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गुरु

जब जन्म कुंडली मे गुरु चौथे और 7वे भाव का स्वामी हो तो वह एक स्त्री ग्रह बन जाता है

 

कन्या लग्न मे

खास कर तब जब चौथे और 7वे भाव मे स्त्री ग्रह भी मौजूद हो और गुरु पर किसी पुरुष ग्रह का प्रभाव ना हो

 

 यह गुरु  11वे भाव मे उच्च का होकर बैठा हो तो वह कन्या संतान दे देता है 

ये योग कन्या लग्न के लिए है

 

 जन्म कुंडली मे गुरु ग्रह स्त्रियों के लिए पति का कारक है

और जिन स्त्रियों का मिथुन और कन्या लग्न है उनके लिए गुरु 7वे यानी विवाह भाव का स्वामी तो है ही साथ मे पति का भी कारक है

 

जिन लड़कियों की कुंडली मे गुरु 2रे भाव मे हो और मंगल व केतु से दृष्ट हो ऐसी स्त्रियां शादी के बाद जल्दी ही अपने पति को गवा देती हैं , ऐसे योग वाली स्त्री से विवाह ना करने की सलाह पुरुषो को चेतावनी के रूप मे दी जाती है

 

क्यों की गुरु ग्रह expanding ग्रह है जन्म कुंडली मे पीड़ित होने पर  शरीर मे जब यह बीमारी पैदा करता है तो शरीर के एक part से दूसरे part मे पहुंचाने मे मदतगार साबित होता है

 

एक सूत्र याद रखने लायक है की कुडली मे कमज़ोर ग्रह चाहे वो नैसर्गिक शुभ ग्रह हो या पापी ग्रह हो कमजोर होने पर शरीर मिस्टर वात दोष देता है

जो की शरीर की समग्र कमजोरी का कारण बनता है

गुरु ग्रह वक्री होकर पापी ग्रहो से दृष्ट हो पापी नवान्श् मे हो तो  शरीर मे रोग की वृद्धि कर देता है और स्त्री की कुंडली मे वैवाहिक जीवन मे विसंगतिया ला देता है

 

गुरु ग्रह की शांति के लिए पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए

रविवार को छोड़कर

 

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