पितृपक्ष में जब हम अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं , तो उसमे पिंडदान की क्रिया करना आवश्यक होता है।
पिंडदान में हम गोलाकार पिंड बनाते हैं
जिसमें पितरों का वास होता है।
जब हम बचा हुआ आटा गोल आकार में रखते हैं, तो उसमें प्रेत आत्मा का वास हो सकता है।
इसलिये आटे को रखने से पहले उस पर उंगलियों के निशान बना दें ताकि उसमें किसी का वास न हो सके।