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फसा हुआ पैसा वापस मिलेगा या नही और कब।

रुपये पैसा फस जाना मतलब व्यापार में पार्टनर के साथ ज्यादा पैसा लगा दिया, किसी को उधार दे दिया, किसी न किसी तरहः से रूपये-पैसे कही फसे होना।तब यही जिज्ञाषा मन मे रहती है की फसा पैसा वापस मिलेगा या नही या पैसा नुकसान में गया।आज इसी विषय पर बात करते है कब और किन ग्रहो की किस स्थिति से रुपये-पैसा फस जाता है और फसने के बाद वापस मिलेगा या नही।।                                                                       

कुंडली का दूसरा भाव धन का होता है तो ग्यारहवा भाव धन या किसी भी वस्तु के आने का होता है।जब दूसरे भाव और इसके स्वामी की स्थिति शुभ होती है। तब फसा रुपया-पैसा  वापस मिल जाता है साथ ही इसके ग्यारहवे भाव की स्थिति भी अच्छा होना जरूरी है क्योंकि जो पैसा दिया है वह वापस आएगा यह ग्यारहवे भाव पर निर्भर करेगा।दूसरी स्थिति में जब दूसरे भाव/दूसरे भाव के स्वामी की स्थिति बहुत ज्यादा खराब हुई तब जैसे पीड़ित हुआ, अशुभ ग्रहों 6,8 12 भाव स्वामी या पाप ग्रहों शनि राहु केतु से पीड़ित हुआ  यह भाव या इसका स्वामी तब रुपये-पैसा वापस फस जाएगा और ग्यारहवा भाव अच्छा हुआ तो फसा हुआ पैसा वापस मिलेगा जरूर लेकिन देर से और कम होकर पूरा पैसा वापस नही मिल पायेगा क्योंकि धन का घर दूसरा भाव अशुभ/पीड़ित है जिससे धनः फँसेगा, ग्यारहवा भाव अच्छा होगा तो फसा धन भी निकल आएगा।पूरा पैसा कही फसा हुआ वापस तब ही मिलता है जब दूसरा भाव(धन भाव)भी अच्छी स्थिति में हो और ग्यारहवा भाव(धन आने का वाला भाव)अच्छा होगा।अब कैसे इसे और आसान तरह से समझने के लिए उदाहरणों से समझते है:-                                          

 

उदाहरण_अनुसार_मेष_लग्न:-

मेष लग्न की कुंडली जिस भी जातक या जातिका की होगी तब शुक्र यहाँ दूसरे भाव(धन भाव)का स्वामी बनेगा अब शुक्र बलवान होकर बेठा हो ,शुक्र बलवान होकर किसी राजयोग में हो, जैसे शुक्र सातवें भाव मे तुला राशि का होकर बैठे और राहु के साथ बैठकर पीड़ित हो साथ ही लग्न में केतु होगा अब मंगल तीसरे में बैठ है तब यहाँ क्या होगा कि धन स्वामी शुक्र राहु के साथ पीड़ित है साथ ही धन का घर दूसरा भाव मंगल और केतु के बीच मे फसकर पीड़ित हो गया अब धन भाव पीड़ित हो गया  यहाँ तो पैसा तो फसेगा निश्चित ही। जब धन संबंधी ग्रहो की या शुक्र या दूसरे भाव को प्रभावित करने वाले ग्रहो की दशाएं चल रही होगी,तब ऐसी स्थिति ज्यादा बनेगी,तब पैसा उधार देकर यहाँ फस जाएगा।लेकिन अब यही शुक्र पर शुभ प्रभाव भी हो दूसरे भाव पर भी शुभ प्रभाव हो ग्रहो का और ग्यारहवा घर बलवान हो जैसे दूसरे घर पर गुरु की दृष्टि भी चली जाए तब धन भाव बलवान हो जाएगा यहाँ साथ ही शुक्र तो बलवान है ही तुला राशि मे बैठकर, तब पैसा सुरक्षित रहेगा फसने के बाद भी मिल जाएगा कुछ दिक्कतों से, क्योंकि धन पर शुभ असर भी ग्रहो का है यहाँ मिलेगा कितना पूरा मिलेगा या कम यह निर्धारिक करेगा ग्यारहवा भाव।।                          

 

