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कुंडली में चंद्र ग्रह से चार घर आगे और चंद्र की पूर्ण, अर्ध, एक चौथाई आदि दृष्टियों का गहन रहस्य: एक अनछुआ शोधात्मक विश्लेषण

   वैदिक ज्योतिष की गहराइयों में छिपे रहस्यों में से एक ऐसा रहस्य है जो सामान्य ज्योतिषीय चर्चाओं से परे है – कुंडली में चंद्र ग्रह से चार घर आगे का स्थान और चंद्र की दृष्टियों का सूक्ष्म प्रभाव, जिसमें पूर्ण (सप्तम दृष्टि), अर्ध (चतुर्थ और अष्टम जैसी आधी शक्ति वाली), तथा एक चौथाई (तृतीय और दशम जैसी कमजोर) दृष्टियां शामिल हैं। सामान्यतः ज्योतिष में चंद्र को केवल सप्तम दृष्टि वाला माना जाता है, लेकिन उपनिषदों और प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों की गहन खोज से पता चलता है कि चंद्र की दृष्टियां मन की तरंगों की तरह लहराती हैं, जो खगोलीय गणित से जुड़ी हैं और प्रत्येक राशि तथा भाव में एक अनोखा रहस्य छिपाती हैं। यह विश्लेषण ऐसा है जो आज तक की ज्योतिषीय परंपराओं में स्पष्ट रूप से नहीं उजागर हुआ, क्योंकि यह उपनिषदों की आध्यात्मिक दृष्टि को खगोलीय गणित के साथ जोड़ता है, जहां चंद्र को ‘मन का स्वामी’ मानते हुए उसकी दृष्टियों को ‘अमृत तरंगों’ के रूप में देखा जाता है। यह रहस्य न केवल भावों को प्रभावित करता है, बल्कि जातक के अंदरूनी संघर्षों को भी उजागर करता है, और इसके निवारण के लिए तांत्रिक उपायों का उपयोग किया जा सकता है, जो शिव की ऊर्जा से जुड़े हैं।

 

    आइए पहले खगोलीय गणित की दृष्टि से समझें। चंद्र की गति पृथ्वी से लगभग 27.3 दिनों में एक राशिचक्र पूरा करती है, और इसकी औसत गति 13 डिग्री 10 मिनट प्रतिदिन है। दृष्टियों की गणना में, वैदिक ज्योतिष घरों (भावों) को 30 डिग्री के खंडों में बांटता है, लेकिन खगोलीय रूप से दृष्टियां कोणीय दूरी पर आधारित हैं। पूर्ण दृष्टि 180 डिग्री (सप्तम घर) पर होती है, जहां चंद्र की ऊर्जा पूरी तरह से प्रतिबिंबित होती है, जैसे चंद्रमा की पूर्णिमा की रोशनी।

 

     अर्ध दृष्टि को 90 डिग्री (चतुर्थ और अष्टम घर) पर माना जा सकता है, लेकिन चंद्र के लिए यह सामान्य नहीं; फिर भी, कुछ गुप्त परंपराओं में चंद्र की अर्ध दृष्टि को ‘भावनात्मक आधा प्रभाव’ कहा जाता है, जहां ऊर्जा आधी शक्ति से पहुंचती है। एक चौथाई दृष्टि 60 डिग्री या 120 डिग्री (तृतीय और दशम) पर होती है, जो कमजोर लेकिन निरंतर प्रभाव डालती है। चंद्र से चार घर आगे का मतलब है चंद्र जहां स्थित है, उससे चौथा घर – उदाहरणस्वरूप, यदि चंद्र मेष में है, तो चार घर आगे सिंह होता है। खगोलीय गणित से, यदि चंद्र की लंबाई λ हो, तो चार घर आगे की लंबाई λ + 120 डिग्री होती है (क्योंकि प्रत्येक घर 30 डिग्री का), और दृष्टि की शक्ति = cos(θ/2), जहां θ दृष्टि का कोण है।

      यह गणना उपनिषदों में वर्णित ‘सोम’ (चंद्र) की तरंगों से मिलती है, जहां छान्दोग्य उपनिषद (अध्याय 5, खंड 2) में कहा गया है: “सोमो राजा, अन्नं रसः” – चंद्र राजा है, और उसकी दृष्टि रस (भावना) प्रदान करती है। यह रहस्य है कि चंद्र की ये दृष्टियां न केवल घरों को प्रभावित करती हैं, बल्कि जातक के पिछले जन्मों की भावनात्मक स्मृतियों को जागृत करती हैं, जो आज तक की ज्योतिषीय व्याख्याओं में अनदेखा रहा है।

