कुंडली हमारे कर्म, प्रारब्ध, अवसर और चुनौतियों का प्रतिबिंब है।
यहाँ पराशर ऋषि के बृहत् पराशर होरा शास्त्र से लेकर डॉ. बी. वी. रमण और श्री के. एन. राव के आधुनिक शोध तक, संपूर्ण ज्ञान का सार लेकर 100 प्रश्नों की सरल लेकिन गहन चेकलिस्ट बनाई गई है।
यह चेकलिस्ट जीवन के 10 प्रमुख पहलुओं (जन्म, स्वास्थ्य, शिक्षा, करियर, विवाह, संतान, धन, संपत्ति, भाग्य और अंत समय) को क्रमशः कवर करती है।
प्रत्येक पहलू के 10 महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके संक्षिप्त उत्तर दिए गए हैं।
यह चेकलिस्ट ज्योतिष के विद्यार्थियों और आम व्यक्ति दोनों के लिए “कुंडली कैसे देखें?” इस प्रश्न का आसान उत्तर है।
(स्वास्थ्य, आयु और मूल स्वभाव)
(ज्ञान, शिक्षा और निर्णय क्षमता)
४. विवाह और वैवाहिक जीवन (Marriage and Married Life)
(विवाह, जीवनसाथी और रिश्ते)
३१. सप्तमेश कहाँ है? –
सप्तमेश शुभ स्थान में: सुखी वैवाहिक जीवन।
सप्तमेश ६, ८, १२ भाव में: वैवाहिक जीवन में कलह।
३२. शुक्र बलवान है क्या?
हाँ: प्रेमपूर्ण और सुंदर जीवनसाथी, सुखी दांपत्य।
नहीं (अस्त/नीच): वैवाहिक सुख की कमी।
३३. मंगलीक दोष है क्या? –
हाँ: रिश्ते में विवाद, आक्रामकता।
उपाय होने पर परेशानी कम।
३४. सप्तम भाव पर किसकी दृष्टि है?
३५. नवांश (D9) कुंडली में लग्नेश-सप्तमेश कैसे हैं?
अच्छे: रिश्तों में तालमेल।
कमजोर: बाहर सब अच्छा, घर में तनाव।
३६. तलाक का योग है क्या?
६, ८, १२ भाव में सप्तमेश और पाप ग्रहों का प्रभाव: तलाक की संभावना।
३७. प्रेम विवाह या तयशुदा? –
पंचमेश-सप्तमेश का संबंध: प्रेम विवाह।
३८. विवाह में विलंब क्यों? –
सप्तमेश शनि के प्रभाव में या वक्री: विवाह में विलंब।
३९. जीवनसाथी कैसा होगा? –
सप्तम भाव की राशि और ग्रह जीवनसाथी का स्वभाव बताते हैं।
४०. उपपद लग्न (UL) कहाँ है? –
UL पर शुभ प्रभाव: वैवाहिक जीवन समाज में सम्मानजनक दिखता है।
५. संतान और परिवार (Children and Family)
(बच्चे, पारिवारिक सुख और वंशवृद्धि)
४१. पंचमेश कहाँ है? –
पंचमेश बलवान: योग्य और भाग्यशाली संतान।
पंचमेश पीड़ित: संतान प्राप्ति में बाधाएँ।
४२. गुरु बलवान है क्या? –
हाँ (विशेषकर पुरुष की कुंडली में): संतान सुख अवश्य।
४३. सप्तांश (D7) कुंडली में पंचमेश कैसा है? –
बलवान: संतान से सुख।
कमजोर: संतान की चिंता।
४४. पंचम भाव में पाप ग्रह हैं क्या? –
हाँ (शनि/राहु/केतु): संतान में विलंब या चिकित्सा की आवश्यकता।
४५. संतान का योग कब है? –
पंचमेश या गुरु की दशा/अंतरदशा और गोचर अनुकूल होने पर।
४६. गर्भपात का खतरा है क्या? –
मंगल और राहु का पंचम भाव पर प्रभाव होने पर।
४७. बच्चे आज्ञाकारी होंगे क्या? –
पंचमेश लग्नेश का मित्र हो तो बच्चे आज्ञाकारी।
४८. दूसरा (२) भाव कैसा है? –
