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युद्धजन्य और उल्लेखनीय कालखंड - विश्वावसु नाम संवत्सर का कहर

वर्तमान में शक संवत 1947, विश्वावसु नाम संवत्सर दिनांक 19 मार्च 2026 तक चल रहा है। इस संवत्सर के प्रारंभ से ही हम युद्ध और उल्लेखनीय घटनाओं से भरे कालखंड को देख रहे हैं। अब मैं आने वाले शेष आठ महीनों के बारे में अपना ज्योतिषीय मत प्रस्तुत कर रहा हूँ।

आज सोमवार, 28 जुलाई 2025 को सेनापति मंगल कन्या राशि में प्रवेश कर रहा है। यह मंगल पूरे संवत्सर की अवधि में कई राशियों से भ्रमण करेगा।

इस दौरान निम्न प्रमुख ग्रहयोग बनेंगे:

  • शनि-मंगल प्रतियोग
  • मंगल-प्लूटो केंद्रयोग
  • मंगल दृष्टि से हर्षल
  • मंगल-हर्षल प्रतियोग
  • मंगल-शनि केंद्रयोग
  • मंगल-प्लूटो युति योग
  • मंगल-नेपच्यून प्रतियोग व केंद्रयोग
  • मंगल-हर्षल केंद्रयोग
  • मंगल-केतु प्रतियोग
  • शनि 28 नवंबर 2025 तक वक्री रहेगा
  • शनि-रवि प्रतियोग

साथ ही इस कालावधि में दृश्य और अदृश्य ऐसे कुल चार ग्रहण होंगे, जिनकी तिथियाँ इस प्रकार हैं:

  • रविवार, 7 सितंबर 2025 — खग्रास चंद्रग्रहण
  • रविवार, 21 सितंबर 2025 — खंडग्रास सूर्यग्रहण
  • मंगलवार, 17 फरवरी 2026 — कंकणाकृति सूर्यग्रहण
  • मंगलवार, 3 मार्च 2026 — खग्रास चंद्रग्रहण (ग्रस्तोदित)

इसलिए यह विश्वावसु नाम संवत्सर ग्रहों के तांडव नृत्य से भरपूर काल है, जिसे हम प्रत्यक्ष रूप से देख रहे हैं।
आने वाले आठ महीने विश्व स्तर पर अत्यंत उल्लेखनीय और युद्धजन्य स्थिति वाले रहेंगे।
इस दौरान:

  • प्रत्यक्ष युद्ध,
  • महापूर और सुनामी जैसी स्थितियाँ,
  • भूकंप,
  • बादल फटने की घटनाएँ,
  • बड़े घातक हादसे,
  • रेल और विमान दुर्घटनाएँ,
  • भीषण आगजनी और विस्फोट,
  • मौसम में असामान्य परिवर्तन,
  • बड़े राजनेताओं का निधन जिससे राष्ट्रध्वज आधा झुकेगा – ऐसी घटनाएँ संभव हैं।

विशेष रूप से देश के दक्षिण और पश्चिमी राज्यों को इसका बड़ा असर झेलना पड़ सकता है, जिससे जान-माल की भारी हानि होने की संभावना है।

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