हंसिए मत… यह सच है! बात 2004 की है।
आज के गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई उस समय अमेरिका में अपने करियर के लिए संघर्ष कर रहे थे।
एक दिन, वहाँ के उनके एक परिचित परिवार ने उन्हें डिनर पर बुलाया।
सुंदर ने यह बात अपनी पत्नी को फोन पर बताई और कहा—
“ऐसा करते हैं, मैं ऑफिस से सीधा उनके घर आ जाऊँगा। तुम अपने घर से निकलकर वहीं आ जाना। लौटते समय हम साथ चलेंगे।”
डिनर रात 8 बजे तय हुआ था। उनकी पत्नी समय से ठीक 8 बजे पहुँच गईं।
सुंदर भी ऑफिस का काम निपटाकर निकल गए, लेकिन रास्ते में गड़बड़ हो गई— वे रास्ता भटक गए।
कई लोगों से पता पूछते-पूछते उन्हें दोस्त के घर पहुँचने में 2 घंटे की देरी हो गई।
वहाँ पहुँचकर पता चला कि उनकी पत्नी ने काफी देर इंतजार किया, फिर अकेले ही खाना खाकर घर लौट गईं।
अब सुंदर के लिए नई मुसीबत! न तो दोस्त खुश थे, न ही अब घर जाना आसान लग रहा था!
संकोच में उन्होंने दोस्त से माफी मांगी और बिना खाना खाए ही निकल पड़े।
अमेरिका में समय की पाबंदी न रखने को बड़ा अपराध माना जाता है!
अब असली आफत घर पर थी!
पत्नी का गुस्सा सातवें आसमान पर था—
“तुम्हारी इस देरी से मेरी कितनी बेइज्जती हुई, तुम्हें अंदाजा भी है?”
बात इतनी बढ़ गई कि सुंदर ने गुस्से में घर छोड़ दिया और ऑफिस चले गए।
वह पूरी रात जागते रहे—
“मैं सिर्फ रास्ता भटका था, और इतनी परेशानी हो गई। न जाने दुनिया में और कितने लोग ऐसी ही मुश्किलों से जूझते होंगे?”
यहीं से आया गूगल मैप का आइडिया!
सुबह उन्होंने अपनी टीम की मीटिंग बुलाई और कहा—
“कुछ ऐसा होना चाहिए जिससे कोई कभी रास्ता न भूले।”
टीम को यह विचार नामुमकिन लगा। लेकिन दो दिन की लगातार चर्चा के बाद, उन्होंने अपनी टीम से ऐसा सॉफ्टवेयर बनवाया जो लोगों को सही रास्ता दिखाए।
और 2005 में गूगल मैप पहली बार अमेरिका में लॉन्च हुआ!
फिर 2006 में इंग्लैंड और 2008 में भारत में आया।
आज गूगल मैप पूरी दुनिया के लिए रास्ता दिखाने वाला “गाइड” बन चुका है।
अगर आप इसे नजरअंदाज करके गलत रास्ते पर चले भी जाएँ, तो यह गुस्सा नहीं करता—
बस आपको “रिरूट” करके सही रास्ते पर वापस लाने की कोशिश करता है!
सीख क्या है?
तो अगली बार जब कोई समस्या आए, तो हारने के बजाय “रिरूट” करें और आगे बढ़ें! 🚀