हमारे सनातन धर्म में शास्त्रों, पुराणों और पंचांगों का एक विशेष स्थान है। इन ग्रंथों में न केवल धर्म और जीवन जीने की पद्धति का वर्णन है, बल्कि आने वाली आपदाओं, संकटों और आपातकालीन घटनाओं का भी संकेत मिलता है। हाल ही में अहमदाबाद में हुई विमान दुर्घटना की घटना ने एक बार फिर यह प्रमाणित कर दिया कि शास्त्रों और पंचांगों की चेतावनी को यदि समय रहते समझ लिया जाए, तो अनहोनी से बचा जा सकता है।
अहमदाबाद में घटित विमान दुर्घटना न केवल एक तकनीकी विफलता का परिणाम थी, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से एक बड़ी चेतावनी भी थी, जिसे यदि गंभीरता से लिया गया होता तो शायद यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना टाली जा सकती थी। विमान के उड़ान भरते ही इंजन में खराबी आ गई और वह संतुलन खो बैठा। कई लोगों की जान चली गई और अनेक घायल हुए।
जो सबसे चौंकाने वाली बात रही वह यह थी कि इस दिन का विवरण पहले से ही पंचांग में दर्शाया गया था। पंचांग में लिखा था कि “इस तिथि को यात्रा से बचना चाहिए, विशेषकर वायु मार्ग से।” कुछ विशेष ग्रहों की युति और योग ऐसे निर्मित हो रहे थे जो ‘अकस्मात संकट’, ‘वायु दुर्घटना’, और ‘जनहानि’ की संभावनाओं को दर्शा रहे थे।
पंचांग में राहु-केतु की युति, चंद्रमा की स्थिति और शनि की दृष्टि को विशेष कारण माना गया। खासकर जब चंद्रमा अशुभ नक्षत्र में होता है, और राहु की दृष्टि पड़ती है, तो वह दिन हवाई यात्रा के लिए अत्यंत अपशकुनकारी माना गया है।
वायुयान दुर्घटनाएं जैसे अकाल मृत्यु के रूप में मानी जाती हैं। बृहत्संहिता और कालप्रदीप जैसे ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि यदि नवग्रहों की स्थिति विषम हो, चंद्रमा छाया ग्रहों से पीड़ित हो और वायु तत्व प्रधान दिन हो, तो ऐसे समय पर किसी भी वायु-यात्रा से बचना चाहिए।
आधुनिक विज्ञान इस बात को शायद संयोग मानता है, परंतु जब हम सैकड़ों वर्षों की घटनाओं का तुलनात्मक विश्लेषण करते हैं, तो यह साफ प्रतीत होता है कि ज्योतिषीय गणनाएं कई बार वैज्ञानिक पूर्वानुमानों से भी अधिक सटीक सिद्ध होती हैं।
अहमदाबाद की यह घटना एक और उदाहरण बन गई जहाँ शास्त्र पहले ही संकेत दे चुके थे, परंतु उसे अनदेखा कर दिया गया।
स्थानीय नागरिकों और अनुभवी ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि यह घटना रोकी जा सकती थी। एक पंडित जी ने इस घटना के एक दिन पहले ही सोशल मीडिया पर यह साझा किया था कि अगला दिन “ग्रहों की दृष्टि से संकटमय” है।
कुछ यात्रियों ने अंतिम समय में टिकट रद्द भी किया क्योंकि उन्हें किसी बुज़ुर्ग ने ‘यात्रा न करने’ की सलाह दी थी।
इन सभी स्थितियों में व्यक्ति को या तो दुर्घटना का शिकार होना पड़ता है या फिर मानसिक/शारीरिक रूप से पीड़ा सहनी पड़ती है।
शास्त्र केवल संकटों का वर्णन नहीं करते, वे उनके समाधान भी बताते हैं:
यह घटना केवल एक यादगार नहीं, एक चेतावनी भी है कि हम जितना आधुनिकता की ओर बढ़ रहे हैं, उतना ही शास्त्रों से दूर होते जा रहे हैं। परंतु यह भूलना गलत होगा कि शास्त्र विज्ञान नहीं बल्कि विज्ञान से एक कदम आगे ‘चेतना’ और ‘अनुभव’ आधारित प्रणाली है।
अहमदाबाद विमान दुर्घटना की घटना ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि यदि हम शास्त्रों की बातों को समझें, पंचांग के अनुसार अपने निर्णय लें, तो हम न केवल अनहोनी से बच सकते हैं बल्कि अपने जीवन को अधिक सुरक्षित और संतुलित बना सकते हैं।