Sshree Astro Vastu

इसका इंश्योरेंस नहीं मिलता...

मेरा एक दुकानदार दोस्त है। वह अपने पैतृक व्यवसाय में लगा हुआ है। जब भी मैं उसके दुकान के पास से गुजरता हूँ, तो मुझे दुकान के बाहर रखे हुए चूहों के दो पिंजरे दिखाई देते हैं। लेकिन उन पिंजरों में फँसे हुए चूहे कभी नहीं दिखते। एक दिन मैंने उससे मज़ाक में पूछा,
भाई, आज तक कभी कोई चूहा फँसा भी है इस पिंजरे में?”
वह हंसते हुए बोला,
जब दुकान नई थी, तब पहले छह महीने तक चूहे फँसते थे। लेकिन उसके बाद कभी नहीं फँसे।”

उसने चूहे पकड़ने के लिए हर तरीका आजमा लिया—भजी रखी, चॉकलेट रखी, चीज़ क्यूब्स रखे, नॉनवेज के टुकड़े तक रखकर देखा। लेकिन ये चूहे अब इतने समझदार हो गए हैं कि उनकी पसंदीदा चीज़ भी पिंजरे में रख दो, तो भी वे पहचान लेते हैं कि यह जाल है। वे पूरे दुकान में उधम मचाते हैं, लेकिन पिंजरे की तरफ झांकते भी नहीं। उसने मज़ाक में कहा,

मैं तो बस रिवाज के तौर पर रोज़ उम्मीद से पिंजरा लगाकर दुकान खोलता हूँ।”

मैं भी उसकी बात सुनकर हंस पड़ा, लेकिन उसका एक वाक्य मेरे दिमाग़ में घूमता रहा—
आजकल के चूहे भी समझदार हो गए हैं…!”

गाय भी समझदार हो गई हैं…

एक और घटना मुझे साफ़-साफ़ याद है। हमारे घर के बाहर गायों के लिए एक बड़ा सा सीमेंट का पानी का हौद बना हुआ है। गर्मियों में दूर-दूर से गायें वहाँ पानी पीने आती हैं। वे किसी को परेशान नहीं करतीं, बस आती हैं, पानी पीती हैं और शांति से चली जाती हैं।

लेकिन एक व्यक्ति ने उन गायों को भगाने का काम शुरू कर दिया। वह उन पर पत्थर फेंकता, डंडे से मारता। नतीजा यह हुआ कि वे गायें उसके घर के पास जाना ही बंद कर दीं और हमारे घर पर पानी पीने आने लगीं।

कुछ समय बाद दिवाली के वसुबारस के दिन जब मैं गायों को खाना खिला रहा था, तभी वही आदमी पूरनपोली लेकर आया और गाय को खिलाने की कोशिश करने लगा। लेकिन उस गाय ने बाकी सभी लोगों से खाना लिया, पर उस आदमी की तरफ़ देखना भी ज़रूरी नहीं समझा और वहाँ से चलती बनी।

गाय भी समझदार हो गई हैं…!

चींटियाँ भी चालाक हो गई हैं…

आजकल मधुमक्खियाँ और चींटियाँ भी अपनी सुरक्षा को लेकर पहले से ज्यादा सतर्क हो गई हैं। अगर किसी जगह उन्हें खतरा महसूस होता है, तो वे वहाँ अपना घर नहीं बनातीं। चींटियाँ अपनी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखती हैं।

लक्ष्मण रेखा’ नाम की एक चॉक होती है, जिससे घर में चींटियों को दूर रखा जा सकता है। एक दिन माँ ने कुछ चीजें सुखाने के लिए छत पर रखी थीं और चारों ओर लक्ष्मण रेखा लगा दी थी। लेकिन चींटियाँ भी कहां मानने वाली थीं! उन्होंने ग़ज़ब की चालाकी दिखाई—उन्होंने छत पर पड़ा एक छोटा सा मूंगफली का सूखा छिलका लुढ़काकर लाया और उसे उस चॉक की लाइन पर रख दिया, जिससे उनका रास्ता बन गया।

शाम को जब हम सामान समेटने गए, तो देखा कि चींटियाँ जीत चुकी थीं।
यानि चींटियाँ भी समझदार हो गई हैं…!

