( 52 लक्ष्मियोंं की स्तुति प्रार्थना)
प्रस्तुत स्तोत्र में माता महालक्ष्मी के कुछ विशिष्ट 52 रूपों की स्तुति प्रार्थना की गई है।साथ में यह स्तोत्र मां लक्ष्मी के
दो मंत्रों से सम्पुटित किया गया है। जिससे इसका प्रभाव बढ़ गया है
🍁०१
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
.ॐ नमो आदिलक्ष्म्यै आद्यशक्त्यै जगन्मातृभ्यै,
त्रैलोक्यमङ्गलप्रदायै सर्वविघ्नविनाशिन्यै।
सकलसिद्धिं कुरु कुरु, श्रियं वर्धय वर्धय।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥१।।
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁०२
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो धनलक्ष्म्यै कौस्तुभमणिमण्डितायै,
कोटिधनप्रदायिन्यै, दारिद्र्य-बाधा नाशिन्यै।
धनं देहि देहि, सुवर्णं संवर्धय संवर्धय।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥२।।
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः।
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🍁०३
.ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो धान्यलक्ष्म्यै अन्नपूर्णायै भूमिपूजितायै,
पाशुष्टु पुष्टिदायिन्यै सर्वशोभनस्वरूपिण्यै।
अन्नं कुरु कुरु, जीवनं कुरु कुरु, सुखं कुरु कुरु।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥३।।
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁०४
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो गजलक्ष्म्यै रजतगजसंस्थितायै,
ऐश्वर्यं यच्छती नित्यं भक्तेभ्यः करुणानिधौ।
शत्रुशमनं कुरु कुरु, भक्तवत्सलां कुरु कुरु।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥४।।
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁०५
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो विद्यालक्ष्म्यै बुद्धिलक्ष्म्यै स्मृतिलक्ष्म्यै वेदार्थपरिजीविन्यै,
दम्भमोहं ह्रियन्त्यै तन्मोहं नाशयन्त्यै नमः।
विद्यां कुरु कुरु, बुद्धिं कुरु कुरु, स्मृतिं कुरु कुरु, मम मे प्रभो।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁०६
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो गृहलक्ष्म्यै शुभसिंहासना रम्ये,
गृहस्वामिन्यै कल्याणदायिन्यै सुखप्रदायिन्यै।
संपत्ति कुरु कुरु, सौभाग्यं कुरु कुरु, स्थिरत्वं कुरु।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥६।।
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁०७
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भोगवरदालक्ष्म्यै सुखसंपदायिकायै,
भोगश्रीं प्रदायिन्यै समृद्धदायिन्यै यशस्विन्यै।
सुखं कुरु कुरु, वैभवं कुरु कुरु, धनं कुरु कुरु।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥७।।
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁०८
.ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो सन्तानलक्ष्म्यै पुत्रपौत्र प्रदायिन्यै,
परिवारमनि कल्याणाय जन्मदुःख नाशिन्यै।
संतानं कुरु कुरु, वंशं कुरु कुरु, वरदानं कुरु।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥८।।
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁९
.ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो विजयलक्ष्म्यै जयदायिन्यै रणभूमिषु,
विजयं दायिन्यै मम सर्वेषां सर्वतोभयशुनाम्।
विजयं कुरु कुरु, विजयं कुरु कुरु सर्वत्र।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥९।।
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁१०
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट्
ॐ नमो सौभाग्यदालक्ष्म्यै जीवनमंगलदायिन्यै,
