सूतक क्या है ?
“सूतक” ग्रहण ( चंद्र या सूर्य ) से जुड़ा एक विशेष काल होता है। जब ग्रहण लगता है, तब उसके कुछ घंटे पहले से ही वातावरण में अशुद्धियाँ मानी जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार, चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले और सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू होता है।
सूतक क्यों माना जाता है ?
ग्रहण के समय सूर्य और चंद्रमा की किरणें प्रभावित होती हैं, जिससे वातावरण में सूक्ष्म स्तर पर नकारात्मक ऊर्जा और विकिरण फैलते हैं। इसीलिए इसे अशुभ काल माना गया है।
सूतक काल का महत्व
धार्मिक महत्व – इस समय पूजा-पाठ, मंदिर दर्शन, नई शुरुआत, शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।
आध्यात्मिक साधना – माना जाता है कि ग्रहण के समय मंत्र-जप, ध्यान और भगवान का स्मरण सामान्य समय से अनगिनत गुना फलदायी होता है।
स्वास्थ्य दृष्टि से – ग्रहण काल में वातावरण असंतुलित होता है, इस कारण गर्भवती महिलाओं और कमजोर स्वास्थ्य वाले लोगों को विशेष सावधानी रखने की सलाह दी जाती है।
पितृ सम्बन्ध – कई बार ग्रहण पितृपक्ष से जुड़ा होता है, इसलिए यह पूर्वजों की स्मृति और तर्पण के लिए भी विशेष फलकारी माना गया है।