उदाहरण_अनुसार_सिंह_लग्न:-

सिंह लग्न कुंडली में धन स्वामी बुध और धन आने का स्वामी मतलब ग्यारहवे भाव का स्वामी भी बुध होता है अब बुध पर यहाँ जैसे असर हो जैसे बुध शनि की दृष्टि से पीड़ित हो जाये साथ ही 12वे भाव स्वामी भी चन्द्र(हानि का भाव स्वामी)धन स्वामी बुध के साथ बैठ जाये और धन भाव मे राहु या केतू हो या राहु केतु की दृष्टि पड़े तब भी पैसा देने के बाद या किसी के साथ काम मे लगाने के बाद फस जाएगा क्योंकि धन भाव स्वामी और यहां धन आने का स्वामी भी बुध होगा ग्यारहवे भाव का स्वामी ऐसी स्थिति में यहाँ बुध देखा 12वे भाव स्वामी के साथ पैसे की हानि क्योंकि बारहवा भाव हानि का है साथ ही धन स्थान में राहु और धनेश बुध के ऊपर शनि की दृष्टि से धन भाव और धनस्वामी/धनागमन स्वामी बुध पीड़ित और अशुभ स्थिति में है यहाँ रुपया पैसा देकर फस जाएगा।।                                                                                    

 

अब एक अन्य उदाहरण से समझते कब उधर दिया पैसा या फसा हुआ पैसा वापस मिल जाता है?:-                  

 

अन्य_उदाहरण_से:-

धनु_लग्न में धन स्वामी शनि और धन आने का स्वामी शूक्र होता है अब यहाँ शनि और शुक्र जितनी ज्यादा अच्छी अवस्था मे होंगे शुभ जैसे केंद्र में होआआदि तरह से शुभ होंगे अशुभ असर। ग्रहो का इन पर नही होगा तब उधार दिया गया पैसा, फसा हुआ पैसा वापस मिल जाएगा, इसके अलावा शनि और शुक्र जितना ज्यादा से ज्यादा राजयोगों में /शुभ योगों में होंगे उतना ही अच्छा है ऐसी स्थिति में बड़ी से बड़ी फसी हुई धन राशि वापस मिक जाती है क्योंकि यहां धनः स्वामी  और धनागमन स्वामी शूक्र दोनो अच्छी स्थिति में है।।                                                           

 

नोट:- पैसा तब ही वापस मिलता है उधार देने के बाद जब धन स्थान और धन स्वामी(दूसरे स्थान/दूसरे। भाव के स्वामी)की स्थिति ठीक होती है साथ ही पूरा पैसा तब मिलेगा जब ग्यारहवा भाव और इसका स्वामी भी अच्छी अवस्था मे होगा क्योंकि आपने पैसा दे दिया देने के बाद पैसा वापस आये और आपका ही पैसा वापस आये इसके लिए ,आने के लिए ग्यारहवा भाव अच्छी अवस्था मे हो ,अशुभ प्रभाव ग्रहो का न हो।।                                                                                      

 

कम शब्दों में कहू तो जब दूसरे भाव दूसरे भाव स्वामी और ग्यारहवे भाव ग्यारहवे भाव स्वामी की स्थिति अच्छी होगी तब उधार पैसा वापस भी मिल जाएगा और पूरा मिलेगा वापस।इसके विपरीत जब दूसरा भाव पीड़ित होगा तब दिया गया धन फसेगा , और साथ ग्यारहवे भाव का स्वामी और भाव भी बहुत अच्छी अवस्था मे होगा तब पैसा भी उधार देने के बाद वापस मिल जाएगा।।                                                                           

 

धन फसने पर वापस मिलने पर परेशानी होंने पर दूसरे/ग्यारहवे भाव स्वामी को बलवान करके और जो भी ग्रह धन वापस मिलने में बिघ्न बन रहे हैं उनकी शांति और धन संबंधी उपाय करके पैसा नुकसान में जाने से बचाया जा सकता है और पैसा वापस मिलने की स्थिति बन जाएगी, धन संबंधी जब शुभ दशाएं ग्रहो को चल रही होगी उसी समय फसा हुआ धन वापस आ जाता है ऐसी स्थिति में ग्रह दशाओ का अनुकुल होना जरूरी है।।

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