कल्याणफलप्रदायिन्यै स्त्रीणां पुण्यकारिण्यै।
सौभाग्यं कुरु कुरु, मङ्गलं कुरु कुरु सदाय।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥१०
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁११
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो साम्राज्यदालक्ष्म्यै सम्पत्तिसूचकायै,
राज्यवर्धिकायै धनधान्य वर्धनकारिण्यै।
संपत्तिं कुरु कुरु, प्रभुत्वं कुरु कुरु तुष्टये।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥११
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁१२
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् ।
ॐ नमो त्रिशक्तिलक्ष्म्यै त्रिगुणात्मकविद्यायै,
श्रीविद्यास्वरूपायै जगदम्बायै नमो नमः।
शक्तिं कुरु कुरु, बुद्धिं कुरु कुरु मम हृदि।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁१३
.ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् ।।
ॐ नमो प्रसन्नवरदालक्ष्म्यै, सदाशक्तिस्वरूपिण्यै,
विघ्ननाशनकरिण्यै, भक्तवत्सलायै च सिद्धिकरि।
सुखं कुरु कुरु, वरदानं कुरु कुरु सदा मे।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁१४
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् ।।
ॐ नमो सिद्धियोगलक्ष्म्यै योगसिद्धिदायिन्यै,
योगिनामपि यशस्विन्यै जीवनमुक्तिदायिन्यै।
सिद्धिं कुरु कुरु, योगं कुरु कुरु दिव्यमाराधन।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁१५
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो अमृतसंजीवनीलक्ष्म्यै, जीवनदायिन्यै,
अमृतरससम्पन्नाय, शरणागतपालयिन्यै।
आयुष्मत्कुरु कुरु, रोगमुक्तिं कुरु कुरु सर्वदा।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
🍁१६
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो मोक्षलक्ष्म्यै विमुक्तिदायिन्यै परलोकनायिके,
कर्मभोगमोक्षयुक्ताय भवसिन्धु तारिण्यै।
मोक्षं कुरु कुरु, दुःखशमनं कुरु कुरु सर्वदा।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
🍁१७.
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो त्रिकालचक्रेश्वर्यै, कालरूपाय महाशक्त्यै,
कालाग्निरूपाय भगवत्यै, सर्वविघ्ननाशिन्यै।
सर्वकालसाक्षी कुरु कुरु, मोक्षदायिन्यै कुरु सर्वदा।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
🍁१८.
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो महासुदर्शनालक्ष्म्यै, सर्वात्मिकायै,
विष्णुप्रियस्वरूपाय, भक्तवत्सलाय जगत्प्रिये।
सूर्यकान्तिवर्णाय चक्रनयनाय महादेवी,
सर्वत्र रक्षा कुरु कुरु, भक्तानां हिते प्रणतां कुरु।
सर्वशत्रुनाशायै, तंत्रदुष्टविनाशायै च,
दिव्यतेजस्विन्यै, सर्वबाधाशमनायै च।
सर्वत्र विजयं कुरु कुरु, भक्तसुरक्षणं कुरु कुरु।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
🍁१९.
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो वास्तुशुभंकरीलक्ष्म्यै, गृहक्लेशनाशिन्यै, सर्वगृहसंपत्तिदायिन्यै, मंगलप्रदायिन्यै।
वास्तुशान्ति कुरु कुरु, सुख-समृद्धि कुरु कुरु सर्वदा।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
🍁२०.
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो सत्यलक्ष्म्यै धर्मप्रदायिन्यै महाद्युतये,
विद्याप्रदायिन्यै चरणकमलाश्रितार्तिघ्ने।
सत्यं कुरु कुरु, बुद्धिं कुरु कुरु मम चित्ते।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
🍁२१.
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो कौशललक्ष्म्यै चतुरविद्यायै दक्षायै,
वेदवेदाङ्गसहिताय विद्यासंपदाकरीणि।
कौशलं देहि देहि, दक्षं देहि देहि मम प्रिये।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
🍁२२.
