रावण ने अपना एयर और वाटर डिफेंस सिस्टम समुद्र में फिट कर रखा था।
जैसे किसी पनडुब्बी पर रडार हो,
निसिचरि एक सिंधु महुँ रहई
करि माया नभु के खग गहई ..
वह उड़ते जीवों की पानी पर पड़ती प्रतिछाया इमेज परछाई से उन्हें पकड़ कर नष्ट कर डालती,
तो जो जल में होगा उसको कैसे छोड़ती होगी ?
भूमि पर लंकिनी थी डिफेंस में,
हवा का भी प्रवेश नहीं, मच्छर तक को डिटेक्ट कर लेती।
वो बात अलग कि हनुमान ड्रोन, मिसाइल, मैसेंजर, डोजियर – आल इन वन हैं, रावण के सारे सिस्टम ध्वस्त कर दिए थे।
जबकि अयोध्या का स्काई डिफेंस अधिक एक्टिव था,
संजीवनी लाते हनुमान को भरत जी के आयुध ने रोक लिया था,
एक रोचक बात और है,
ये लोग दिखते भर बिना हथियार आयुध अस्त्र शस्त्र के थे, पर इनकी मारक क्षमता सदैव सक्रिय रहती।
जैसे आपका बैंक बैलेंस आज मोबाइल से ऑपरेट हो जाता है, कभी भी कहीं भी..
वैसे ही राम जी सींक को ब्रह्मास्त्र बना देते हैं बैठे बैठे और लगा देते हैं जयंत के पीछे।
रामायण का यह युद्ध केवल दो सेनाओं का टकराव नहीं, बल्कि आध्यात्मिक युद्ध कला का सर्वोच्च प्रदर्शन था। रावण की मायावी तकनीक और अभेद्य रक्षा तंत्र अंततः अहंकार के आगे ढह गए, जबकि अयोध्या की सतर्कता और राम की सूक्ष्म शक्ति सत्य और धर्म के बल पर अजेय रही।
समझ रहें हैं ?
आपका जीवन शुभ और मंगलमय हो🙏
।। जय श्रीकृष्णा ।।