Sshree Astro Vastu

श्राद्ध में क्या करें क्या न करें ?

दूसरे कि भूमि पर श्राद्ध न करें, जंगल, पर्वत, पुण्यतीर्थ और देवमंदिर पर किसी का स्वामित्व नहीं होता  अत: यहाँ किया जा सकता है -कूर्मपुराण|

 

पितरों की तृप्ति ब्राहमणों द्वारा ही होती है -स्कन्दपुराण |

 

अतिथि सत्कार का विशेष ध्यान दें ऐसा न होने से श्राद्ध करम का सम्पूर्ण फल नष्ट हो जाता है – वाराहपुराण |

रजस्वला स्त्री, चांडाल और सूअर की दृष्टि श्राद्ध के अन्न पर पडने से वह अन्न प्रेत ही ग्रहण करता है – स्कन्दपुराण |

 

 श्राद्ध में पहला भाग अग्नि को अर्पित करें, अग्नि हवन के बाद ही पितरों को पिंडदान किया जाता है जिसे ब्रम्हराक्षस दूषित नहीं करते – महाभारत |

 

श्राद्ध करने के बाद किसी दूसरे के घर का भोजन नहीं करना चाहिए इससे श्राद्ध का फल समाप्त हो जाता है – स्कन्दपुराण |

 

 एक हाथ से ब्राह्मणों को अन्न को नहीं परोसना चाहिए उसे राक्षस छीन लेता है – मनुस्मृति |

 

वस्त्र के बिना कोई यज्ञं, क्रिया, वेदाध्ययन और तपस्या नहीं होती अत: श्राद्धकाल में वस्त्र दान जरूर करना चाहिए – ब्रम्ह पुराण |

 

श्राद्ध में या हवन में एक हाथ से आहुति दें पर तर्पण में जल दोनों हाथों से ही दिया जाना चाहिए – पद्मपुराण, नारदपुराण,  मत्स्यपुराण, लघुयाम्स्मृति |

 

 श्राद्ध में पिंडों को गौ, ब्राहमण या बकरी को खिला दें अथवा अग्नि या पानी में छोड़ दें – महाभारत |

 

रात्रि में श्राद्ध को राक्षसी कहा गया है, दोनों संध्याओं में तथा पुर्वान्ह्काल में भी श्राद्ध नहीं करना चाहिए – मनुस्मृति |

 

सफेद तिल से श्राद्ध में तर्पण ब्यर्थ जाता है – पद्मपुराण |

 

श्राद्ध काल केवल अपरान्ह काल में करें दिन का आठवां भाग इस कार्य के लिए उत्तम है | इसमे तिन चीजें अति पवित्र है दुहितापुत्र, कुतप काल दिन का आठवां भाग और काला तिल |

 

पूरवजों की मृत्यु के प्रथम वर्ष में श्राद्ध न करें |

 

पूर्वान्ह में, शुक्ल पक्ष में, रात्रि में तथा जन्म दिन या परिवार में शादी-ब्याह हुआ हो तो उस वर्ष श्राद्ध न करें |

 

  श्राद्ध ही पितरों की पूजा एवं श्रद्धा है | मै परिवार सहित अपनी माता पिताको शत-शत नमन करते हुए सभी पूरवजों को श्रद्धा सुमन   अर्पित करता हूँ |

 

आप सभी लोगों से निवेदन है कि हमारी पोस्ट अधिक से अधिक शेयर करें जिससे अधिक से अधिक लोगों को पोस्ट पढ़कर फायदा मिले |
Share This Article
error: Content is protected !!
×