 

     अब प्रत्येक राशि में चंद्र की इन दृष्टियों का शोधात्मक विश्लेषण करें, जहां मैंने उपनिषदों की दृष्टि से इसे जोड़ा है – चंद्र को ‘मन’ मानते हुए, और चार घर आगे को ‘भावनात्मक भविष्य’ के रूप में। बृहत्पाराशर होरा शास्त्र (अध्याय 26, श्लोक 10) में कहा गया है: “चंद्रमा मनसो देवता” – चंद्र मन का देवता है, और उसकी दृष्टियां मन की गहराइयों को छूती हैं।

 

    मेष राशि में चंद्र: यहां चंद्र से चार घर आगे सिंह होता है, जो अग्नि तत्व का है। पूर्ण दृष्टि (सप्तम) तुला पर पड़ती है, जो संतुलन लाती है लेकिन भावनात्मक उथल-पुथल पैदा करती है। अर्ध दृष्टि कर्क और वृश्चिक पर, जहां मन की आधी शक्ति से माता-पिता संबंध मजबूत होते हैं, लेकिन एक चौथाई दृष्टि मिथुन और मकर पर कमजोर भावनाएं पैदा करती है। खगोलीय गणित से, यदि चंद्र मेष में 0° पर है, तो चार घर आगे 120° (सिंह) पर, और दृष्टि की शक्ति cos(90°/2) = cos(45°) ≈ 0.707 (अर्ध) होती है। उपनिषदिक रहस्य: बृहदारण्यक उपनिषद (4.4.22) में ‘मनसा चंद्रमा’ का उल्लेख है, जो यहां मेष की ऊर्जा से चंद्र को ‘योद्धा मन’ बनाता है, लेकिन चार घर आगे सिंह में यह गुप्त राजसी महत्वाकांक्षा जागृत करता है, जो जातक को अज्ञात शक्ति देता है। समस्या: भावनात्मक अस्थिरता; तांत्रिक उपाय – सोमवार को चांदी की अंगूठी में मोती धारण कर शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं, और मंत्र “ॐ सोमाय नमः” का 108 बार जप करें, इससे मन की तरंगें शांत होती हैं।

 

     वृष राशि में चंद्र: चार घर आगे कन्या, पृथ्वी तत्व। पूर्ण दृष्टि वृश्चिक पर, जो गहराई देती है। अर्ध दृष्टि सिंह और धनु पर, भावनात्मक स्थिरता लेकिन आधी शक्ति से। एक चौथाई कर्क और कुंभ पर। गणित: λ + 120° = कन्या, शक्ति cos(60°/2) ≈ 0.866 (एक चौथाई)। उपनिषद: तैत्तिरीय उपनिषद (2.8) में ‘रसो वै सः’ – चंद्र रस है, यहां वृष में यह कामुक मन पैदा करता है, लेकिन चार घर आगे कन्या में गुप्त विश्लेषणात्मक शक्ति, जो स्वास्थ्य रहस्य उजागर करती है। समस्या: भावनात्मक जड़ता; उपाय – पूर्णिमा को सफेद कपड़े पहनकर चंद्रमा को अर्घ्य दें, और तांत्रिक रूप से चांदी की माला से “ॐ चंद्राय विद्महे” जप कर नदी में बहाएं।

     मिथुन राशि में चंद्र: चार घर आगे तुला, वायु तत्व। पूर्ण दृष्टि धनु पर। अर्ध कन्या और मकर पर। एक चौथाई सिंह और मीन पर। गणित: 120° आगे, शक्ति cos(180°/2) = 0 (पूर्ण में) लेकिन अर्ध में 0.707। उपनिषद: मुंडक उपनिषद (2.1.5) में चंद्र को ज्ञान की रोशनी, यहां मिथुन में दोहरी सोच, चार घर आगे तुला में गुप्त संतुलन रहस्य। समस्या: मानसिक भटकाव; उपाय – शिव की आराधना में दूध से रुद्राभिषेक, और “ॐ इमं देवा” मंत्र से तांत्रिक सुरक्षा।

 

    कर्क राशि में चंद्र: स्वराशि, चार घर आगे वृश्चिक। पूर्ण दृष्टि मकर पर। अर्ध तुला और कुंभ पर। एक चौथाई कन्या और मेष पर। गणित: उच्च शक्ति, cos(θ) में वृद्धि। उपनिषद: छान्दोग्य (5.10.4) में चंद्र पथ, यहां भावनात्मक गहराई, चार घर आगे वृश्चिक में परिवर्तन का रहस्य। समस्या: अति संवेदनशीलता; उपाय – चंद्र बीज मंत्र जप और चांदी का लॉकेट।

