सामुद्रिक हस्तरेखा शास्त्र का अध्ययन करते समय मेरे मन में यह उत्सुकता बनी रही कि छोटे बच्चों के हाथ की रेखाओं से उनके शैक्षणिक करियर का अनुमान कैसे लगाया जा सकता है।
इसके लिए मैंने विभिन्न स्तरों पर अलग-अलग क्षेत्रों में पढ़ने वाले कई विद्यार्थियों के हाथों का निरीक्षण किया।
इन निरीक्षणों के आधार पर बच्चे के हाथ के आकार, उंगलियों की बनावट, हाथ की बनावट, हाथ के रंग, हथेली की रेखाओं का प्रारंभ और अंत, हथेली पर शुभ-अशुभ चिह्न आदि बातों पर विचार कर इस लेख में संपूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया है।
छोटे बच्चों के हाथ पर दिखने वाली रेखाएँ और चिह्न क्या अर्थ रखते हैं, या वे उनके जीवन पर क्या प्रभाव डाल सकते हैं, यह सोचना आवश्यक है।
बच्चे के जन्म के तुरंत बाद ही उसकी हथेली पर कुछ रेखाएँ और चिह्न साफ़ दिखाई देने लगते हैं।
अब प्रश्न उठता है कि क्या उन छोटे बच्चों में विचार शक्ति, महत्वाकांक्षा, ममतामयी स्वभाव जैसे गुण, जो हम वयस्कों में देखते हैं, वे भी दिखाई देते हैं?
विचार करने पर लगता है कि इसका उत्तर हाँ में ही है।
जन्म के समय बच्चे की हथेली पर जो रेखाएँ और चिह्न दिखाई देते हैं, वे उसकी उम्र बढ़ने के साथ बदलते हैं।
यानी हथेली पर पर्वत, रेखाएँ और चिह्न विकसित या अविकसित हो सकते हैं।
इसलिए यह मानना गलत होगा कि बच्चे के भविष्य में कोई बदलाव नहीं हो सकता।
बच्चों को सही विषय और करियर की दिशा देना माता-पिता और शिक्षकों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है।
क्योंकि हर बच्चे की मानसिक प्रवृत्ति और उसमें छिपी शक्ति को पहचानना जरूरी है।
ऐसा करने से हम उनमें छिपी ताकत को बढ़ा सकते हैं और उनकी कमियों को दूर कर सकते हैं।
14 से 18 वर्ष की उम्र में यह साफ़ दिखाई देने लगता है कि बच्चा किस विषय या क्षेत्र की ओर झुका हुआ है।
अगर उसी अनुसार उसे शिक्षा दी जाए, तो उसका जीवन सुखद और सफल हो सकता है।
बच्चों के हाथों के प्रकार
छोटे बच्चों के हाथ चार प्रकार के पाए जाते हैं:
मधुमती मंत्र
मधुमती मंत्र देवी मधु और मति को समर्पित है।
यह मंत्र ज्ञान, बुद्धि और स्मृति को बढ़ाने में मदद करता है।
मंत्र:
ॐ मधुमती मधुमती मधुमती मे
भावार्थ:
हे मधुमती देवी, मुझे ज्ञान, बुद्धि और स्मृति प्रदान करें।
इस मंत्र का जाप करने से पहले हाथ जोड़कर, मन शांत करके बैठें।
फिर श्रद्धा से इसका जाप करें।
यह मंत्र निश्चित रूप से ज्ञान, बुद्धि और स्मरणशक्ति में वृद्धि करता है।