इस अवसर पर आप भगवान विष्णु जी और पितरों को प्रसन्न करके अपने घर में सुख एवं समृद्धि ला सकते हैं, अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है और पितरों को तृप्त करके अपनी उन्नति करने का शुभ अवसर है,
इस दिन पूजा अर्चना के लिए आपके पास पर्याप्त समय प्राप्त होगा, हालांकि इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है, इसलिए आप कोई भी शुभ कार्य किसी भी समय कर सकते हैं।
अक्षय तृतीया के दिन प्रात: स्नान आदि के बाद साफ वस्त्र धारण करके पूजा स्थान की सफाई कर लें, उसके बाद श्री लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद या पीले गुलाब या फिर सफेद कमल के फूल से करें, इस दिन दो कलश लें, एक कलश को जल से भर दें और उसमें पीले फूल, सफेद जौ, चंदन और पंचामृत डालें, उसे मिट्टी के ढक्कर से ढक दें और उस पर फल रखें।
इसके बाद दूसरे कलश में जल भरें और उसके अंदर काले तिल, चंदन और सफेद फूल डालें, पहला कलश भगवान विष्णु के लिए और दूसरा कलश पितरों के लिए होता है, दोनों कलश की विधिपूर्वक पूजा करें, उसके बाद दोनों कलश को दान कर दें, ऐसा करने से भगवान विष्णु जी और पितर दोनों ही प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है, दोनों के आशीर्वाद से परिवार में सुख एवं समृद्धि आती है।