शुभ ग्रह प्रभाव: परिवार में प्रेम और तालमेल।
पाप ग्रह प्रभाव: पारिवारिक कलह।
४९. चौथा भाव कैसा है? –
बलवान: माँ से सुख और पारिवारिक स्थिरता।
५०. नागदोष या सर्पशाप है क्या? –
पंचम भाव में राहु: संतान हेतु ‘नागदोष’ शांति आवश्यक।
६. धन और संपत्ति (Wealth and Finances)
(पैसा, बैंक बैलेंस और आर्थिक स्थिति)
५१. धनभाव (दूसरा भाव) कैसा है? –
धनेश बलवान और शुभ युति में: अच्छा धन संचय।
५२. लाभेश (११वाँ भाव) कहाँ है? –
लाभेश धनेश के साथ: कई साधनों से धन, इच्छापूर्ति।
५३. धनयोग है क्या? –
हाँ (२, ५, ९, ११ के स्वामी संबंध): धन प्राप्ति का योग।
५४. लक्ष्मी योग (चंद्र-मंगल) है क्या? –
हाँ: अचानक धनलाभ, आर्थिक उन्नति।
५५. पैसा टिकेगा क्या? –
धनेश बलवान, व्ययेश (१२वाँ स्वामी) कमजोर: पैसा टिकता है।
व्ययेश बलवान: खर्च अधिक।
५६. कर्ज होगा क्या? –
६ठे भाव का स्वामी बलवान और धनेश से संबंधित: कर्ज का खतरा।
५७. आर्थिक नुकसान का योग है क्या? –
धनेश ८ या १२ भाव में: नुकसान, चोरी।
५८. संपत्ति कब आएगी? –
धनेश, लाभेश या धनयोग के ग्रहों की दशा में।
५९. वंशानुगत संपत्ति मिलेगी क्या? –
अष्टम भाव और धनेश शुभ संबंध: पैतृक संपत्ति।
६०. अष्टकवर्ग में दूसरे और ग्यारहवें भाव में कितने बिंदु हैं? –
२८ से अधिक: आर्थिक स्थिति हमेशा मजबूत।
७. घर, वाहन और संपत्ति (House, Vehicle, and Property)
(जमीन, घर, गाड़ी और भौतिक सुख)
६१. चतुर्थेश कहाँ है? –
चतुर्थेश बलवान, केंद्र/त्रिकोण में: स्वयं का घर।
६, ८, १२ भाव में: किराये पर रहना।
६२. मंगल बलवान है क्या? –
हाँ: जमीन-मकान खरीद का योग।
६३. शुक्र बलवान है क्या? –
हाँ: आलीशान घर, महंगी गाड़ियाँ।
६४. चौथे भाव में कौन से ग्रह हैं? –
शुभ ग्रह: सुंदर घर, शांति।
शनि/राहु: पुराना घर, संपत्ति विवाद।
६५. वाहन सुख मिलेगा क्या? –
चतुर्थेश और शुक्र बलवान हों तो उत्तम वाहन।
६६. स्वयं का घर कब होगा? –
चतुर्थेश, मंगल या शनि की दशा/अंतरदशा और साढ़ेसाती में।
६७. संपत्ति विवाद होगा क्या? –
चतुर्थ भाव में मंगल/शनि/राहु: कोर्ट-कचहरी।
६८. एक से अधिक संपत्ति का योग है क्या? –
चतुर्थेश चल राशि में या कई ग्रहों से संबंधित हो तो।
६९. विदेश में संपत्ति होगी क्या? –
चतुर्थेश का १२वें भाव से संबंध।
७०. माँ का सुख मिलेगा क्या? –
चतुर्थ भाव और चंद्र बलवान: माँ का सुख और दीर्घायु।
८. भाग्य, प्रसिद्धि और यात्रा (Fortune, Fame, and Travel)
(नसीब, सफलता, विदेश यात्रा और नाम)
७१. नवमेश (भाग्येश) कहाँ है? –
भाग्येश लग्न/दशम/लाभ भाव में: अत्यधिक भाग्यशाली।
७२. भाग्य पर गुरु की दृष्टि है क्या? –
हाँ: हर संकट में भाग्य की मदद।
७३. राजयोग है क्या? –
हाँ (केंद्र-त्रिकोण संबंध): ऊँचा पद, प्रसिद्धि, सत्ता।
७४. विदेश यात्रा का योग है क्या? –