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो प्रज्ञालक्ष्म्यै विवेकप्रदायिन्यै,
तत्त्वज्ञानवृद्धिकारिण्यै सर्वत्र पूजितायै।
प्रज्ञां कुरु कुरु, तत्त्वमुद्रां देहि गुरु गुरू॥
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁२३
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो शान्तिलक्ष्म्यै, प्रसन्नरूपिण्यै, शुभदायिन्यै,
कल्याणसम्प्रदायिन्यै, सौम्ये नमोस्तुते महादेवि।
शान्तिं कुरु कुरु, सुखं कुरु कुरु, मम चित्ते सर्वदा।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁२४
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो करुणालक्ष्म्यै, दयालुरूपसमृद्धायै,
सकलभयक्षयं कुर्वन्न्याऽभयप्रदायिन्यै महादेवी।
करुणां कुरु कुरु, दयां कुरु कुरु सर्वदा मे।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁२५
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो आरोग्यायुष्लक्ष्म्यै, स्वास्थ्यदायिन्यै निरामयायै,
रोगनाशनकरिण्यै, दीर्घजीवप्रदायिन्यै महादेवी।
आरोग्यं कुरु कुरु, दीर्घायुष्मान् कुरु कुरु मम।
सर्वव्याधिनाशं कुरु कुरु, बलसंपदं कुरु कुरु।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁२६
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् ।
ॐ नमो विश्वरूपलक्ष्म्यै, अनन्तशक्त्यै, जगन्मातृकायै,
त्रैलोक्यपूजितायै, सर्वमङ्गलप्रदायिन्यै महादेवी।
विश्वं धारय धारय, सर्वसंपदं ददास्व मे।
सर्वविघ्ननाशं कुरु कुरु, अखण्डशक्तिं कुरु कुरु।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
********
🍁२७
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् ।
ॐ नमो कामलक्ष्म्यै, कामदायिन्यै, हर्षप्रदायिन्यै।
सर्वैकामप्रदायिन्यै, संपूजितार्चितायै महे॥
कामं कुरु कुरु, हर्षं कुरु कुरु, स्नेहमयं कुरु सर्वदा।
सौम्यवदनायै, प्रबलकामशक्त्यै, जीवनीशक्त्यै च॥
वंशवृद्ध्यै, सौन्दर्यवर्धनायै, मनोहरीछवायै च।
मनोनुकूलजीवनसाथीप्राप्त्यै, सुखदं वैवाहिकाय च॥
काममयी कुरु कुरु, प्रेममयी कुरु कुरु, भक्तिमयी कुरु कुरु, शक्तिप्रदायिन्यै।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट् ॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁२८
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो वैभवलक्ष्म्यै, स्वर्णवर्णायाः, स्वर्णमुकुटधारिण्यै, कमलासनायाः,संपदाकार्यप्रदायिन्यै, धनप्रदायिन्यै, अभयदायिन्यै, जयदायिन्यै।
वैभवं कुरु कुरु, शक्तिं कुरु कुरु, मम हितार्थे सर्वदा।
सर्वसंपत्तिवर्धनं कुरु कुरु, कार्यसिद्धिं कुरु कुरु,
सर्वविघ्ननाशं कुरु कुरु, भयं नाशय कुरु कुरु।
सर्वशत्रुविनाशं कुरु कुरु, धनसंपदामय्यं कुरु कुरु।
कमलदलासनायै, सौम्यवदनायै, वैभवलक्ष्म्यै नमो नमः।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
***
🍁२९
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् ।
ॐ नमो आजीविकालक्ष्म्यै जीविकाप्रदायिन्यै,
परिश्रमसंपत्तिदायिन्यै, सर्वोपयोगकारिण्यै,
सर्वसंपत्तिनाशिन्यै, सर्वविघ्नविनाशिन्यै च।
जीविकां कुरु कुरु, प्रवृद्धिं कुरु कुरु, ममे हिते सर्वदा।
संपत्तिवर्धनं कुरु कुरु, कार्यसिद्धिं कुरु कुरु,
