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व्यवहार की इस्त्री !

कभी-कभी बहुत छोटी गलतियाँ हमें बड़े सबक सिखा जाती हैं। पिछले हफ्ते का एक वाकया लीजिए। नया-नवेला, रेशमी कुर्ता इस्त्री करने के लिए लिया। मन में उत्साह था—बिल्कुल परफेक्ट और टिप-टॉप दिखना है। लेकिन ध्यान ही नहीं दिया कि इस्त्री सूती कपड़ों के लिए उच्च तापमान पर सेट थी। सीधे गर्म इस्त्री कुर्ते की छाती पर रख दी और एक पल में… एक बड़ा काला दाग उभर आया। संभलने से पहले ही, एक अप्रत्याशित और भयावह छेद! बिना देखे-समझे सूती कपड़ों का तापमान रेशमी कपड़ों पर लागू करने की लापरवाही मुझे भारी पड़ गई।

वह जला हुआ छेद देखकर बहुत बुरा लगा। लेकिन उसी पल एक अलग ही विचार मन में कौंधा—क्या हम रिश्तों में भी यही नहीं करते? हर इंसान अलग तरह के कपड़े जैसा होता है। कुछ लोग डेनिम जैसे मजबूत होते हैं, जो हर परिस्थिति को सह लेते हैं। कुछ लोग लिनन जैसे होते हैं—थोड़े सख्त, लेकिन सही से संभालो तो फिट बैठते हैं। और कुछ लोग रेशम की तरह बेहद नाज़ुक होते हैं, जो हल्का सा गरम स्पर्श भी नहीं सह पाते।

लेकिन हम क्या करते हैं? हम सबको एक ही तरह के व्यवहार से ट्रीट करते हैं। हमारे स्वभाव का तापमान किसी के लिए सही बैठता है, कोई इसे समझदारी से संभाल लेता है, लेकिन कुछ रिश्ते… हमेशा के लिए जलकर खत्म हो जाते हैं। हम बोलते हैं, बर्ताव करते हैं, बिना यह सोचे कि हमारे शब्दों की गर्मी सामने वाले के दिल के कपड़े झेल भी पाएंगे या नहीं। और फिर जब जले हुए दाग दिखते हैं, तो हमें ही बुरा लगता है। असल में, हमें लोगों को अपने स्वभाव के तापमान से नहीं, बल्कि उनकी भावनाओं के धागों की नज़ाकत से समझना चाहिए। हर इंसान अलग तरह के कपड़े जैसा होता है। अगर उसे सही से समझा जाए, तो रिश्ता टिकता है, नहीं तो बस जले हुए निशान रह जाते हैं।

कुछ रिश्ते गर्म इस्त्री से ही ठीक होते हैं—कभी-कभी खुलकर बोलना पड़ता है, कभी थोड़ा गर्म होना भी पड़ता है। लेकिन कुछ रिश्ते सिर्फ ठंडक पहचानते हैं—वे गर्मी सहन नहीं कर पाते। अगर आपके शब्दों की गर्मी किसी रिश्ते को जला रही है, तो समझिए कि आपने तापमान सही नहीं चुना। अगर हम अपनी संवेदनशीलता का तापमान व्यक्ति के अनुसार तय करें, तो रिश्ते आसानी से निभेंगे, बिना सिलवटों के, और बिना जले हुए निशानों के, खूबसूरत बने रहेंगे।

अगली बार जब इस्त्री हाथ में लें या किसी से बातचीत करें, तो खुद से एक सवाल पूछें—यह इंसान सूती है या रेशमी? और फिर उसी हिसाब से अपने व्यवहार का तापमान तय करें। अगर हर रिश्ते पर एक ही तापमान लगाया जाए, तो कुछ सिलवटें भी मिट जाती हैं और कुछ रिश्ते भी। जला हुआ रेशमी कुर्ता एक बार सिल सकता है, लेकिन जला हुआ रिश्ता फिर से बुना जाए, यह ज़रूरी नहीं।

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