो सृष्टि की अनंत लय को समझाता है।
✨ #हिंदू_धर्म_में_पूर्णिमा_का_गहन_महत्व: आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत
#पूर्णिमा_को_इतना_महत्व_क्यों? क्योंकि यह शुद्धता, समृद्धि और मोक्ष का द्वार है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा शुक्ल पक्ष का अंतिम दिन है, जो विष्णु भगवान को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि इस तिथि पर व्रत रखने से मोक्ष प्राप्ति होती है और माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है।
वैदिक रहस्य : शास्त्रीय प्रमाण और विवेचन
उपनिषदों में, विशेषकर छांदोग्य उपनिषद (5.15), पूर्णिमा को “#पूर्ण” (पूर्णता) का प्रतीक माना गया है: “#पूर्णमदः_पूर्णमिदं_पूर्णात्_पूर्णमुदच्यते” – अर्थात्, पूर्ण से पूर्ण निकलता है, जो चंद्रमा की पूर्णता से आत्मा की पूर्णता का संकेत है। यह श्लोक ध्यान और साधना के लिए आदर्श समय बताता है, क्योंकि चंद्र ऊर्जा (#सत्व_गुण) चरम पर होती है।
#भागवत_पुराण (11.5.32) में कहा गया: “पूर्णिमायां सोमकाले जपध्यानं समाचरेत्” – पूर्णिमा पर जप-ध्यान से पाप नष्ट होते हैं। विवेचन: यह महत्व आध्यात्मिक रूप से इसलिए है क्योंकि पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणें अमृत तुल्य मानी जाती हैं, जो रोगों का नाश करती हैं। शोधात्मक दृष्टि से, पद्म पुराण में इसे “#त्रिपुरी_पूर्णिमा” कहा गया, जहां त्रिपुरासुर वध का उल्लेख है, प्रतीकात्मक रूप से अज्ञान के विनाश का।
यह वैदिक रहस्य स्पष्ट करती है कि पूर्णिमा का महत्व मात्र रस्म नहीं, बल्कि सांस्कृतिक-आध्यात्मिक संतुलन है, जो मानव जीवन को ब्रह्मांडीय चक्र से जोड़ता है।
🌟 वर्ष भर की विशेष पूर्णिमाएं: प्रत्येक का गहन विश्लेषण और शास्त्रीय महत्व
पूरे साल में 12 पूर्णिमाएं होती हैं (अधिकमास में 13), प्रत्येक का अपना दिव्य महत्व। हम इन्हें अलग-अलग वैदिक रहस्य के साथ समझेंगे, श्लोक-मंत्र सहित।
#चैत्र_पूर्णिमा: नव वर्ष की शुरुआत और शक्ति जागरण
यह हिंदू नव वर्ष का समापन है, जहां चंद्रमा की पूर्णता नई ऊर्जा का प्रतीक है। स्कंद पुराण में श्लोक: “चैत्रपूर्णिमायां देवी जागरणं करोति सा” – देवी जगदंबा जागृत होती हैं। महत्व: व्रत से बाधाएं दूर। मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”। विश्लेषण: खगोलीय रूप से वसंत विषुव के निकट, ऊर्जा वृद्धि।
#वैशाख_पूर्णिमा: बुद्ध जयंती और ज्ञान प्रकाश
भगवान बुद्ध का जन्म-ज्ञान-निर्वाण यहीं हुआ। ललिताविस्तर सूत्र (बौद्ध ग्रंथ, वैदिक प्रभावित) में: “पूर्णचन्द्रवत् प्रज्ञा उद्भासिता” – ज्ञान पूर्ण चंद्र की भांति। महत्व: दान-ध्यान से मोक्ष। उपाय: गंगा स्नान। वैदिक रहस्य : यह पूर्णिमा करुणा का प्रतीक, पुराणों में विष्णु अवतार से जुड़ी।
#ज्येष्ठ_पूर्णिमा: गुरु पूर्णिमा – ज्ञानदीपक
गुरु व्यास जी का जन्मदिन। महाभारत (आदिपर्व 1.57): “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु…”। महत्व: गुरु पूजा से विद्या सिद्धि। मंत्र: “ॐ गुरुं ब्रह्मणार्पय”। विश्लेषण: आषाढ़ मास में, वर्षा ऋतु की शुरुआत, आंतरिक शुद्धि।
#आषाढ़_पूर्णिमा: व्यास पूजा और शास्त्र सम्मान
गुरु पूर्णिमा का विस्तार। विष्णु पुराण: “आषाढ़पूर्णिमायां व्यास पूजनं विधीयते”। महत्व: ग्रंथ पाठ।
#श्रावण_पूर्णिमा: रक्षाबंधन – बंधन का पवित्र सूत्र
भाई-बहन का त्योहार। भविष्य पुराण: “रक्षासूत्रं बन्धनं श्रावणि पूर्णिमायाम्”। महत्व: रक्षा भावना। मंत्र: “ॐ रक्ष रक्षाय नमः”। वैदिक रहस्य : चंद्र ऊर्जा परिवारिक एकता बढ़ाती है।
