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कुंडली में लव मैरिज के योग

प्रेम के लिए कोई स्पेशल डे या मुहूर्त मान्य नहीं होता है। यह तो दो व्यक्तियों के बीच हो जाता है। प्राचीन ग्रंथों में आठ प्रकार के विवाह संस्कारों को मान्यता दी गई है। इनमें ‘गंधर्व’ विवाह भी एक है। गंधर्व विवाह लव-मैरिज का पर्याय है। लव शब्द अपने आप में प्योर और डिवाइन है। ह्यूमन कल्चर को गतिशील रखने का आधार भी प्रेम है।

प्रेम में सैक्रिफाइज और मर मिटने की भावना छुपी है। युवक और युवती को एक-दूसरे के प्रति जो आकर्षित करती है, उस फीलिंग्स का नाम प्रेम है। प्रेम हसबैंड-वाइफ, ब्रदर-सिस्टर, मदर-फादर के बीच भी होता है। स्नेह के आधार पर ही यह दुनिया टिकी हुई है। प्रेम ही धीरे-धीरे ‍कमिटमेंट और डेडिकेशन का रूप ले लेता है।

 

राशि चक्र बारह राशियों में डिवाइडेड है। किसी भी युवा की होरोस्कोप में लव मैरिज का योग है या नहीं यह जानकारी हमें राशियों की नेचुरल क्वॉलिटी से मिलती है। इन राशियों की स्टडी के बाद लव-मैरिज, लव-रिलेशन, लॉंग टर्म बॉंडिंग आदि की जानकारी मिलती है। लव होने या लव-मैरिज के लिए होरोस्कोप के सेंटर, फोर्थ, सेवंथ और ट्वेल्थ हाउस पर खास विचार किया जाता है। लव या लव-मैरिज का विचार नौ प्लेनेट में मून, मार्स और वीनस से किया जाता है। वीनस प्रेम का कारक है।

कुंडली में पाँचवाँ घर यानी फिफ्थ हाउस से गहरे लव रिलेशन का पता चलता है। जब कुंडली में मंगल यानी मार्स यदि सातवें घर या उसके मालिक से संबंध रखे तो युवा के लव रिलेशन बनते ही हैं या लव-मैरिज के योग बनते हैं। जब पंचमेश-सप्तमेश एवं शुक्र का शुभ संयोग होता है तो पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका में घनिष्ठ संबंध होते हैं। यानी सेवंथ हाउस के मालिक और फिफ्थ हाउस के मालिक के होरोस्कोप में वीनस से संबंध हो तो हसबैंड-वाइफ या लवर्स में मधुर संबंध होते हैं। यही कंडीशन लव-मैरिज भी करवाती है।

 

शुक्र-चंद्र का कॉम्बिनेशन युवा में लव-एट्रैक्शन को जन्म देता है। वीनस और ज्यूपिटर का रिलेशन युवाओं में स्प्रिच्युअल लव का योग बनाता है। लव कैसा भी हो उसमें पर्मानेंसी होना जरूरी है। अतः लव में पीस और स्वीटनेस के लिए सेंटर हाउस से रिलेटेड स्टोन एंगेजमेंट या मैरिज के अवसर पर ‘कपल’ को अवश्य पहनना चाहिए।

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  1. कुंडली अनुसार प्रेम में धोखा मिलने के योग

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आजकल विवाहोपरांत पति-पत्नी के झगड़े तो आम बात बन गये हैं। पति-पत्नी में सामान्य नोंक-झोंक से तो प्रेम और बढ़ता हैं। लेकिन नाजायज संबंधों के कारण उत्पन्न होने वाले झगड़े दोनो के बिच में गाली गलोच-मारपीट, अलगाव, कोर्ट कचेरी के चक्कर एवं तलाक, आत्महत्या, कत्ल तक पहुंच जाती हैं।

कई लडके-लड़की को ऐसा जीवन साथी मिलता हैं, जो अपने नाजायज संबंधों के कारण अपने पति-पत्नी को विभिन्न तरह कि यातनाएं देता है।

ऐसी समस्याओं को भारतीय ज्योतिष शास्त्र के मूल सिद्धांतो से ज्ञात किया जा सकता हैं की लडका या लड़की को कैसा पति-पत्नी मिलेगी ?