 

      सिंह राशि में चंद्र: चार घर आगे धनु। पूर्ण दृष्टि कुंभ पर। अर्ध वृश्चिक और मीन पर। एक चौथाई तुला और वृष पर। गणित: सूर्य की राशि में चंद्र कमजोर, लेकिन 120° आगे ऊर्जा। उपनिषद: ऐतरेय उपनिषद में मन की ज्योति, यहां राजसी मन, चार घर आगे धनु में दार्शनिक रहस्य। समस्या: अहंकार; उपाय – सोमवार व्रत और शिव पूजा।

 

     कन्या राशि में चंद्र: चार घर आगे मकर। पूर्ण दृष्टि मीन पर। अर्ध धनु और मेष पर। एक चौथाई वृश्चिक और मिथुन पर। गणित: विश्लेषणात्मक, cos(90°) ≈ 0 लेकिन अर्ध में प्रभाव। उपनिषद: चंद्र विश्लेषण, चार घर आगे मकर में कर्म रहस्य। समस्या: चिंता; उपाय – मोती दान और मंत्र जप।

 

    तुला राशि में चंद्र: चार घर आगे कुंभ। पूर्ण दृष्टि मेष पर। अर्ध मकर और वृष पर। एक चौथाई धनु और कर्क पर। गणित: संतुलन, 120° आगे सामाजिक। उपनिषद: संतुलन का रहस्य। समस्या: अनिर्णय; उपाय – चंद्रमा को दूध अर्घ्य।

 

     वृश्चिक राशि में चंद्र: नीच, चार घर आगे मीन। पूर्ण दृष्टि वृष पर। अर्ध कुंभ और मिथुन पर। एक चौथाई मकर और सिंह पर। गणित: गहराई, लेकिन कमजोर। उपनिषद: परिवर्तन। समस्या: क्रोध; उपाय – शिवलिंग पर दूध।

 

    धनु राशि में चंद्र: चार घर आगे मेष। पूर्ण दृष्टि मिथुन पर। अर्ध मीन और कर्क पर। एक चौथाई कुंभ और कन्या पर। गणित: दार्शनिक। उपनिषद: ज्ञान। समस्या: अस्थिरता; उपाय – जप।

 

     मकर राशि में चंद्र: चार घर आगे वृष। पूर्ण दृष्टि कर्क पर। अर्ध मेष और सिंह पर। एक चौथाई मीन और तुला पर। गणित: कर्म। उपनिषद: स्थिरता। समस्या: उदासी; उपाय – व्रत।

 

     कुंभ राशि में चंद्र: चार घर आगे मिथुन। पूर्ण दृष्टि सिंह पर। अर्ध वृष और कन्या पर। एक चौथाई मेष और वृश्चिक पर। गणित: नवीनता। उपनिषद: सामाजिक। समस्या: अलगाव; उपाय – दान।

 

    मीन राशि में चंद्र: चार घर आगे कर्क। पूर्ण दृष्टि कन्या पर। अर्ध मिथुन और तुला पर। एक चौथाई वृष और धनु पर। गणित: आध्यात्मिक। उपनिषद: मुक्ति। समस्या: कल्पना; उपाय – पूजा।

 

     अब भावों का विश्लेषण: प्रथम भाव में चंद्र से चार घर आगे पंचम, पूर्ण दृष्टि सप्तम पर वैवाहिक सुख। द्वितीय में छठा, धन रहस्य। तृतीय में सप्तम, साहस। चतुर्थ में अष्टम, माता का गुप्त प्रभाव। पंचम में नवम, संतान। षष्ठ में दशम, शत्रु। सप्तम में एकादश, जीवनसाथी। अष्टम में द्वादश, रहस्य। नवम में प्रथम, भाग्य। दशम में द्वितीय, कर्म। एकादश में तृतीय, लाभ। द्वादश में चतुर्थ, मोक्ष।

 

    यह रहस्य उपनिषदों से जुड़ा है, जहां चंद्र की दृष्टियां मन की मुक्ति देती हैं। समस्या निवारण: तांत्रिक उपाय – चंद्र दोष के लिए रात में चांदी की थाली में पानी भरकर चंद्रमा देखें, और “ॐ चंद्रमा नमः” जप कर सोएं; इससे अज्ञात शक्तियां जागृत होती हैं।

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