आचार्य रजनीश से उनके एक अनुयायी ने सवाल पूछा—
प्रश्न: कृपया बताएं जब हमारे घर, संपत्ति जला दी जाती है, जब जिहादी हत्या करते हैं, तब हमें क्या करना चाहिए? क्या हमें हिंदू-मुस्लिम भाईचारे को बढ़ावा देना चाहिए या अपनी सुरक्षा के लिए कुछ कदम उठाने चाहिए? कृपया मार्गदर्शन करें।
उत्तर:
आपका प्रश्न ही आपकी मूर्खता दर्शाता है। ऐसा लगता है आपने इतिहास से कुछ नहीं सीखा।
जब महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर हमला किया, तो वह भारत का सबसे बड़ा और समृद्ध मंदिर था। वहां 1200 पुजारी केवल पूजा-पाठ में लगे थे और सोचते थे कि ईश्वर ही उनकी रक्षा करेंगे। उन्होंने कोई सुरक्षा उपाय नहीं किया। यहां तक कि क्षत्रिय भी मदद के लिए आगे नहीं आए। नतीजतन, महमूद ने हजारों निहत्थे पुजारियों की हत्या की, मूर्तियां और मंदिर तोड़ा और अपार धन लूट कर ले गया। भक्ति और ध्यान उन्हें नहीं बचा सके।
आज सैकड़ों वर्षों बाद भी वही मूर्खता दोहराई जा रही है। ऐसा लगता है कि आपने अपने महापुरुषों से कुछ नहीं सीखा।
अगर ध्यान इतना शक्तिशाली होता कि वह बुरे लोगों का हृदय बदल देता, तो रामचंद्र को हमेशा धनुष-बाण लेकर चलने की जरूरत क्यों पड़ती? क्या वे ध्यान से रावण का मन नहीं बदल सकते थे? उन्होंने युद्ध से ही निर्णय लिया।
अगर केवल ध्यान से ही बदलाव आता, तो पूर्णावतार श्रीकृष्ण को कंस और जरासंध की हत्या की ज़रूरत क्यों पड़ती? वे भी तो केवल ध्यान से उनका मन बदल सकते थे।
अगर ध्यान इतना प्रभावी होता, तो महाभारत का युद्ध नहीं होता। कृष्ण ध्यान से दुर्योधन का मन बदल सकते थे। लेकिन उन्होंने अर्जुन को युद्ध के लिए प्रेरित किया।
महाभारत इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध था जिसमें करोड़ों लोग मारे गए। पिछले 1200 वर्षों में भारत में अनेक मुनि, महर्षि, संत, जैसे—गोरखनाथ, रैदास, कबीर, गुरु नानक, गुरु गोविंद सिंह हुए, पर वे भी मुस्लिम आक्रमणकारियों और ब्रिटिशों को रोक नहीं सके। लाखों हिंदुओं की हत्या की गई, जबरन धर्मांतरण हुआ।
गुरु नानक ने भले ही अपना दर्शन इस प्रकार रखा कि मुसलमान भी समझ सकें, लेकिन उसी परंपरा में गुरु गोविंद सिंह को तलवार उठानी पड़ी। निहत्थे सिखों को हथियार उठाने पड़े। इससे स्पष्ट है कि ध्यान से व्यक्ति आत्मिक परिवर्तन तो कर सकता है, लेकिन शारीरिक रक्षा स्वयं करनी पड़ती है।
हमें विज्ञान और तकनीक की मदद से अपनी रक्षा करनी होगी। भगवान श्रीकृष्ण ने केवल 5 गांव मांगे थे—अगर वह मिल जाते, तो महाभारत न होता। उसी तरह आज हमें देश के हित में केवल 5 कानून चाहिए:
अगर ये 5 कानून नहीं बनते, तो भारत के 9 राज्यों की तरह पूरे देश से सनातन धर्म समाप्त हो जाएगा।
भारत बचाओ आंदोलन हमारे देश और हमारी बहन-बेटियों को बचाने का आंदोलन है।