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चलित कुंडली देखना क्यों जरूरी है।

चलित कुंडली इसका पूरा नाम है भाव_चलित_कुंडली चलित कुंडली लग्न कुंडली के ग्रहो की सही भाव स्थिति बताती है कि आपका कौन ग्रह किस भाव मे बैठा है?लग्न कुंडली मे कोई भी ग्रह गोचर के समय जिस राशि मे होता है उसी राशि मे बेठा दिखता है जिस भाव मे वह राशि होती है, लेकिन जो ग्रह लग्न कुंडली में जिस भाव मे दिख रहा है वह चलित कुंडली में किसी दूसरे भाव मे दिखे तब वह ग्रह उसी भाव के फल देगा जिसमे चलित कुंडली मे बेठा है, लग्न कुंडली मे जिस भाव मे है उसका फल नही देगा, जैसे सूर्य जन्मलग्न कुंडली मे चोथे भाव मे बेठा हो लेकिन चलित कुंडली देखने पर सूर्य पाँचवे भाव मे बेठ जाए तब आपका सूर्य 5वे भाव के ही फल देगा न कि चौथे भाव के।लग्न कुंडली और चलित कुंडली मे ज्यादातर जातको के ग्रह एक जैसी स्थिति में ही एक ही भाव मे दिखते है

लेकिन व्यक्तियों के लग्न और चलित कुंडली मे ग्रह अलग-अलग भावों में दिखते है, तब ऐसी स्थिति में आपकी लग्न कुंडली मे दिखने वाला ग्रह चलित कुंडली मे किस भाव मे गया है उस भाव के फल देता है।इस कारण केवल यह अनुमान लगाना की मेरा यह ग्रह इस इस भाव मे है तो बहुत अच्छा फल इस भाव का देगा, ऐसा नही होगा वह भाव चलित में जिस भाव मे होगा उसी भाव के फल देगा।लग्न कुंडली के एक साथ कई ग्रह चलित कुंडली मे भाव बदल लेते है, और उसी भाव का फल देते है जिस भाव मे चलित कुंडली मे गए है, बाकी राशि ग्रह की वही रहेगी जिस राशि मे लग्न कुंडली मे ग्रह होता है, चलित कुंडली से राशि नही देखी जाती।

 

अब उदाहरणों से समझते है।।                                                                                                                             

 

उदाहरण_अनुसार_मेष_लग्न1:-

किसी जातक की मेष लग्न की कुंडली बनती हो,अब यहाँ लग्नेश मंगल 10वे भाव मे मकर  राशिका होकर बेठे, लेकिन भाव चलित कुंडली मे यह 11वे भाव मे या 9वे भाव मे बेठा दिखे तब यह भगव चलित कुंडली मे 11वे भाव मे बैठने लर ग्यारहवे भाव के या 9वे भाव मे बैठने पर 9वे भाव के फल देगा।भले ही यह लग्न कुंडली मे दसवे भाव मे उच्च होकर दिग्बली होकर बेठा है लेकिन फल 10वे भाव के नही देगा।यहाँ आप आस लगाए बैठेंगे की मंगल दसवे भाव मे उच्च होकर दिग्बली है साथ ही रूचक हयोग बनाकर कुलदीपक योग बना रहा है लेकिन ऐसा नही है क्योंकि भाव चलित में मंगल ने भाव बदल लिया है, लेकिन हां मंगल मकर राशि मे है उच्च है इस कारण रूचक योग का फल जरूर देगा।।                                                                                

उदाहरण_अनुसार2-

अब माना कोई ग्रह मिलकर दो ग्रह मिलकर शुभ या अशुभ योग बना रहे है लेकिन भाव चलित कुंडली मे वह अलग-अलग भावो में है तब योग नही बनेगा।जैसे शुक्र बुध की युति 9वे भाव मे वृष राशि मे हो तब यह लक्ष्मी नारायण योग बना, लेकिन  भाव चलित कुंडली मे देखने पर पता चला बुध 9वे भाव मे है और शुक्र 10वे भाव मे तब यह लक्ष्मीनारायण योग, मतलब शुक्र बुध युति योग का कोई शुभ फल नही मिलेगा, लेकिन यही स्थिति विपरीत हो जाये, जैसे लग्न कुंडली मे बुध 9वे भाव मे और शुक्र 9वे भाव मे है लेकिन भाव चलित कुंडली मे शुक्र बुध दोनो एक ही भाव जैसे माना 9वे भाव बुध शुक्र एक साथ भाव चलित कुंडली मे बेठ जाए तब लग्न कुंडली मे भी यह योग न बनने पर भी बन रहा है और लक्ष्मी नारायण योग के फल मिलेंगे क्योंकि भाव चलित में बुध शुक्र एक साथ है।ऐसे ही अशुबब योगो का विचार भाव चलित से होगा।।                                                                     

 

अब एक महत्वपूर्ण बात, वह यह कि भाव चलित कुंडली मे ग्रहो ने भाव तो बदले लेकिन ग्रह भाव मध्य है, या भाव के आखरी अंश पर है या क्या।

इस स्थिति के अनुसार थोड़ा अंतर आएगा, अंशो के अनुसार, जैसे कोई ग्रह जन्मलग्न कुंडली मे 20अंश का है या 20अंश से भी कम है और लग्न कुण्डली में 10वे भाव मे बेठा है और चलित कुंडली देखने पर पता चला वह ग्रह 11वे भाव मे है तब यह 20अंश के आस पास होने से अभी अंशो में 10वे भाव के ही ज्यादा नजदीक है और चलित कुंडली मे 11वे भाव मे भी है तब ऐसा ग्रह 10वे और 11वे दोनो भाव के फल मिले जुले देगा क्योंकि वह अंश अनुसार अभी अपने लग्न कुंडली भाव के ज्यादा नजदीक है।।                                                             

 

अब दूसरी स्थिति में कोई ग्रह अंशो में बहुत प्रारंभ में हो या अंत मे हो जैसे माना कोई भी ग्रह 4 या 5अंश का हैं या 25 अंश से ऊपर है लगभग तब वह उसी भाव के फल देगा जिस भाव मे भगव चलित कुंडली मे बेठा है।इस तरह से भाव चलित बहुत महत्वपूर्ण कुंडली होती है जन्मकुंडली के फलादेश में, आपके जन्मकुण्डली के ग्रह चलित कुंडली मे किस भाव मे है और कितने अंश पर है, फल चलित कुंडली के अनुसार होगा, बाकी अंशो में ग्रह ज्यादा ही प्रारंभ में या राशि के अंत मे   तब चलित कुंडली के अनुसार फल देगा, और अंशो में मध्य में है जैसे 19,22 आदि अंश है लगभग तब लग्न कुंडली+चलित कुंडली दोनो के अनुसार मिले जुले फल देगा।।                                                                                                     

 

एक महत्वपूर्ण बात ओर माना आप पर किसी ग्रह की महादशा चल रही है या जिस ग्रह की महादशा-अंतरदशा चल रही हो या आने वाली तो वह उसी भाव के अनुसार फल देगा जिस भाव मे, भाव चलित कुंडली मे है,इस कारण दशानाथ ग्रह भी भाव चलित में भाव बदल चुका है तब लग्न कुंडली अनुसार जिस भाव मे ग्रह है इस भाव अनुसार फल नही होंगे, भाव के नजदीक या आखरी अंशो पर है तब मिले जुले फल लग्न कुंडली+चलित कुंडली भाव दोनो के अनुसार देगा।

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