सर्वसंपत्तिनिर्माणं कुरु कुरु, साधनरूपेण समर्पितम्।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁३०
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् ।
ॐ नमो त्रिलोकलक्ष्म्यै, सर्वग्रामपालकायै,
त्रिकालदायिन्यै, सत्तारूपिण्यै, सर्वशक्तिमय्यै॥
त्रयताप नाशय, त्रिलोक कल्याण कुरु कुरु ममे हिते सर्वदा।
भयं नाशय कुरु कुरु, दुष्टदमनं कुरु कुरु,
सर्वशक्तिप्रदानं कुरु कुरु, त्रिकालरूपेण समर्पयामि॥
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
***
🍁३१
.ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो प्रचण्डिकालक्ष्म्यै तेजस्विन्यै महाविधायिन्यै,
सर्वदुःखविनाशिन्यै, सर्वविघ्नविनाशिन्यै,
सर्वशत्रुविनाशिन्यै, सर्वबाधानाशिन्यै च।
शक्ति कुरु कुरु, तेजः कुरु कुरु, ममे हिते, सर्वदा।
भयं विनाशय कुरु कुरु, दुष्टदमनं कुरु कुरु,
सर्वशक्तिनिर्माणं कुरु कुरु, कालरूपेण समर्पितम्।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्।
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁३२
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् ।
ॐ नमो कालभञ्जिकायै महामायायै,
कालसर्पविनाशिन्यै दानवदुर्दलन्यै।
कालविनाशं कुरु कुरु, भयविनाशं कुरु कुरु,
सर्वबाधामोचनं कुरु कुरु, शत्रुविनाशं कुरु कुरु सर्वदा।
त्रां ह्रीं क्लीं ह्रौं फट्॥
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁३३
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
स्वर्णरश्मिप्रभायुक्तां योगविद्याप्रपूरिताम्,
देवपूज्यां सदानन्दां प्रभालक्ष्मीं नमाम्यहम्।
आदित्यलक्ष्म्यै तेजस्विन्यै प्रभास्विन्यै दिव्यतेजः,
सर्वकल्याणसिद्धिदायिन्यै, आयुष्यमयी सर्वदा।
सूर्यलक्ष्म्यै तेजस्विन्यै प्रभास्विन्यै दिव्यतेजः,
सर्वकल्याणसिद्धिदायिन्यै, आयुष्यमयी सर्वदा।
सर्वलोकलक्ष्म्यै सर्वशक्तिसंयुक्तायै,
सर्वसंपत्ति, कल्याण, सुख, आयुष्यमयी।
ॐ स्वर्णरश्मिप्रभायुक्तां, आदित्यशशिलक्ष्म्यै च,
सर्वलोकसंपत्तिदायिन्यै, सर्वसिद्धिदायिन्यै नमः।
शुभम् कुरु कुरु, तेजः कुरु कुरु,
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट् ॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁३४
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् ।
श्वेतवर्णां शशिधरां शीतलाममलप्रभाम्।
सौन्दर्यरश्मिसंयुक्तां ज्योत्स्नालक्ष्मीं नमाम्यहम्॥
सौम्यभावसमायुक्तां शान्तस्वरमनोहराम्।
दुःखनाशप्रियां नित्यां सौम्यलक्ष्मीं नमाम्यहम्॥
ॐ नमो चन्द्रलक्ष्म्यै श्वेतवर्णायै शीतलप्रभायै,
ज्योत्स्नालक्ष्म्यै सौम्यलक्ष्म्यै सौन्दर्यलक्ष्म्यै,
सन्तानलक्ष्म्यै जललक्ष्म्यै सौख्यलक्ष्म्यै समृद्धिलक्ष्म्यै स्वप्नलक्ष्म्यै।
शीतलं कुरु कुरु, सौख्यं कुरु कुरु, समृद्धिं कुरु कुरु, शान्तिं कुरु कुरु मम मे।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁३५
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् ।
रक्तवर्णां महाशक्तिं सौम्याग्र्यविजयप्रदाम्।
युद्धसंरम्भसंपन्नां वीरलक्ष्मीं नमाम्यहम्॥
भूमिदायिन्यनन्तां च स्थिरसंपत्समृद्धिदाम्।
गृहकल्याणकारिणीं भूमिलक्ष्मीं नमाम्यहम्॥
ॐ नमो मङ्गललक्ष्म्यै रक्तवर्णायै वीरलक्ष्म्यै,
