शैव सम्प्रदाय(sampradaya) लोग भगवान शिव के अनुयायी हैं मतलब की शिव भगवान को मानते है। और शैव धर्म हिंदू धर्म की सबसे पुरानी परंपराओं में से एक है। वे शिव को परम देवता मानते हैं। पवित्र राख का उपयोग शैव धर्म की निशानी के रूप में किया जाता है।
शैव में शाक्त, नाथ, दसनामी, नाग आदि उप संप्रदाय हैं. महाभारत में माहेश्वरों (शैव) के चार सम्प्रदाय बतलाए गए हैं:
शैव
पाशुपत
कालदमन
कापालिक.
शैवमत का मूलरूप ॠग्वेद में रुद्र की आराधना में हैं. 12 रुद्रों में प्रमुख रुद्र ही आगे चलकर शिव, शंकर, भोलेनाथ और महादेव कहलाए
शैव धर्म से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी :-
शैव सम्प्रदाय(sampradaya) लोग भगवान शिव के अनुयायी हैं
ऋग्वेद में शिव के लिए रुद्र नामक देवता का उल्लेख है.
शैव धर्म की कई शाखाएँ हैं 1) कश्मीर शैववाद, 2 ) शैव सिद्धान्त और 3) वीरा शैववाद।:-
दसवीं शताब्दी में मत्स्येंद्रनाथ ने नाथ संप्रदाय की स्थापना की, इस संप्रदाय का व्यापक प्रचार प्रसार बाबा गोरखनाथ के समय में हुआ.
नायनारों संतों की संख्या 63 बताई गई है. जिनमें उप्पार, तिरूज्ञान, संबंदर और सुंदर मूर्ति के नाम उल्लेखनीय है.
ऐलेरा के कैलाश मदिंर का निर्माण राष्ट्रकूटों ने करवाया.
वामन पुराण में शैव संप्रदाय की संख्या चार बताई गई है:-
पाशुपत
काल्पलिक
कालमुख
लिंगायत
पाशुपत :- पाशुपत संप्रदाय शैवों का सबसे प्राचीन संप्रदाय है, इसके संस्थापक लवकुलीश थे. जिन्हें भगवान शिव के 18 अवतारों में से एक माना जाता है. पाशुपत संप्रदाय के अनुयायियों को पंचार्थिक कहा गया, इस मत का सैद्धांतिक ग्रंथ पाशुपत सूत्र है.
काल्पलिक :- कापलिक संप्रदाय के ईष्ट देव भैरव थे, इस संप्रदाय का प्रमुख केंद्र शैल नामक स्थान था.
कालामुख :- संप्रदाय के अनुयायिओं को शिव पुराण में महाव्रतधर कहा जाता है. इस संप्रदाय के लोग नर-पकाल में ही भोजन, जल और सरापान करते थे और शरीर पर चिता की भस्म मलते थे.
लिंगायत:- समुदाय दक्षिण में काफी प्रचलित था. इन्हें जंगम बी कहा जाता है, इस संप्रदाय के लोग शिव लिंग की उपासना करते थे. बसव पुराण में लिंगायत समुदाय के प्रवर्तक उल्लभ प्रभु और उनके शिष्य बासव को बताया गया है, इस संप्रदाय को वीरशिव संप्रदाय भी कहा जाता था.
शिव पुराण में शिव के दशावतारों :-
शिव पुराण में शिव के दशावतारों के अलावा अन्य का वर्णन मिलता है. ये दसों अवतार तंत्रशास्त्र से संबंधित हैं:
महाकाल
तारा
भुवनेश
षोडश
भैरव
छिन्नमस्तक गिरिजा
धूम्रवान
बगलामुखी
मातंग
कमल
शिव के अन्य ग्यारह अवतार हैं:-
कपाली
पिंगल
भीम
विरुपाक्ष
विलोहित
शास्ता
अजपाद
आपिर्बुध्य
शम्भ
चण्ड
भव
शैव ग्रंथ इस प्रकार हैं:
श्वेताश्वतरा उपनिषद
शिव पुराण
आगम ग्रंथ
तिरुमुराई
शैव तीर्थ इस प्रकार हैं:-
बनारस
केदारनाथ
सोमनाथ
रामेश्वरम
चिदम्बरम
अमरनाथ
कैलाश मानसरोवर
जाने शैव सम्प्रदाय के बारे में
शैव सम्प्रदाय के संस्कार इस प्रकार हैं:-
शैव संप्रदाय के लोग एकेश्वरवादी होते हैं.
इसमें सिर तो मुंडाते हैं, लेकिन चोटी नहीं रखते.
इनके अपने तांत्रिक मंत्र होते हैं.
शैव चंद्र पर आधारित व्रत उपवास करते हैं.
इसके संन्यासी जटा रखते हैं.
नके अनुष्ठान रात्रि में होते हैं.
यह निर्वस्त्र भी रहते हैं, भगवा वस्त्र भी पहनते हैं और हाथ में कमंडल, चिमटा रखकर धूनी भी रमाते हैं.
शैव संप्रदाय में समाधि देने की परंपरा है.
शैव मंदिर को शिवालय कहते हैं जहां सिर्फ शिवलिंग होता है.
यह भभूति तीलक आड़ा लगाते हैं.
शैव साधुओं को नाथ, अघोरी, अवधूत, बाबा, ओघड़, योगी, सिद्ध कहा जाता है.