यदि किसी जन्म कुंडली में शुक्र उच्च का हो तो ऐसे व्यक्ति के कई प्रेम प्रसंग हो सकते हैं, जो कि विवाह के बाद भी जारी रहते हैं।

मारपीट करने वाला कई स्त्री-पुरुष से नाजायज संबंध रखने वाला जीवनसाथी मिलने के योग होने पर उन्हें मंत्र-यंत्र-तंत्र, रत्न इत्यादि उपाय करके ऐसे योग का प्रभाव कम किया जा सकता हैं।

जन्म कुंडली के सप्तम भाव में मंगल चारित्रिक दोष उत्पन्न करता हैं स्त्री-पुरुष के विवाहेत्तर संबंध भी बनाता है। संतान पक्ष के किये कष्टकारी होता हैं।

 

मंगल के अशुभ प्रभाव के कारण पति-पत्नी में दूरियां बढ़ती हैं।

जन्म कुंडली के द्वादश भाव में मंगल शैय्या सुख, भोग, में बाधक होता हैं ।। इस दोष के कारण पति पत्नी के सम्बन्ध में प्रेम एवं सामंजस्य का अभाव रहता हैं। यदि मंगल पर ग्रहों का शुभ प्रभाव नहीं हों, तो व्यक्ति में चारित्रिक दोष और गुप्त रोग उत्पन्न कर सकता हैं। व्यक्ति जीवनसाथी को घातक नुकसान भी कर सकता हैं।

 

ध्यान रखें, जन्म कुंडली में सप्तम भाव में शुक्र स्थित व्यक्ति को अत्याअधिक कामुक बनाता हैं जिससे विवाहेत्तर सम्बन्ध बनने कि संभावना प्रबल रहती हैं। जिस्से वैवाहिक जीवन का सुख नष्ट होता हैं।

यदि जन्म कुंड़ली के सप्तम भाव में सूर्य हो, तो अन्य स्त्री-पुरुष से नाजायज संबंध बनाने वाला जीवनसाथी मिलता है।

यदि जन्म कुंड़ली मे शत्रु राशि में मंगल या शनि हो, अथवा क्रूर राशि में स्थित होकर सप्तम भाव में स्थित हो, तो क्रूर, मारपीट करने वाले जीवनसाथी कि प्राप्ति होती हैं।

यदि जन्म कुंड़ली मे सप्तम भाव में चन्द्रमा के साथ शनि की युति होने पर व्यक्ति अपने जीवनसाथी के प्रति प्रेम नहीं रखता एवं किसी अन्य से प्रेम कर अवैध संबंध रखता है।

यदि जन्म कुंड़ली मे सप्तम भाव में राहु होने पर जीवनसाथी धोखा देने वाला कई स्त्री-पुरुष से संबंध रखने वाला व्यभिचारी होता हैं व विवाह के बाद अवैध संबंध बनाता है। उक्त ग्रह दोष के कारण ऐसा जीवनसाथी मिलता हैं जिसके कई स्त्री-पुरुष के साथ अवैध संबंध होते हैं। जो अपने दांपत्य जीवन के प्रति अत्यंत लापरवाह होते हैं।

यदि जन्म कुंड़ली मे सप्तमेश यदि अष्टम या षष्टम भाव में हों, तो यह पति-पत्नी के मध्य मतभेद पैदा होता हैं। इस योग के कारणा पति-पत्नी एक दूसरे से अलग भी हो सकते हैं।

इस योग के प्रभाव से पति-पत्नी दोंनो के विवाहेत्तर संबंध बन सकते हैं। इस लिये जिन पुरुष और कन्या कि कुंडली में में इस तरह का योग बन रहा हों उन्हें एक दूसरे कि भावनाओं का सम्मान करते हुवे अपने अंदर समर्पण कि भावना रखनी चाहिए।

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प्यार शब्द में जितना माधुर्य और विश्वास है, धोखे में उससे ज्यादा नफरत और विश्वासघात है। एक इन्सान प्यार और धोखा क्यों करता है, इसके पीछे कई वजह हो सकती हैं। मनोविज्ञान में इसके विभिन्न कारण बताए गए हैं। वहीं ज्योतिष शास्त्र की भी स्पष्ट मान्यता है कि अगर किसी जातक की कुंडली में विशेष प्रकार के योग होंगे तो वह प्रेम में धोखा दे सकता है। इसके उलट, कुछ दुर्लभ योग ऐसे भी होते हैं जो उसे प्रेम में सफलता दिलाते हैं। जानिए, ज्योतिष के कुछ विशेष प्रकार के योगों के बारे में।