भूमिलक्ष्म्यै आरोग्यलक्ष्म्यै ऋणमोचनलक्ष्म्यै रणलक्ष्म्यै,
शौर्यलक्ष्म्यै कुलसंरक्षिण्यै मंगलदायिन्यै।
मङ्गलं कुरु कुरु, आरोग्यं कुरु कुरु,
विजयं कुरु कुरु, सौभाग्यं कुरु कुरु मम मे।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁३६
.ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् ।
हरिताङ्गीं सुधावाणीं कलायुक्तां सरस्वतीम्।
बुधमण्डलनिलयां बुद्धिलक्ष्मीं नमाम्यहम्॥
मधुरां वाणिलक्ष्मीं च सौम्यलक्ष्मीं सुशोभनाम्।
ज्ञानसिद्धिप्रदां नित्यां मन्त्रलक्ष्मीं नमाम्यहम्॥
ॐ नमो बुधलक्ष्म्यै हरितवर्णायै सुधावाण्यै,
बुद्धिलक्ष्म्यै वाक्लक्ष्म्यै सौम्यलक्ष्म्यै मन्त्रलक्ष्म्यै,
कौशललक्ष्म्यै वाणिज्यलक्ष्म्यै सिद्धिलक्ष्म्यै मांगल्यलक्ष्म्यै।
बुद्धिं कुरु कुरु, वाक्शक्तिं कुरु कुरु, संपदं कुरु कुरु मम मे।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁३७
.ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् ।
पीतवर्णां सदाध्यायां ब्रह्मज्ञानप्रवर्तिनीम्।
वेदस्तोत्रप्रियां नित्यां गुरुलक्ष्मीं नमाम्यहम्॥
विद्यालक्ष्मीं सरस्वत्यां धर्मलक्ष्मीं सनातनीम्।
वाक्लक्ष्मीं मधुरां वाणीं सत्यलक्ष्मीं नमाम्यहम्॥
ॐ नमो गुरुलक्ष्म्यै पीतवर्णायै ब्रह्मविद्याप्रवर्तिन्यै,
विद्यालक्ष्म्यै धर्मलक्ष्म्यै वाक्लक्ष्म्यै सत्यलक्ष्म्यै,
पुत्रलक्ष्म्यै वेदलक्ष्म्यै ज्ञानलक्ष्म्यै आयुष्यलक्ष्म्यै,
गुरुशिष्यलक्ष्म्यै कुलसमृद्धिप्रदायिन्यै विमलायै।
गुरुं कुरु कुरु, ज्ञानं कुरु कुरु, आशिर्वादं कुरु कुरु मम मे।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁३८
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
तेजस्विनीं सुलावण्यां कामश्रीमभिवर्धिनीम् ।
सौभाग्यकल्याणकरां भोगलक्ष्मीं नमाम्यहम् ॥
सौख्यदां प्रेमदां दिव्यां संपदां शुभकारिणीम् ।
शुक्रलक्ष्मीं प्रपद्येऽहं सर्वसमृद्धिदायिनीम् ॥
ॐ नमो शुक्रलक्ष्म्यै सौख्यप्रदायिन्यै,
कामदायिन्यै, संपदामयी, जीवितेश्वर्यै, प्रेमदायिन्यै।
सौख्यं कुरु कुरु, प्रेमं कुरु कुरु मम मे।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁३९
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
नीलवर्णां दृढां धीरां कर्मबन्धविनाशिनीम् ।
स्थिरां गम्भीरसद्भावां कर्म-धैर्य-मृत्युञ्जयाम् ॥
श्रम-शांति-न्याय-पूर्णां अन्नपूर्णां नमाम्यहम् ॥
**ॐ नमो शनि-मंडल-वासिनि —
कर्म-लक्ष्म्यै, धैर्य-लक्ष्म्यै, मृत्युंजया-लक्ष्म्यै,
श्रम-लक्ष्म्यै, शांति-लक्ष्म्यै, न्याय-लक्ष्म्यै, अन्नपूर्णा-लक्ष्म्यै च।
दुःखप्रशमनकर्त्र्यै, सर्वव्याधिनिवारिण्यै।
शांतिं कुरु कुरु, न्यायं कुरु कुरु, आयुः कुरु कुरु, सुखं कुरु कुरु सर्वदा मे।**
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁४०
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
तामसीं मायिनीं देवीं राहुच्छायाविनाशिनीम् ।
मोहभङ्गप्रदां नित्यां छायानागलक्ष्म्यनुत्तमाम् ॥
ॐ नमो राहु मंडल वासिनि छाया-माया-नागलक्ष्म्यै वक्रतुण्डायै त्वरितविग्नहरायै,
ज्ञानकान्तिदायिन्यै भक्तवत्सलायै सर्वदा मे।
विघ्नं हर, करुणां कुरु कुरु, बुद्धिं कुरु कुरु प्रभो!