#भाद्रपद_पूर्णिमा: अनंत चतुर्दशी – विष्णु भक्ति
अनंत भगवान पूजा। गरुड़ पुराण: “अनन्तं पूजयेत् भाद्रे पूर्णिमायां विशेषतः”। महत्व: अक्षय फल।
#आश्विन_पूर्णिमा: शरद पूर्णिमा – लक्ष्मी अवतरण रात्रि
देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं। पद्म पुराण (उत्तरखंड 71): “शरत्सु पूर्णिमायां लक्ष्मीः अवतरति धरातले”। महत्व: खीर भोजन से रोग नाश। मंत्र: “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”। विश्लेषण: सबसे चमकीली पूर्णिमा, चंद्र किरणें औषधीय।
कार्तिक_पूर्णिमा: त्रिपुरी पूर्णिमा – शिव भक्ति और गंगा स्नान
त्रिपुरासुर वध। शिव पुराण (रुद्र संहिता 5.10): “कार्तिकी पूर्णिमायां शिवः त्रिपुरं हन्ति”। महत्व: दीप दान।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा: भगवान दत्तात्रेय जयंती
ज्ञान अवतार। दत्तात्रेय उपनिषद: “मार्गशीर्षे पूर्णिमायां दत्तः अवतिर्यते”।
पौष पूर्णिमा: ठंड का त्योहार, उपवास
ब्रह्म पुराण: “पौषपूर्णिमायां उपवासं विधीयते”। महत्व: स्वास्थ्य लाभ।
माघ पूर्णिमा: काल भैरव जयंती
स्कंद पुराण: “माघपूर्णिमायां भैरवः जायते”। महत्व: भय नाश।
फाल्गुन पूर्णिमा: होली पूर्णिमा – होलिका दहन
भागवत पुराण (5.24): “फाल्गुनी पूर्णिमायां होलिका दह्यते”। महत्व: बुराई का नाश।
यह प्रत्येक पूर्णिमा का विवेचन दर्शाता है कि वे ऋतु चक्र से जुड़े, जीवन के हर पहलू को संबोधित करते हैं।
🕉 तांत्रिक दृष्टि से पूर्णिमा: श्लोक, मंत्र और शास्त्रीय प्रमाण
तंत्र शास्त्र में पूर्णिमा “सिद्धि काल” है, क्योंकि चंद्र ऊर्जा कुंडलिनी जागरण के लिए आदर्श। तंत्र सार (अध्याय 3): “पूर्णिमायां चन्द्रबलेन सिद्धिः प्राप्यते साधकैः” – पूर्णिमा पर चंद्र बल से सिद्धि मिलती है।
वैदिक रहस्य : प्रमाणित तथ्य और उदाहरण
काली तंत्र में महाकाली सिद्धि मंत्र: “ॐ क्रीं कालिकायै नमः” – 108 जप पूर्णिमा पर। उदाहरण: बगलामुखी मंत्र “ॐ ह्रीं बगलामुखी…” से शत्रु स्तंभन। शिव पुराण (2.5.10): “एवं जपे सिद्धिर् भवति न संशयः”। विश्लेषण: तांत्रिक साधना वामाचार (वाम मार्ग) में पूर्णिमा पर चक्र पूजा, जहां ऊर्जा संतुलन से अलौकिक शक्ति प्राप्ति। पुराण प्रमाण: भैरवी तंत्र में पूर्णिमा को “षोडशी पूजा” का समय। यह वैदिक रहस्य तंत्र को उपकारकारी सिद्ध करती है, न कि भ्रामक।
🔮 पूर्णिमा से संबंधित मंत्र सिद्धि: नियम, विधि और 100% कारगर उपाय
पूर्णिमा पर मंत्र सिद्धि के लिए नियम: शुद्धता, गुरु मार्गदर्शन, 40 दिनों का जप। विधि: प्रातः स्नान, पूर्व दिशा मुख, माला से जप।
वैदिक रहस्य : चरणबद्ध विधि और प्रमाण
नियम: ब्रह्मचर्य, सात्विक भोजन। मंत्र महोदधि: “पूर्णिमायां जपं कुर्यात् गुरुणोक्त मार्गेण”।
मुख्य मंत्र: चंद्र गायत्री – “ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्” (सूर्य सिद्धांत प्रमाणित)। जप: 1,25,000 बार।
विधि: पूर्णिमा रात्रि में होम (घी-तिल), ध्यान। उदाहरण: लक्ष्मी सिद्धि – “ॐ महालक्ष्म्यै नमः” 108 बार, खीर अर्पण।
उपाय: गंगा जल स्नान, दान। दुर्गा सप्तशती: पूर्णिमा पर कुंजिका स्तोत्र पाठ से मनोकामना सिद्ध।
विवेचन: ये 100% कारगर क्योंकि तांत्रिक शास्त्र (जैसे पंचतंत्र साधना) में परीक्षित। गुरु के बिना न करें, अन्यथा विपरीत फल। यह शोध दर्शाता है कि सिद्धि कर्मयोग है, न कि जादू।
पूर्णिमा हमें सिखाती है – जीवन पूर्णता की खोज है। इस चंद्रिमा पर साधना करें, प्रकाश फैलायें ।