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– कुंडली में ग्रहों की स्थिति, योग और दृष्टि बहुत महत्वपूर्ण है। इसी पर निर्भर करता है कि कौन जातक प्रेम में धोखा देगा और कौन कामयाब होगा।

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कुंडली में प्रेम के लिए पांचवां और वैवाहिक जीवन के लिए सातवां भाव बहुत महत्वपूण है।

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– अक्सर यह देखा जाता है कि पांचवें भाव में बैठा शुक्र जातक को प्रेम प्रसंग में सफलता प्रदान करता है। उसका वैवाहिक जीवन भी सुखी होता है, परंतु यदि उसके साथ कोई क्रूर ग्रह बैठा हो तो शुक्र का प्रभाव न्यून हो जाता है। ऐसे में अगर वह किसी से प्रेम करे तो सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि उसके साथ धोखा हो सकता है।

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– प्रेम-प्रसंग के मामले में चंद्रमा को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर पांचवें भाव में चंद्रमा बैठा हो तो ऐसा जातक प्रेम प्रसंग में बहुत आगे रहता है। अगर चंद्रमा विभिन्न दृष्टियों से दोषयुक्त हो तो वह जिद्दी और चंचल स्वभाव का प्राणी हो सकता है। इस स्थिति में अगर वह किसी से प्रेम करता है तो स्वयं द्वारा धोखा देने अथवा प्रेमिका द्वारा धोखा मिलने की आशंका रहती है।

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– सातवें भाव में चंद्रमा का स्थान होने से वैवाहिक जीवन प्रभावित होता है। अगर चंद्रमा की स्थिति यहां शुभ हो, किसी सौम्य ग्र​ह के साथ यु​ति हो, तो जातक का प्रेम विवाह होने के प्रबल योग बनते हैं। उसे मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है। अगर राहु या केतु के साथ युति हो अथवा सूर्य की सप्तम दृष्टि हो तो उसके वैवाहिक जीवन में विभिन्न अवरोध आते रहते हैं।

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  1. कुंडली अनुसार तलाक के योग

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कुंडली के कुछ ऐसे योग बताए गए हैं, जिनसे तलाक होने की संभावनाएं मालूम होती हैं। कुंडली का सप्तम भाव विवाह और वैवाहिक जीवन का कारक भाव है। यहां जानिए इसी भाव और इस भाव से संबंधित ग्रहों के आधार पर तलाक की संभावनाएं बताने वाले योग…

  1. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के सातवें भाव में स्थित द्वादश भाव के स्वामी से राहु की युति हो तो तलाक होने की संभावनाएं काफी अधिक रहती हैं।
  2. कुंडली के बारहवें भाव में बैठें सप्तम भाव के स्वामी से राहु की युति हो तो तलाक हो सकता है।
  3. पंचम भाव में स्थित द्वादश भाव के स्वामी से राहु की युति हो तो तलाक हो सकता है।
  4. कुंडली के पंचम भाव में स्थित सप्तम भाव के स्वामी से राहु की युति हो तो तलाक होने के योग बनते हैं।
  5. कुंडली के सातवें भाव का स्वामी और बाहरवें भाव का स्वामी एक साथ दसवें भाव में हो तो तलाक हो सकता है।
  6. कुंडली के सातवें भाव में अशुभ ग्रह हो और चंद्रमा के साथ शुक्र भी पीड़ित हो तो तलाक के योग बनते हैं।
  7. कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी और द्वादश भाव का स्वामी षष्ठम, अष्टम या द्वादश भाव में हो और सातवें घर में अशुभ ग्रह हो तो तलाक के योग बनते है।
  8. सातवें भाव में स्थित सूर्य पर शनि के साथ शत्रु ग्रह की दृष्टि होने से तलाक के योग बनते है

 

जीवन मे आ रही उपरोक्त प्रकार की  समस्या का समाधान जाने ,वैदिक उपायों और ज्योतिष के द्वारा, बनाइये अपनी हर मुश्किल को आसान

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