जब चिकित्सक अपनी ओर से हर संभव प्रयास कर रहे होते हैं और रोगी जीवन-मृत्यु की स्थिति में होता है, अस्पताल में भर्ती होता है या बिस्तर पर पड़ा होता है, और आशाएँ क्षीण होने लगती हैं — ऐसे समय में हमारा सनातन धर्म हमें आध्यात्मिक उपाय प्रदान करता है। इन उपायों का उल्लेख वेदों, पुराणों, रामायण, और अन्य ग्रंथों में मिलता है, जो आत्मा को संबल और शरीर को शक्ति प्रदान करते हैं।
बजरंग बाण एक अत्यंत प्रभावशाली और सरल उपाय है। इसे रोगी के पास या मंदिर में, स्वयं रोगी या उसके परिजन उसके behalf पर पढ़ सकते हैं। यह श्री तुलसीदास जी द्वारा रचित एक दिव्य स्तुति है, जो हनुमान जी का आह्वान करती है।
बजरंग बाण की विशेषता यह है कि इसकी अधिकांश चौपाइयाँ और दोहे 11, 12 या 13 वर्णों की होती हैं, जो वैदिक ज्योतिष के अनुसार बारहवें भाव को प्रभावित करती हैं — जो रोग, अस्पताल, बिस्तर, और अलगाव से जुड़ा होता है।
इस स्तुति में भक्त प्रभु श्रीराम के नाम की शपथ लेकर हनुमान जी से त्वरित सहायता की याचना करता है:
इस मंत्र में भक्त का संकल्प और आस्था हनुमान जी को त्वरित कार्यवाही के लिए प्रेरित करती है। केवल एक दीपक, तिलक, गुरु वंदना, गणेश मंत्र और ब्रह्म मुहूर्त में यह पाठ 5 मिनट में किया जा सकता है।
ऋग्वेद, विशेषकर अष्टम मंडल में, अनेक शक्तिशाली स्तोत्रों और मंत्रों का वर्णन मिलता है जो रोगनाशक और शरीर में ऊर्जा का संचार करने वाले हैं। विशेषकर निम्नलिखित मंत्रों का उल्लेख मिलता है:
हे स्तोताओ! तुम उस महान इन्द्र की स्तुति करो जो मनुष्यों द्वारा प्रतिष्ठित, स्तुति के योग्य, शत्रुओं पर विजय पाने वाला तथा नेतृत्व क्षमता से सम्पन्न है।
यह मंत्र रोग से लड़ने की मानसिक शक्ति देता है और शत्रुओं (यहाँ रोग या मृत्यु) पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा देता है।
जो मनुष्य अल्पायु हैं या मृत्युमुख में जाने वाले हैं, हे आदित्यों! उन्हें तुम दीर्घायु प्रदान करो।
यह मंत्र अद्भुत है — इसमें देवताओं से निवेदन किया गया है कि वे ऐसे मनुष्यों को जो मृत्यु के निकट हैं, जीवन प्रदान करें।
हे मरुतगणो! तुम विभिन्न रूपों में सम्पूर्ण जगत को देखते हुए हमारे लिए हितकारी वचन बोलो। रोगों को दूर करने वाली औषधियों के समान, हमारे दुर्बल शरीर को फिर से पूर्ण करो और शक्ति प्रदान करो। जैसे रोग से पीड़ित को ठीक किया जाता है, उसी तरह हमारे टूटे हुए अंगों को पुनः ठीक करो।यहाँ रोगमुक्ति के साथ-साथ शारीरिक अंगों की सुधार और पुनर्निर्माण की प्रार्थना की गई है।
अथर्ववेद में जीवन रक्षक मंत्रों और औषधियों का गहन वर्णन किया गया है। इसमें पर्वतों, जल, वनस्पतियों और अश्विनीकुमारों की शक्तियों का उल्लेख है। उदाहरणस्वरूप:
अथर्ववेद में कुछ ऐसे श्लोक और उपचार वर्णित हैं जो आज भी आयुर्वेद, जड़ी-बूटी चिकित्सा, और सिद्ध विज्ञान का आधार हैं।
अन्य प्रमुख मंत्र – महामृत्युंजय मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र को संसार का सबसे शक्तिशाली रोगनाशक और आयुष्यवर्धक मंत्र माना जाता है:
यह मंत्र विशेष परिस्थितियों में योग्य वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा विधिवत किया जाना चाहिए। इसमें विशेष संकल्प, हवन, पवित्रता, और समय का पालन अनिवार्य है।
जब आधुनिक चिकित्सा अपने सीमाओं पर पहुँच जाती है, तब हमारे सनातन शास्त्रों का मार्गदर्शन जीवनदायी हो सकता है। बजरंग बाण जैसे साधारण, परंतु प्रभावी स्तोत्र से लेकर वेदों के शक्तिशाली मंत्रों तक — सभी का एक ही उद्देश्य है: रोग निवारण, जीवन रक्षा, और मानसिक-आध्यात्मिक शांति।
इन उपायों को न केवल उपचार के लिए, बल्कि रोग से पहले की तैयारी और जीवन की ऊर्जा बढ़ाने के लिए भी अपनाया जा सकता है। यह न केवल रोगी को संबल देता है, बल्कि उसके परिजनों को भी आशा और विश्वास प्रदान करता है।