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
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ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁४१
.ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ध्वजारूपप्रभामुद्याम्, ध्यानरत्नप्रवर्तिनीम्।
चेतनाशक्तिसंपूर्णां, मोक्षयोगसंपूर्णां सर्पिभैरवीम्॥
मुक्तिलक्ष्म्यनुत्तमां देवीं, सर्वसिद्धिप्रदां शुभाम्॥
ॐ नमो केतु-मंडल वासिन्यै, योग-लक्ष्म्यै, सर्पिण्यै, भैरव्यै लक्ष्म्यै। नक्षत्रनिष्ठायै, चन्दनासनायै।
ज्ञानदायिन्यै, सौख्यप्रदायिन्यै, रत्नाभदेव्यै।
विज्ञानं कुरु कुरु, सौख्यं कुरु कुरु मम हिते।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट् ॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
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🍁४२.
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो धनकुबेरलक्ष्म्यै, सम्पत्कर्त्रे नवनिधिदायिन्यै,
त्रैलोक्यसंपत्तिप्रदायिन्यै, पतये धनमायिन्यै।
धनं कुरु कुरु, वैभवं कुरु कुरु मम मे।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
🍁४३
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो सिद्धिविनायकलक्ष्म्यै सिद्धिदायिन्यै महाशक्तये,
विघ्ननाशनकारिण्यै भक्तिप्रदायिन्यै सर्वदा।
सिद्धिं कुरु कुरु, भक्तिं कुरु कुरु सदाशिवायै।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
🍁४४
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो त्रैलोक्यमोहनलक्ष्म्यै देवकार्यसिद्धिदायिन्यै,
मोहनरूपिण्यै भक्तवत्सलायै जगदम्बायै च।
मोहनं कुरु कुरु, भक्तिं कुरु कुरु हरिप्रियायै।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
🍁४५.
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो कनकधारालक्ष्म्यै सुवर्णशोभिन्यै च,
धनधान्यप्रदायिन्यै सुवर्णरूपिण्यै च।
संपदां कुरु कुरु, सुवर्णं कुरु कुरु मम मे।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
🍁४६.
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भूमिलक्ष्म्यै धरणीयै निशिचराराधितायै,
सर्वभूतालयदायिन्यै सर्वसौख्यप्रदायिन्यै।
भूमिं कुरु कुरु, धनसमृद्धिं कुरु कुरु सर्वदा।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
🍁४७.
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो जललक्ष्म्यै कुलजलाधिपतये नमोऽस्तुते,
सर्वशोणितसमृद्धिप्रदायिन्यै सौख्यप्रदायिन्यै।
जलं कुरु कुरु, निर्मलता कुरु कुरु मम मे।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
🍁४८.
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो अग्निलक्ष्म्यै, ज्वालाकायायै च तेजःप्रदायिन्यै।
सर्वदुष्टानां विनाशिन्यै, माणिक्यभूषितायै च॥
तेजं कुरु कुरु, संहारं कुरु कुरु सर्वदा।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट् ॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
🍁४९.
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो वायुलक्ष्म्यै सर्वदायिन्यै जीवनप्रदायिन्यै,
शक्तिस्वरूपिण्यै भक्तवत्सलायै सर्वदा मे।
वायुं कुरु कुरु, ऊर्जा कुरु कुरु सर्वत्र मे।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
🍁५०.
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो आकाशलक्ष्म्यै सर्वव्यापिन्यै च परमेश्वरि,
त्रिवर्गप्रदायिन्यै नित्यानन्दरूपिण्यै जगन्मातृ।
आकाशं कुरु कुरु, सर्वत्र कुरु कुरु भक्तेभ्यः।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
🍁५१.
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो प्राणलक्ष्म्यै, जीवनदायिन्यै सत्त्वमय्यै,
सर्वधातुसंवृद्ध्यै, सर्वलोकहितकारिण्यै॥
प्राणं कुरु कुरु, स्वास्थ्यं कुरु कुरु सत्यनारायण्यै।।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट् ॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः
🍁५२
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो नारायणप्रियायै सर्वलोकनाथाय च,
लक्ष्म्यै सर्वसौंदर्यरूपाय जगन्मातृभगवत्यै।
सर्वदा कुरु कुरु, भक्तवत्सलां कुरु कुरु।
श्रां श्रीं श्रूं श्रैं श्रौं श्रः फट्॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम् पूरय पूरय नमः