नवमेश या लग्नेश का १२वें भाव से संबंध: विदेश प्रवास/निवास।
७५. प्रसिद्धि मिलेगी क्या? –
दशम भाव में बलवान चंद्र/शुक्र: समाज में नाम।
७६. तीर्थयात्रा का योग है क्या? –
नवम भाव में केतु/गुरु प्रभाव: धार्मिक यात्राएँ।
७७. पिता से संबंध कैसे होंगे? –
नवम भाव और सूर्य शुभ: पिता से लाभ और अच्छे संबंध।
७८. भाग्योदय कब होगा? –
भाग्येश की दशा में या ३२–३६ वर्ष की उम्र में।
७९. कौन सा रत्न भाग्यशाली है? –
भाग्येश का रत्न धारण करना लाभकारी।
८०. विपरीत राजयोग है क्या? –
हाँ: शुरुआती संघर्ष के बाद अचानक बड़ा यश।
९. संकट, रोग और शत्रु (Crises, Diseases, and Enemies)
(समस्याएँ, बीमारी, कर्ज और गुप्त शत्रु)
८१. छठा भाव कैसा है? –
बलवान पाप ग्रह: शत्रु पर विजय।
कमजोर शुभ ग्रह: रोग-कर्ज से परेशानी।
८२. अष्टम भाव कैसा है? –
बलवान पाप ग्रह: बड़े हादसे, सर्जरी।
शुभ ग्रह: गूढ़ विज्ञान में रुचि, वंशानुगत संपत्ति।
८३. शनि-चंद्र विषयोग है क्या? –
हाँ: लम्बी बीमारियाँ, डिप्रेशन।
८४. गुरु-चांडाल योग है क्या? –
हाँ: गलत लोगों से धोखा, बदनामी।
८५. साढ़ेसाती कैसी होगी? –
शनि स्वगृही/उच्च में: कम परेशानी।
शनि नीच/शत्रु राशि में: कष्टदायक।
८६. कालसर्प योग है क्या? –
हाँ: हर काम में विलंब और बाधा।
८७. अष्टमेश की दशा कैसी होगी? –
अचानक परिवर्तन, नौकरी छूटना, बीमारियाँ।
८८. ग्रहण योग है क्या? –
हाँ: मानसिक भ्रम, आत्मविश्वास की कमी।
८९. कोर्ट-कचहरी का योग है क्या? –
६, ८, १२ भाव आपस में जुड़े और पाप ग्रह प्रभाव।
९०. दुर्घटना का खतरा है क्या? –
अष्टम भाव में मंगल-शनि-राहु युति/दृष्टि।
१०. अंतिम समय और मोक्ष (Later Life and Liberation)
(बुढ़ापा, आध्यात्म और अंतिम यात्रा)
९१. व्ययेश (१२वाँ स्वामी) कहाँ है? –
शुभ स्थान/शुभ युति: खर्च अच्छे काम में, अच्छा मृत्यु समय।
पाप युति: अस्पताल खर्च, जेल।
९२. मोक्ष त्रिकोण (४, ८, १२) कैसा है? –
इन भावों में शुभ ग्रह (विशेषकर केतु): आध्यात्मिक उन्नति, मोक्ष की चाह।
९३. शनि-केतु युति है क्या? –
हाँ: गहरा वैराग्य, सन्यास प्रवृत्ति।
९४. बारहवें भाव में शुभ ग्रह हैं क्या? –
हाँ: शांतिपूर्ण मृत्यु।
९५. बुढ़ापा कैसा होगा? –
लग्नेश और अष्टमेश बलवान: बुढ़ापे में स्वास्थ्य अच्छा।
९६. दूसरा और सातवाँ भाव कैसा है? –
ये मारक स्थान हैं। इनके स्वामी की दशा अंतिम समय में कष्टकारी हो सकती है।
९७. केतु बलवान है क्या? –
हाँ: व्यक्ति भौतिक मोह से मुक्त होता है।
९८. बाधक ग्रह की दशा कैसी होगी? –
जीवन के अंत में बाधेश की दशा सुखों में बाधा डालती है।
९९. दान-धर्म में रुचि होगी क्या? –
नवम और बारहवाँ भाव बलवान हो तो।
१००. अंतिम यात्रा शांतिपूर्ण होगी क्या? –
लग्नेश और अष्टमेश बलवान, बारहवें भाव पर शुभ प्रभाव: व्यक्ति को शांतिपूर्ण मृत्यु।