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वरदान का महापर्व - छठ पर्व

यही एक पर्व है जिसमें वरदान मांगने के अनेक विध गीत गाए जाते हैं। ज्यादातर दंपत्ती पुत्र, पुत्री और समृद्धि प्राप्ति के लिए इस कठोर विधान वाले तप को स्वीकार करते हैं।

  

कुछ लोग कुष्ठादि रोग के नाश के लिए भी इस व्रत को करते हैं।

मुख्य रूप से यह व्रत वंश वर्धक और संपत्ति प्रदायक होने से लोगों में अतिशय प्रिय है।

भारत की महिलाएं अपनी संतति के लिए कितना भी कठोर व्रत करने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं।अतः वे परिवार के लिए कठोर तथा परम पवित्रता विधायक इस महापर्व को करती हैं।

      

प्रसाद निर्माण के समय जितनी सतर्कता इस पर्व में

बरती जाती है वह देखते बनता है। एक एक फल को देख कर चयनित किया जाता है कि वह कीट से खाया हुआ न हो। नैवेद्य की पवित्रता प्रत्येक स्तर पर परखी जाती है।

 

अन्न सुखाते समय वहीं बगल में बैठते हैं कि कोई चिड़िया आदि इसे जूठा न करे। गिद्ध चील आदि की छाया न इस पर पड़े।

 

षष्ठी तिथि की संध्या में जलाशय पर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और सप्तमी की सुबह उदित होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

 

इस व्रत में मंत्र जप या किसी पाठ को महत्त्व नहीं दिया गया है। इसमें व्रत की कठोरता, व्रत सम्बन्धी पवित्रता की रक्षा से उत्पन्न तेज ही सभी कामनाओं की पूर्ति करता है।

 

चतुर्थी तिथि से इस व्रत की प्रक्रिया शुरु होती है और सप्तमी को अर्घ्य दान के साथ पूर्ण होती है।

 

व्रत का स्पर्श गणेश की तिथि से और अंत सूर्य की तिथि से है। बीच में पंचमी तिथि नागों की पड़ती है जो समृद्धि के देवता हैं।

षष्ठी तिथि स्कन्द और षट् कृतिकाओं की पड़ती है। ये कृतिकाये स्कन्द माता हैं। वैसे भी षष्ठी देवी शिशु सुरक्षा की देवी मानी गई हैं। सप्तमी के देवता भगवान सूर्य हैं। आप तीनों देवों की शक्ति से युक्त होने से त्रिदेवमय हैं।

 

एक चक्र रथ वाले भगवान सूर्य समय की गति को व्रत कर्ता के शुभत्व के लिए मोड़ देते हैं।

 

व्रत उपवास और पूजन प्रधान होता है। छठ में उपवास की

लम्बाई भी है और दो पूजा की प्रधानता भी है।

 

एक अस्त होते सूर्य को अर्घ्य और दूसरा उदित होते सूर्य को अर्घ्य।

      

छठ पर्व में जप और हवन की अनिवार्यता नहीं है। सामान्य से सामान्य व्यक्ति अपने स्तर पर अपनी पवित्रता को गहराई से अपना कर उपवास के द्वारा अपने वांछित को प्राप्त करता है।

इसीलिए छठ महापर्व वरदान प्रद के रूप में ख्यात है। 

 

          छठी मईया की जय

 

छठ पूजा – आस्था, परंपरा और सूर्य उपासना का पावन पर्व

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