गरुड़ पुराण में उल्लेख है कि हस्त नक्षत्र के वर्षा जल से दूध में बेहतरीन जमाव आता है और दही तैयार होता है। सौ. आरती बापट (मु. हिंदळे, ता. देवगढ़) की “प्रयोग सफल होने की” व्हाट्सएप पोस्ट पढ़कर हमने भी यह प्रयोग किया और दही की चखकर सफलता का अनुभव लिया।
यदि वैज्ञानिक और अन्य शोधकर्ता अन्य नक्षत्रों के वर्षा जल की भी ऐसी जाँच करें तो और जानकारी मिल सकेगी। हमने इस प्रयोग की कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं की है। लेकिन जब कभी जमाव (विरजण/जामन) उपलब्ध न हो तो परंपरागत तरीकों से केले का पत्ता डालकर, नींबू रस मिलाकर दही जमाया जाता है। यह भी उसी तरह की एक पद्धति प्रतीत होती है।
इस वर्ष 27 सितंबर 2025 , 07:07 AM को सूर्य हस्त नक्षत्र में प्रवेश है और 10 अक्टूबर 2025, 20:11 तक सूर्य हस्त नक्षत्र में रहेगा। अतः वर्तमान में हस्त नक्षत्र का वर्षा जल खुले और स्वच्छ वातावरण में किसी चौड़े व स्वच्छ पात्र में एक स्टूल पर रखकर संचित किया जा सकता है, और उसी जल से दूध में जमाव लाकर दही बनाने का अनुभव लिया जा सकता है।
यह A2 दूध से बना दही मेरवान/जामन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसे मथकर जो A2 गाय का घी प्राप्त होता है, वही घी शरद पूर्णिमा की खीर में प्रयोग किया जाता है (पूर्णिमा पर साधारण घी वर्जित है), केवल हस्त नक्षत्र का यह घी ही उपयोग में लाया जाता है।
यह आपके हस्त (हाथ) को समाज के उत्थान में सहायक बनाता है।
धन्य हैं वे लोग जिन्होंने भारतीय ग्रंथों की दिव्यता को आचरण में लाकर अनुभव किया। प्रणाम।