
जब सूर्य और चंद्रमा एक ही भाव या डिग्री पर स्थित होते हैं, तब अमावस्या योग बनता है। यह योग व्यक्ति के मन और आत्मा को एक कर देता है, जिससे जातक का जीवन अंदरूनी संघर्ष, गहराई और आत्मविकास से भरा होता है।
मुख्य प्रभाव:
सूर्य का तेज़ चंद्रमा के प्रकाश को ढँक देता है, जिससे व्यक्ति भावनात्मक रूप से कमजोर या अस्थिर हो सकता है।
कभी आत्मविश्वास बहुत ऊँचा, तो कभी बहुत नीचे चला जाता है।
जातक अंदर से बहुत गहराई से सोचने वाला होता है।
रहस्यमय, आध्यात्मिक और आत्म-निरीक्षण करने वाला स्वभाव।
सूर्य पिता का, चंद्र माता का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए दोनों में युति होने पर कभी-कभी परिवार में भावनात्मक दूरी बनती है।
व्यक्ति को जीवन में संघर्ष के बाद ही सफलता मिलती है।
कर्म प्रधान जीवन — हर चीज़ मेहनत और अनुभव से हासिल होती है।
जब सूर्य–चंद्र शुभ भाव (जैसे 9वां, 10वां, या लग्न) में हों या गुरु की दृष्टि हो, तो यह योग राजयोग भी बन सकता है।
जातक बहुत आत्मबलवान, दृढ़निश्चयी और आत्मनिर्भर होता है।
उपाय