तो फिर इंसान कब समझदार होगा…?

सबसे ज्यादा बुद्धिमान कहे जाने वाले इंसान को ही अपनी सुरक्षा और समझदारी सीखने में इतनी देर क्यों लग रही है? अगर अपनी बुद्धि का सही इस्तेमाल नहीं कर पा रहे, तो कम से कम दूसरों के अनुभव से तो सीख सकते हैं, लेकिन ऐसा होता नहीं है।

फिल्म जब वी मेट’ में जब रात के तीन बजे करीना कपूर ट्रेन से उतरकर किसी अजनबी यात्री को खोजने निकलती है, तो स्टेशन मास्टर उससे कहता है,
अकेली लड़की खुली हुई तिजोरी की तरह होती है।”

लेकिन करीना कपूर बड़े अकड़ से जवाब देती है,
ये ज्ञान मुफ्त का है या इसके पैसे लगते हैं? क्योंकि मेरे पास चिल्लर नहीं है।”

फिल्म में यह डायलॉग हमें हंसाने के लिए लिखा गया था, लेकिन उस स्टेशन मास्टर की चिंता किसी को नजर नहीं आती। यही तो हमारे इंसानों की समझदारी की सबसे बड़ी खामी है।

आजकल रात के तीन बजे बिना किसी को बताए बाहर घूमने वाले लड़के-लड़कियाँ कोई नई बात नहीं हैं। बारिश के मौसम में कॉलेज बंक मारकर लोणावला, भुशी डैम, ताम्हिणी घाट जैसी जगहों पर घूमने जाने वाले सच में समझदार होते हैं क्या?

सेल्फ़ी के चक्कर में खाई में गिर जाने वाले लोग, ख़तरनाक झरनों में उतरने वाले लोग क्या सच में व्यावहारिक रूप से समझदार होते हैं?

माता-पिता से दूरी क्यों?

आज की युवा पीढ़ी के लिए माता-पिता उनके सबसे बड़े दुश्मन जैसे क्यों लगते हैं?

बच्चों की ज़िंदगी में क्या हो रहा है, ये कई लोगों को पता होता है, लेकिन उनके माता-पिता को नहीं।
कई बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट पर उनके माता-पिता ऐड नहीं होते।
उनके दोस्त कौन हैं, ये घरवालों को नहीं पता होता।
अगर ज़िंदगी में कोई बड़ी घटना घट जाए, तो भी वे अपने माता-पिता को सबसे पहले फोन क्यों नहीं करते?

इसका जवाब ढूंढना बहुत ज़रूरी है।

बुद्धिमानी घर से शुरू होती है…

कई लोगों को लगता है कि नागरिक शास्त्र (Civics) को स्कूल में 100 अंकों का विषय बना देना चाहिए। लेकिन इससे पहले घर में बच्चों को व्यवहारिक ज्ञान और अपनी सुरक्षा का महत्व सिखाना ज़रूरी है।

जानवरों को शहाणपना किसी स्कूल से नहीं मिलता। मधुमक्खियाँ अपनी रानी की बात मानती हैं। वे अनुशासन में रहती हैं। वे मनमाने ढंग से व्यवहार नहीं करतीं और न ही अपने बड़ों की बात को अनदेखा करती हैं। उनका पूरा जीवन प्राकृतिक नियमों और परिवार व्यवस्था के अनुसार चलता है।

बड़ों के संपर्क में रहना, उनसे संवाद बनाए रखना, पारदर्शिता रखना—ये कोई जेल की सजा नहीं होती। बल्कि यही सबसे सुरक्षित और प्रेम से भरा वातावरण होता है।

क्योंकि…
जीवन में समझदारी होने की जो कीमत चुकानी पड़ती है, उसका इंश्योरेंस नहीं निकलता!”

आप सभी लोगों से निवेदन है कि हमारी पोस्ट अधिक से अधिक शेयर करें जिससे अधिक से अधिक लोगों को पोस्ट पढ़कर फायदा मिले |
Share This Article
error: Content is protected !!
×