समय के अमेरिका जाकर पढ़ाई करने की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई। रिश्तेदार, दोस्त, और परिचित समय को मिली शानदार स्कॉलरशिप के लिए उसकी तारीफ कर रहे थे।
लेकिन सुचेता उदास थी। चार साल से दोनों ने प्यार और शादी के वादे किए थे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अमेरिका जाने से पहले शादी क्यों नहीं हो सकती। समय का मानना था कि पहले पढ़ाई पूरी करके अच्छी कमाई शुरू करनी चाहिए, उसके बाद ही शादी करना संभव होगा।
भारी मन से सुचेता ने समय को विदा किया। मास्टर्स और पीएचडी पूरी करने में कम से कम पांच से सात साल लगने वाले थे। वह अभी 27 साल की थी। समय के पढ़ाई खत्म करने तक वह 32 या शायद 34-35 साल की हो जाएगी। फिर शादी, बच्चे, और उसकी जैविक घड़ी के साथ तालमेल बिठाना मुश्किल हो सकता था। इन ख्यालों ने उसे परेशान कर रखा था।
समय हर दिन फोन करता। ईमेल और टेक्स्ट तो चलते ही रहते। “मिस यू सो मच” और “लव यू” जैसे शब्द अब उसे बेमानी लगने लगे थे। उसके दादा-दादी कभी ऐसे शब्द नहीं बोलते थे, लेकिन उनकी आँखों में उनका प्यार झलकता था। उसे लगता था कि असली भावनाओं को जताने की जरूरत नहीं होती।
उसके मॉडर्न माता-पिता भी कभी खुलेआम “आई लव यू” नहीं कहते थे, लेकिन उनके हर काम में उनका स्नेह दिखता था।
लेकिन उसका प्यार…? बहुत उथला लगने लगा था। समय, जो कहता था “तुम मेरी ज़िंदगी हो,” सात समंदर पार जा चुका था, और अब बच गए थे सिर्फ ये खाली टेक्स्ट और फेसटाइम।
हाल ही में उसने देखा कि इंस्टाग्राम पर एक गोरी लड़की समय के हर फोटो में होती थी। उसने इशारों-इशारों में पूछा भी, लेकिन समय ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। गोरी, नीली आँखों वाली, सुनहरे बालों की लड़की उसे सपना दिखने लगी। वह बार-बार पसीने-पसीने होकर उठ जाती।
अमेरिका जाना जरूरी हो गया था।
पैसे की कमी थी, लेकिन उसने तय कर लिया। पिता से बात की तो वे झिझके:
“सुचेता, बेटी… अभी इतने पैसे खर्च करना और फिर शादी…? मुश्किल है।”
“पापा, अगर लड़का ही भरोसे के लायक नहीं हुआ तो शादी का क्या मतलब?” उसने झट से कहा।
पिता असमंजस में थे।
आखिरकार उन्होंने हाँ कर दी। सुचेता ने समय के जन्मदिन पर सरप्राइज देने का प्लान बनाया। पासपोर्ट, वीजा, टिकट सब तैयार हुआ। उसकी दोस्त सीमा, जो यूनिवर्सिटी के पास रहती थी, सारी व्यवस्थाओं में मदद कर रही थी।
धड़कते दिल से सुचेता अमेरिका पहुँची।
वहाँ पहुँचकर वह लैब के बाहर इंतजार करने लगी। उसके हाथ में बेसन के लड्डू का डिब्बा था, जो उसकी माँ ने समय के लिए भेजा था। समय नहीं आया। उसने टेक्स्ट नहीं किया ताकि सरप्राइज खराब न हो।
उसी समय उसने एक गोरी लड़की को लैब की तरफ जाते देखा। वह वही थी—इंस्टा वाली लड़की।
“Excuse me, Miss! Do you know where Samay is?” सुचेता ने हिम्मत करके पूछा।
“Ohhh! Sucheta… Right? I know a lot about you!” लड़की ने कहा।
इतने में समय का फेसटाइम कॉल आया।
“तुम हमारे घर कैसे?” सुचेता चौंकी।
समय हँसते हुए बोला,
“तुम्हें सरप्राइज देने के लिए आया था। और तुमने मुझे सरप्राइज कर दिया! यहाँ क्यों आई?”
समय ने उसे बताया कि उसने सुचेता से रजिस्टर्ड शादी के लिए प्रपोज़ करने की योजना बनाई थी।
सुचेता को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने संशय के कारण अपने रिश्ते को मुश्किल में डाल दिया था। उसने समय और अपने पिता से माफी माँगी।
अगले दिन दोनों ने रजिस्टर्ड शादी कर ली। सुचेता ने समझ लिया कि प्यार, विश्वास, और ईमानदारी रिश्ते की नींव होते हैं।
“अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति।
नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मन:॥”
(अर्थ: विवेक और श्रद्धा से रहित संशयी व्यक्ति का विनाश होता है। उसे न इस लोक में सुख मिलता है और न परलोक में।)